तंगहाल पाकिस्तान में एक और संकट की चेतावनी, मचेगा हाहाकार!

पाकिस्तानी सरकार के लिए आर्थिक संकट की वजह से पैदा हुआ तेल संकट चिंता का विषय बन सकता है। पाकिस्तान के पेट्रोलियम डिविजन ने देश में मौजूदा पेट्रोलियम उत्पादों का भंडार के जल्द खत्म हो जाने की आशंका जताते हुए चेतावनी जारी की है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान की आर्थिक हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। इसी बीच पाकिस्तान के पेट्रोलियम डिविजन ने सेंट्रल बैंक को चेतावनी देते हुए कहा है कि देश में मौजूदा पेट्रोलियम उत्पादों का भंडार जल्द सूख सकता है, क्योंकि बैंक आयात के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (LCs) ही नहीं जारी कर रहे हैं। आने वाले वक्त में लोगों को पेट्रोलियम की दिक्कत से भी जूझना पड़ सकता है।
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दरअसल, अन्य सेक्टरों की तरह पाकिस्तान में तेल उद्योग की हालत भी खराब है। अमेरिकी डॉलर की कमी और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के प्रतिबंधों की वजह से पाकिस्तान के तेल उद्योग को लेटर ऑफ क्रेडिट (साख पत्र) को जारी कराने में परेशानियां आ रही हैं।
हालत यह है कि पाकिस्तान स्टेट ऑयल का एक कार्गो पहले ही कैंसिल हो चुका है, जबकि दूसरे तेल कार्गो का लेटर ऑफ क्रेडिड 23 जनवरी के लिए शेड्यूल किया गया, लेकिन उसका वैरिफिकेशन नहीं हो सका है।
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स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर को भेजा गया पत्र
पेट्रोलियम डिविजन की ओर से स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर को एक पत्र भेजा गया। पत्र में कहा गया कि लेटर ऑफ क्रेडिट यानी साख पत्र लेने में तेल रिफाइनरियों और मार्केटिंग कंपनियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार, तेल कंपनी पाक अरब रिफाइनरी लिमिटेड (Parco) की 5 लाख 35 हजार बैरल वाले दो क्रूड ऑयल कार्गो को अयात करने की योजना थी, लेकिन बैंक लेटर ऑफ क्रेडिट को जारी नहीं करना चाहते हैं।
वहीं पाकिस्तान रिफाइनरी लिमिटेड (PRL) का पांच लाख 32 हजार बैरल कच्चा तेल वाला एक कार्गो 30 जनवरी के लिए शेड्यूल है। हालांकि, अभी तक इसके लिए लेटर ऑफ क्रेडिट की पुष्टि नहीं की गई है। वहीं PSO के दो और पेट्रोल कार्गो भी स्थानीय बैंकों की पुष्टि की वजह से रुके हुए हैं।
तेल उद्योग से जुड़े एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बी एनर्जी, अटोक पेट्रोलियम जैसी कई बड़ी तेल कंपनियों के 18 कार्गो बुक हैं, लेकिन बैंकों की देरी की वजह से सब बीच में ही रुका हुआ है। इसको लेकर हाल ही के दिनों में कई मीटिंग भी की जा चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।
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13 जनवरी को सामने आया लेटर ऑफ क्रेडिट में देरी का पहला केस
पाकिस्तान के बैंकों की ओर से लेटर ऑफ क्रेडिट को इनकार करने का पहला मामला 13 जनवरी को सामने आया था। इसी मामले में फिर 17 जनवरी को एक बैठक में बातचीत की गई। इस बैठक की अध्यक्षता पेट्रोलियम सेक्रेटरी ने की। बैठक में ओएमसी (OMCs, तेल रिफाइनरी, तेल कंपनियों की एडवाइजरी काउंसिल, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान और ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी के प्रतिनिधि शामिल हुए।
17 जनवरी की मीटिंग में जैसे तय किया गया, उसी के अनुसार, 18 जनवरी को एक मीटिंग में जितने भी ऐसे लेटर ऑफ क्रेडिट हैं, जिनका तुरंत बनना जरूरी है, उनकी जानकारियां साझा की गईं। वहीं 19 जनवरी को एक और मीटिंग की गई, जिसमें यह सहमति जताई गई कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान इस मुद्दे को देखेगा और अगले दिन एक अन्य मीटिंग में अपनी प्रतिक्रिया देगा।
अगली मीटिंग पेट्रोलियम डिविजन के एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें डीजी (ऑयल), ओगरा चेयरमैन, पीएसओ के मैनेजिंग डायरेक्टर और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल हुए।
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लेटर ऑफ क्रेडिट की देरी पर क्या बोला पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक
सेंट्रल बैंक के अधिकारियों ने मीटिंग में कहा कि पाकिस्तान इस समय गंभीर नकदी संकट से गुजर रहा है। जाहिर तौर पर इसी चपेट में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान और कमर्शियल बैंक भी हैं, जिस वजह से कंपनियों को लेटर ऑफ क्रेडिट मिलने में देरी हो रही है।
मीटिंग में पाकिस्तान स्टेट ऑयल (PSO) के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि उनका 13 जनवरी के लिए जो कार्गो शेड्यूल था, वह लेटर ऑफ क्रेडिट में देरी की वजह से कैंसिल हो चुका है। वहीं दूसरा कार्गो जो 23 जनवरी के लिए शेड्यूल था, उसके लिए भी बैंक हिचकिचा रहे हैं।
वहीं डीजी ऑयल ने मीटिंग में कहा कि देश में तेल का सीमित भंडार रह गया है। अगर यह हालत रही तो जल्द ही इसका नतीजा गंभीर हो सकता है। डीजी ऑयल ने कहा कि स्टेट बैंक से आग्रह है कि जो लेटर ऑफ क्रेडिट जरूरी हैं, उनको लेकर अपनी ओर से जवाब दाखिल करे।
इसके साथ ही डीजी ऑयल ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर से उचित फैसला लेने का आग्रह किया। साथ ही कहा कि अगर वे इसमें कुछ मदद नहीं कर सकते हैं तो यह मुद्दा वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के संज्ञान में आना चाहिए।
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क्या होता है लेटर ऑफ क्रेडिट, जिसमें पाकिस्तान के बैंक कर रहे देरी
लेटर ऑफ क्रेडिट यानी मानक वाणिज्यिक साख पत्र एक ऐसा दस्तावेज होता है, जो किसी वित्तीय संस्थान जैसे बैंक की ओर से जारी किया जाता है। यह दस्तावेज बैंक से ग्राहक और लाभार्थी के बीच एक वित्तीय अनुबंध है। यह आमतौर पर आयातक के बैंक की ओर से जारी किया जाता है।
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