अमेरिका बच सकता है दिवालिया होने से, डील पर बनी सहमति, मुश्किलें अभी भी कम नहीं

 
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US Debt Crisis : अमेरिका में कर्ज की सीमा बढ़ाने पर राष्ट्रपति जो बाइडन और निचले सदन के स्पीकर केविन मैकार्थी के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई है। दोनों ही डील के लिए तैयार हैं। अब जल्द ही इस पर बिल आ सकता है। हालांकि, डील में जो शर्ते रखी गई हैं, उनसे डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों के ही नाराज होने का खतरा है।

 

नई दिल्ली। अमेरिका पर छाए कर्ज संकट (US Debt Crisis) के बादल छंटने की उम्मीद जगी है। शनिवार देर रात देश की कर्ज लेने की सीमा (US Debt Ceiling) बढ़ाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और निचले सदन के स्पीकर केविन मैकार्थी के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई। दोनों संघीय खर्च को सीमित करने और अमेरिका को संभावित चूक से बचाने के लिए 'समझौते' पर तैयार हो गए हैं। अब वार्ताकार पूरी कोशिश में हैं कि तेजी से इस बारे में बिल लाया जाए ताकि 5 जून से पहले उसे उच्च सदन सेनेट से भी मंजूर कराया जा सके। मैकार्थी का कहना है कि निचला सदन बिल पर बुधवार को वोट करेगा ताकि सेनेट को भी इस पर गौर करने के लिए वक्त मिल जाए। बता दें कि 5 जून की समयसीमा से पहले संसद की मंजूरी के लिए दोनों पक्षों का इस समझौते पर सहमत होना जरूरी है।

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डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों के नाराज होने का खतरा
हालांकि, इस समझौते तक पहुंचने के लिए जो रियायतें या शर्तें तय की गई हैं, उससे देश के प्रमुख दलों - डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों के ही नाराज होने का खतरा है। वार्ताकारों ने रिपब्लिकन की खाद्य टिकट के प्राप्तकर्ताओं के लिए काम की बढ़ती जरूरतों पर सहमति जताई है, जिसपर डेमोक्रेट ने हंगामा खड़ा किया है। मैकार्थी ने शनिवार रात कहा कि डेमोक्रेट राष्ट्रपति और रिपब्लिकन स्पीकर दोनों के बीच शनिवार शाम फोन पर बातचीत के बाद समझौते के लिए सहमति बनी है। वहीं बाइडन ने शनिवार रात बयान में कहा, इस करार तक पहुंचने के लिए 'समझौता' करना पड़ा है। इसका मतलब है कि हर किसी को वह नहीं मिलेगा जो वह चाहता है। बाइडन ने इस समझौते को अमेरिका के लोगों के लिए एक अच्छी खबर बताते हुए कहा कि इससे देश एक ऐसी चूक से बच सकता है जो उसे आर्थिक मंदी में ले जा सकती थी। साथ ही समझौता नहीं होने पर सेवानिवृत्ति खाते प्रभावित होते और लाखों की संख्या में लोगों को नौकरी गंवानी पड़ती।

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क्या है समझौते के अंदर
- गैर रक्षा खर्च को वित्त वर्ष 2024 में नहीं बढ़ाया जाएगा। अगले साल भी इसे 1% ही बढ़ाया जाएगा। साथ ही 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद कर्ज सीमा में दो साल के लिए बढ़ोतरी की जाए।
- 2024 के लिए बाइडन के बजट प्रस्ताव में बुजुर्गों को जो मेडिकल केयर देने की बात कही गई है, उसके लिए पूरी फंडिंग दी जाएगी। इसमें जहरीले पदार्थ या पर्यावरणीय खतरों से जूझने पर मेडिकल केयर का भी प्रस्ताव है। बाइडन ने के लिए 20.3 अरब डॉलर का प्रस्ताव रखा है।
- नौकरी से जुड़े मानदंड कुछ समय के लिए बदलने पर रजामंदी बनी है।
- नैशनल एनवायरनमेंटल पॉलिसी ऐक्ट में बदलाव पर रजामंदी हुई है। इस ऐक्ट के तहत पर्यावरणीय समीक्षा करने के लिए एक एजेंसी बनाने की बात कही गई है।
- बाइडन स्टूडेंट लोन लेने वाले सभी का 10 हजार डॉलर से लेकर 20 हजार डॉलर तक का कर्ज माफ करना चाहते थे, उस पर दोनों पक्षों में बात नहीं बनी है।

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क्या है कर्ज सीमा विवाद
अमेरिका सरकार कानूनी रूप से अपने खर्चों और दायित्वों को पूरा करने के लिए कर्ज लेती है। अमेरिका की संसद ने कानून बनाकर इस कर्ज को लेने की सीमा तय की हुई है, जिसे ऋण सीमा (Debt Ceiling) कहा जाता है। अमेरिकी संविधान के अनुसार कांग्रेस (संसद) को सरकारी खर्च को नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया है। बिना कांग्रेस की मंजूरी के सरकार तय ऋण सीमा से अधिक कर्ज नहीं ले सकती। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। रिपब्लिकन पार्टी के सांसद ऋण सीमा को बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे, जिसकी वजह से विवाद बना हुआ था। अगल जल्द ही ऋण सीमा को लेकर समझौता नहीं होता तो अमेरिका का खजाना खाली हो सकता था, जिससे अमेरिका के दिवालिया होने का खतरा था। इसका ना सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता।

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