जापान के रेडियोएक्टिव पानी न्यूक्लियर प्लांट से समुद्र में छोड़ने पर चीन-कोरिया आगबबूला, बैन लगाया सी-फूड पर

 
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जापानी मछुआरों ने इस योजना का विरोध किया है कि इससे उनके समुद्री भोजन के प्रदूषित होने और उनके व्यवसाय को  नुकसान पहुंचने का खतरा है। चीन और दक्षिण कोरिया ने भी इसे राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दा बनाकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। 

नई दिल्ली। सुनामी से तबाह हुए फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से जापान ने बृहस्पतिवार को अपशिष्ट जल प्रशांत महासागर  में छोड़ना शुरू कर दिया है। इससे इलाके में तनाव और बवाल बढ़ गया है। चीन के सीमा शुल्क अधिकारियों ने जापान से आने वाले समुद्री आहार (सीफूड) पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीन के सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जारी किए गए नोटिस के अनुसार, प्रतिबंध तत्काल शुरू हो गया है। यह प्रतिबंध समुद्री आहार सहित सभी जलीय उत्पादों के आयात पर लागू रहेगा। माना जा रहा है कि जापान के इस कदम से प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीति गरमा सकती है।

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जापानी अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय परमाणु दूषित जल, उसके चलते देश में स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा संबंधी जोखिमों को देखते हुए उठाया गया है। न्यूक्लियर प्लांट के कंट्रोल रूम से जारी किए गए एक लाइव वीडियो में, टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी होल्डिंग्स (TEPCO) के एक स्टाफ सदस्य को माउस के एक क्लिक से पंप चालू करते हुए दिखाया गया है। यह उस विवादास्पद परियोजना की शुरुआत है जिसके दशकों तक चलने की उम्मीद है।

पंप के मुख्य ऑपरेटर ने रिलीज की पुष्टि करते हुए कहा, "समुद्री जल पंप ए सक्रिय हो चुका है।" TEPCO ने बाद में पुष्टि की कि अपशिष्ट जल की निकासी के लिए समुद्री जल पंप अंतिम चरण शुरू होने के तीन मिनट बाद दोपहर 1:03 बजे (0403 जीएमटी) सक्रिय हो गया था। TEPCO का कहना है कि पानी संशोधित कर समुद्र में छोड़ा जा रहा है लेकिन कई वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके बावजूद उन पानी में कम मात्रा में रेडियोएक्टिव तत्व पाए जा सकते हैं, जिसका समुद्री जीव पर बुरा असर पड़ सकता है।

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जापानी मछुआरों ने इस योजना का विरोध किया है। इससे उनके समुद्री भोजन के प्रदूषित होने और उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचने का खतरा है। मछुआरे पहले से ही कम मछली उत्चीपादन की समस्या झेल रहे थे। इधर, चीन और दक्षिण कोरिया ने भी इसे राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दा बनाकर चिंता जताई है।उधर, हांगकांग में जापान के महावाणिज्य दूतावास के बाहर फुकुशिमा रेडियोधर्मी अपशिष्ट जल छोड़ने के विरोध में जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी  के खिलाफ लोगों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया है।

बता दें कि मार्च 2011 में बड़े पैमाने पर आए भूकंप और सुनामी के कारण फुकुशिमा प्लांट में परमाणु विस्फोट हो गया था। इसके रिएक्टरों से घातक जहरीले पिघले हुए मलबे रिसने लगे थे। इससे प्लांट ठप पड़ गया था। अब 12 साल से अधिक समय बाद परमाणु संयंत्र ने दूषित जल को संशोधित कर छोड़ना शुरू किया है।

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फुकुशिमा हादसे के बाद परमाणु ऊर्जा के प्रति दुनिया भर का नजरिया बदल चुका है। बहुत से देशों ने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों की समीक्षा की। जर्मनी और स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने तो परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की घोषणा की है।

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