यहूदी-मुस्लिम अल-अक्सा मस्जिद पर क्यों भिड़े रहते हैं? जानें पूरी कहानी

यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद को लेकर अरब देशों और इजरायल के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। दरअसल, मंगलवार को इजरायली सुरक्षा मंत्री ने मस्जिद का दौरा किया था। जिसके बाद अरब देशों ने चेतावनी दी है। वहीं, चीन और यूएई ने सुरक्षा परिषद में बैठक बुलाई। फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री ने कहा है कि इजरायली मंत्री का यह दौरा मस्जिद को यहूदी मंदिर में बदलने की कोशिश है। अल-अक्सा मस्जिद मक्का और मदीना के बाद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है।
नई दिल्ली। इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री और कट्टर दक्षिणपंथी नेता इतामार बेन-गविर के अल-अक्सा मस्जिद दौरे के बाद अरब देशों और इजरायल के बीच एक बार फिर तनाव चरम पर है। इस्लामिक देशों की चेतावनी और फलिस्तीनी इस्लामिक संगठन हमास की धमकी के बाद इजरायली मंत्री ने कहा कि इजरायल सरकार हमास से डरने वाली नहीं है।
विज्ञापन: "जयपुर में निवेश का अच्छा मौका" JDA अप्रूव्ड प्लॉट्स, मात्र 4 लाख में वाटिका, टोंक रोड, कॉल 8279269659
दरअसल, इजरायली मंत्री ने मंगलवार को यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद का दौरा किया था। इस दौरे के बाद पाकिस्तान, मिस्र, कतर समेत कई अन्य अरब देशों ने इजरायल को चेतावनी देते हुए इस दौरे की कड़ी निंदा की है।
यह खबर भी पढ़ें: दुनिया की ये जो 6 महीने एक देश में और 6 महीने दूसरे देश में, बदल जाते हैं नियम-कानून
इजरायली मंत्री के अल-अक्सा मस्जिद दौरे के बाद बढ़ते विवाद को देखते हुए चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक भी बुलाई। इस बैठक में फिलीस्तीन के प्रतिनिधि और बाकी मुस्लिम देशों ने इजरायल को जमकर घेरा।
आइए जानते हैं कि आखिर पूरा विवाद क्या है जो इजरायली मंत्री के अल-अक्सा मस्जिद दौरे के बाद अरब देश और इजरायल आमने-सामने आ गए हैं...
यह खबर भी पढ़ें: 7 दिनों की विदेश यात्रा में फ्लाइट-होटल पर खर्च सिर्फ 135 रुपये!
अल-अक्सा मस्जिद को लेकर क्या है विवाद
इजरायल की राजधानी यरुशलम स्थित यह मस्जिद दुनिया के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शुमार है। अल-अक्सा मस्जिद यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में भी शामिल है। चांदी के गुंबद की बनी यह मस्जिद 35 एकड़ में फैली हुई है। इसे 'अल-हराम अल शरीफ' के नाम से भी जाना जाता है।
अल-अक्सा मस्जिद मक्का और मदीना के बाद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है। मुसलमानों के लिए यह स्थल 'अल-हराम अल शरीफ' के नाम से मशहूर है। जबकि 'टेंपल माउंट' के नाम से मशहूर यह जगह यहूदियों के लिए पवित्र स्थल है।
यहूदियों के लिए सबसे पवित्र स्थल 'डोम ऑफ द रॉक' इसी जगह स्थित है। लेकिन पैंगबर मोहम्मद से जुड़े होने के कारण डोम ऑफ द रॉक में मुसलमान भी आस्था रखते हैं। इस जगह को लेकर वर्षों से यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच विवाद है।
यह खबर भी पढ़ें: दुनिया की ये जो 6 महीने एक देश में और 6 महीने दूसरे देश में, बदल जाते हैं नियम-कानून
प्राचीन फिलिस्तीन को 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने दो भागों में विभाजित कर दिया था। विभाजन के बाद 55 फीसदी हिस्सा यहूदियों को और 45 फीसदी हिस्सा फिलिस्तीनियों को मिला था। लेकिन 1967 में इजरायल के गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक पर यरुशलम के कब्जे के बाद यह विवाद और बढ़ गया। इससे पहले 1948 से 1967 तक यह क्षेत्र जॉर्डन के कब्जे में था।
हालांकि, बाद में जॉर्डन और इजरायल के बीच यह सहमति बनी कि अल-अक्सा मस्जिद के भीतर के मामलों पर जॉर्डन इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ का नियंत्रण रहेगा जबकि बाहरी सुरक्षा इजरायल संभालेगा।
शांति संधि के तहत इस बात पर भी सहमति बनी कि गैर-मुस्लिमों को भी मस्जिद परिसर के अंदर आने की इजाजत होगी लेकिन उनको प्रार्थना करने की अनुमति नहीं होगी। इसके बावजूद यहूदियों ने पिछले कुछ समय से मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश की जिससे तनाव की स्थिति बन गई। कई बार हिंसक झड़प भी हो गई।
यह खबर भी पढ़ें: 'दादी के गर्भ से जन्मी पोती' अपने ही बेटे के बच्चे की मां बनी 56 साल की महिला, जानें क्या पूरा मामला
क्या है धार्मिक महत्व
यहूदी और मुस्लिम दोनों ही इस जगह को धार्मिक रूप से खास मानते हैं। यहूदी अल-अक्सा मस्जिद की वेस्टर्न वॉल को अपने यहूदी मंदिर का आखिरी अवशेष मानते हैं। जबकि मुस्लिम समुदाय इस दीवार के अल बराक की दीवार होने का दावा करते हैं। मुसलमानों का मानना है कि यह वही दीवार है जहां पैगंबर मोहम्मद साहब ने अल बराक को बांधा था।
वहीं, यहूदी लोगों का दावा है कि ये जगह पहले यहूदियों के लिए प्रार्थना स्थल थी। लेकिन बाद में यहूदी कानून और इजरायली कैबिनट ने यहूदियों के यहां प्रार्थना करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
यह खबर भी पढ़ें: महिला टीचर को छात्रा से हुआ प्यार, जेंडर चेंज करवाकर रचाई शादी
इस्लामिक देशों ने दी चेतावनी
इजरायली मंत्री इतामार बेन-गविर के अल-अक्सा मस्जिद दौरे के बाद इस्लामिक देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने कहा कि इजरायली मंत्री का यह कदम उकसाऊ और मुसलमानों के भावनाओं के खिलाफ है। ओआईसी ने कहा कि मंत्री का यह दौरा अल-अक्सा मस्जिद की यथास्थित बदलने की कोशिश है।
पाकिस्तान ने भी इजरायली मंत्री के दौरे को असंवेदनशील और भड़काऊ करार दिया है। पाकिस्तान विदेश मंत्रायल ने बयान जारी करते हुए कहा कि अल-अक्सा मस्जिद दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक पवित्र स्थल है। इसका उल्लंघन मुसलमानों की धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाता है। पाकिस्तान ने फिलिस्तीनी मांगो के समर्थन को एक बार फिर दोहराया है।
ईरान ने इजरायल को चेतावनी देते हुए कहा है कि इजरायली मंत्री का फिलिस्तीन के पवित्र स्थल में इस तरह की हरकत अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन और मुसलमानों के मूल्यों का अपमान है। इसके लिए इजरायल को मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया का सामना करना होगा।
इसके अलावा जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और लेबनान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
यह खबर भी पढ़ें: 'मेरे बॉयफ्रेंड ने बच्चे को जन्म दिया, उसे नहीं पता था वह प्रेग्नेंट है'
मंत्री ने कहा टेंपल जाने का सबका अधिकार
अल-अक्सा मस्जिद के दौरे के बाद इजरायल के मंत्री बेन-गविर ने ट्वीट करते हुए लिखा, ''टेंपल माउंट सभी के लिए खुला है और अगर हमास सोचता है कि मुझे धमकी देकर डरा देगा, तो वो ये समझ ले कि अब समय बदल गया है। इजरायल की सरकार आत्मसमर्पण नहीं करेगी।'' हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि बेन-गविर ने मस्जिद परिसर में प्रार्थना की थी या नहीं।
Download app : अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप