तालिबान किस बात का बदला ले रहा है पाकिस्तान से? ISI के Ex-चीफ ने बताया

 
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अफगानिस्तान में तालिबान का दुबारा उदय के बाद से ही पाकिस्तान में आतंकी हमलों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिला है। पिछले ही महीने टीटीपी के आतंकियों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू कंटोनमेंट सेंटर पर हमला कर कई लोगों को बंधक बना लिया था। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी को रोकने के लिए तालिबान कुछ नहीं कर रहा है।

 

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान के दुबारा उदय के बाद से ही अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका मुख्य कारण तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) का पाकिस्तान में लगातार आतंकी हमला करना है। पाकिस्तान में लगातार जारी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान टीटीपी के ठिकानों पर मिलिट्री ऑपरेशन चला सकता है। 

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इस तनातनी के बीच पाकिस्तान की प्रमुख खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व चीफ जावेद असरफ काजी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया है कि टीटीपी पाकिस्तान में क्यों लगातार हमला कर रहा है। 

उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि पाकिस्तान ने तालिबान सरकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया था, इसलिए अफगानी तालिबान पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए टीटीपी की मदद कर रहा है। 

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आईएसआई के पूर्व चीफ ने तालिबान और टीटीपी के बीच दोस्ताना संबंध का आरोप लगाते हुए कहा कि अफगान गवर्नमेंट खुद अभी स्टेबल नहीं है और उनके अंदर कई ग्रुप्स हैं। जबकि टीटीपी एक वेल ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप है। इसलिए तालिबान सरकार यह नहीं चाहती कि टीटीपी को नाराज किया जाए। जिससे नाराज टीटीपी अफगान सरकार के खिलाफ ही जंग छेड़ दे।  

असरफ काजी ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिका के चले जाने के बाद जब तालिबान सरकार आई तो हमें यह उम्मीद थी कि अब तालिबान टीटीपी को काबू में रखेंगे। इस मद्देनजर हमने उनको स्पष्ट रूप से बता भी दिया था कि हम चाहते हैं कि तालिबान टीटीपी को पाकिस्तान पर अटैक नहीं करने दें। इसी सिलसिले में हमने बॉर्डर पर भी बाड़ लगाया। 

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तालिबान ने पाकिस्तान को दी धमकी 
पाकिस्तान के गृह मंत्री सनाउल्लाह की चेतावनी के बाद तालिबानी प्रमुख नेता अहमद यासिर ने पाकिस्तान को 1971 युद्ध की याद दिलाते हुए चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान अफगानिस्तान पर हमला करता है तो उसे 1971 जैसे स्वाद चखाया जाएगा।

ईस्ट पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेशन और पाकिस्तानी सेना कमांडर के बीच हुए सरेंडर दस्तावेज दस्तखत करते हुए तस्वीर को ट्वीट करते हुए अहमद यासिर ने लिखा कि पाकिस्तान को एक और युद्ध में हार से बचने के लिए अफगानिस्तान से दूर ही रहना चाहिए। 

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टीटीपी से निपटने का तरीका
पाकिस्तान में लगातार बढ़ रहे टीटीपी हमले और उससे निपटने के तरीके पर जावेद असरफ काजी ने कहा कि हमने नरम रुख अपनाते हुए बातचीत जारी रखी। उनके साथ छोटे-मोटे समझौते किए। लेकिन तालिबान ने कभी भी उन समझौतों का सम्मान नहीं किया। तालिबान के साथ समझौता करना एक बेकार काम है, क्योंकि वो उसको फॉलो नहीं करते हैं। 

उन्होंने कहा कि बन्नू में हमारे सैनिकों ने जो किया, वो सिर्फ वही बात समझते हैं। अब हमें टीटीपी को लेकर सख्त रुख अपनाना चाहिए। जो भी बॉर्डर क्रॉस करना चाहे, उसे वहीं मार देना चाहिए। 

दरअसल, पिछले महीने टीटीपी के आतंकियों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू कंटोनमेंट सेंटर पर हमला कर कई लोगों को बंधक बना लिया था। पाकिस्तानी सेना ने लगभग 50 घंटे चले ऑपरेशन के बाद कंटोनमेंट सेंटर को दोबारा अपने कब्जा में ले लिया था। इस ऑपरेशन में 33 आतंकी ढेर हो गए थे। वहीं दो जवानों की भी मौत हो गई थी। 

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव के कारण
दोनों देशों के बीच तनाव का अहम कारण डूरंड रेखा का मुद्दा है। दरअसल, ब्रिटिश काल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच यह रेखा खींचा गया था। अफगानिस्तान ने इसे मानने से इनकार कर दिया था। अफगान की पिछली सरकार की तरह ही तालिबान भी इस रेखा को मानने से इनकार करता है।

हाल ही में पाकिस्तान ने विवादित सीमा के पास बाड़ लगाने की कोशिश की थी। उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए  हैं।

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कौन है तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी)
कई छोटे-छोटे आतंकी संगठनों से मिलकर बना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान एक चरमपंथी संगठन है।  साल 2007 में छोटे-छोटे आतंकी संगठनों ने मिलकर टीटीपी बनाया। इसे बैतुल्ला मसूद ने आगे बढ़ाया। टीटीपी पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय एक चरमपंथी संगठन है। 

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आतंकी संगठन अल कायदा से टीटीपी के गहरे संबंध माने जाते हैं। न्यूयार्क के टाइम्स स्कावयर पर हुए आतंकी हमले में भी इस संगठन का नाम आया था। पाकिस्तान के गृह मंत्री के अनुसार, टीटीपी के सात से 10 हजार लड़ाके अफगान सीमा से सटे मौजूद हैं। टीटीपी कबीलाई क्षेत्रों से सेना की वापसी और अपने कैद लड़ाकों की रिहाई की मांग करता है। 

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