पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद अब चीन भारत के इस पड़ोसी मुल्क को अपने जाल में फंसाएगा!, ये बड़ी चाल चल रहा है ड्रैगन

 
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China Afghan Lithium: श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल और म्यांमार के बाद चीन अब भारत के एक और पड़ोसी देश में अरबों डॉलर के निवेश की तैयारी कर रहा है। 7 महीने में प्रोजेक्ट पूरा करने का किया वादा...

 

नई दिल्ली। China Afghanistan Lithium Deal: भारत को चारों तरफ से घेरने में जुटे चीन (China) की एक और चाल उजागर हुई है। श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल और म्यांमार के बाद चीन अब पड़ोसी देश अफगानिस्तान में भी बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने की फिराक में है, जिसके लिए उसने अरबों डॉलर रकम ऑफर की है। यदि दोनों मुल्कों में डील होती है तो चीन अफगानिस्तान के 1 ट्रिलियन लिथियम रिजर्व में निवेश करेगा।

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यह खबर भारत की चिंता पैदा करने वाली है, क्योंकि दशकों से भारत ही अफगानिस्तान में वहां की अवाम और वहां की अर्थव्यवस्था के लिए तमाम परियोजनाओं में निवेश करता रहा है। अगस्त 2021 में वहां तालिबानी हुकूमत ने सत्ता पर कब्जा किया, तब भारतीय परियोजनाएं खतरे में पड़ गई थीं, और अमेरिका की तरह बहुत-से भारतीय अधिकारियों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था। अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत आने से सबसे ज्यादा पाकिस्तान को खुशी हुई, वहीं चीन भी 'धन' का लालच देकर वहां अपने पैर पसारने में जुट गया।

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अफगानिस्तान के 1 ट्रिलियन लिथियम रिजर्व में करेगा निवेश
चाइनीज मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की कंपनी गोचिन के अधिकारियों ने काबुल में हाल में ही तालिबान के माइनिंग और पेट्रोलियम मंत्री शहाबुद्दीन दिलावर के साथ मीटिंग की। जिसके बाद मंत्री दिलावर ने कहा कि चीन अफगानिस्तान के 1 ट्रिलियन लिथियम रिजर्व में निवेश करेगा, और इसके लिए उसने 81 हजार करोड़ ऑफर किए हैं। दिलावर ने यह भी दावा किया कि उसके निवेश से 1 लाख 20 हजार नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
दूसरी ओर चीन की कंपनी ने तालिबान से ये वादा किया है कि वो अफगानिस्तान में सलांग पास को 7 महीनों के भीतर ठीक कर देंगे। साथ ही एक और टनल भी बनाएंगे।

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तालिबान चाहता है- बाहरी कंपनियां उसके यहां आएं
आपको बता दें कि जब से तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता में आया है, वहां से भय के चलते विदेशी कंपनियां अपना-बोरिया बिस्तर समटकर जाने लगीं थी। ऐसे में अफगानिस्तान की हुकूमत के पास पैसे की कमी पड़ने लगी। बाद में यूएन और उससे जुड़ी संस्थाओं ने अफगानिस्तान के लिए आर्थिक मदद मुहैया करानी शुरू की। हालांकि, ये मदद पर्याप्त नहीं है। ऐसे में  अब तालिबान लगातार अफगानिस्तान में निवेश के लिए दूसरे देशों से अपील कर रहा है। हालांकि, वहां अस्थिरता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों पर ज्यादातर देश अफगानिस्तान में निवेश करने से बच रहे हैं।

वहीं, इन हालातों का चीन फायदा उठाना चाहता है। इसलिए चीन ने अब तालिबानी हुकूमत से कहा है कि वो लिथियम रिजर्व में उसके निवेश के आॅफर को स्वीकार करे और बड़ी रकम हासिल कर ले। ग्लोबल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अफगानिस्तान में इस निवेश से चीन 2025 तक सबसे बड़ा लिथियम सप्लायर बनने का सपना पूरा करने की कोशिश कर रहा है। 

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क्या होता है लिथियम और क्यों जरूरी है?
लिथियम एक खनिज पदार्थ है, इसे "सफेद सोना" भी कहा जाता है। इसका सबसे ज्यादा उपयोग बैटरियां बनाने में होता है, इससे बनी लिथियम अन्य बैटरियों की तुलना में ज्यादा ताकतवर और हल्की होती हैं। साथ ही लिथियम-ऑयन बैटरियां लेड एसिड बैटरियों की तुलना में ज्यादा लंबे समय तक चलती हैं। ऐसे में जबकि, दुनिया में कोयले के ईंधन पर रोक लगाने की बातें हो रही हैं तो लिथियम को इसके विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इसकी अहमियत को आप भारत में चलने वाले ई-रिक्शा से समझ सकते हैं, जो कि बैटरी से ही चलते हैं और इन दिनों सड़कों पर ऐसे छोटे वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

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