दुनिया की वो 5 जगहें, जहां रहने वाले जीते हैं 100 साल, साइंटिस्ट ने नाम दिया ब्लू जोन

धरती पर 5 ऐसी जगहें हैं, जहां रहने वाले नॉनजेनेरियन और सेंटिनेरियन हैं, यानी 90 और 100 साल की उम्र तक जीने वाले। इन इलाकों को ब्लू जोन्स कहा गया। दिलचस्प ये है कि यहां रहने वाले ज्यादातर लोगों की किसी बीमारी से नहीं, बल्कि उम्र की वजह से मौत होती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि इनके जीने में कुछ खास चीजें शामिल हैं।
नई दिल्ली। दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला ल्यूसिल रैंडन का 118 साल की उम्र में निधन हो गया है। साल 1904 में दक्षिणी फ्रांस में जन्मी रैंडन की मौत नींद में हुई। वे जापान की 119 साल की महिला केन तनेका की पिछले साल हुई मृत्यु के बाद दुनिया में सबसे उम्रदराज कहलाईं। फ्रांस और जापान के लोगों का नाम अक्सर ही सबसे ज्यादा जीने वालों की श्रेणी में आता है। इन देशों में कई ऐसे हिस्से हैं, जहां रहने वाले लगभग सभी सौ साल तक जीते हैं, अगर वे किसी हादसे का शिकार न हुए तो। ये हिस्से ब्लू जोन कहलाते हैं, जो लोगों की उम्र बढ़ा देते हैं।
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क्या है ब्लू जोन्स से लंबी उम्र का वास्ता
अमेरिकी लेखक डैन ब्यूटनर नब्बे के दशक के आखिर में दुनिया के उन हिस्सों को देखने लगे, जहां के लोग ज्यादा जीते हैं। उन्होंने ऐसे 5 इलाके खोजे, जिनकी आबादी की औसत आयु सामान्य से काफी ज्यादा थी। ब्यूटनर ने नक्शे पर इन इलाकों के चारों ओर ब्लू मार्क लगा दिया। तब से ही इन जगहों को ब्लू जोन कहा जाने लगा। ये वो हिस्से हैं, जहां रहने वाले लोग अगर किसी दुर्घटना या गंभीर बीमारी का शिकार न हो जाएं तो सौ साल तक जीते हैं। इसपर एक किताब भी लिखी गई- द ब्लू जोन्स, जिसमें लंबी जिंदगी के राज बताए गए।
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किस तरह की लाइफस्टाइल
वे कौन सी जगहें हैं, ये जानने से पहले जानिए, वो कौन से नियम हैं, जिनके कारण यहां के लोगों लाइफ एक्सपेक्टेंसी ज्यादा है। इनमें पहली चीज है- 80% का नियम। ब्लू जोन्स में रहने वाले लोग, चाहे वे बड़े हों, या बच्चे, पेट के 80% भरते ही रुक जाते हैं। अब ये 80% कैसे समझ आएगा! वो ऐसे कि खाते हुए जब लगे कि पेट भरने वाला है, तब खाना बंद कर दें। शाम को काफी हल्का खाना भी इसमें शामिल हैं ताकि रातभर आंतों को आराम मिल सके।
दोपहर का सोना, जिसे पावर नैप या सिएस्टा कहते हैं, ये भी ब्लू जोन का जरूरी हिस्सा है। यहां के लोग चाहे दफ्तर में रहें, या घर पर लगभग आधे घंटे की नींद जरूर लेते हैं। ब्लू जोन्स में जाएंगे तो दोपहर में वहां पार्क में सोए हुए लोग मिल जाएंगे तो लंच ब्रेक के बाद दौड़ते हुए दफ्तर भी जाएंगे। जमकर पैदल चलना और मौसमी स्पोर्ट भी इसमें शामिल है। यहां लोग सर्दियों में स्कीइंग तो गर्मी में क्लाइंबिंग करते हैं। लगभग हर बच्चे को स्विमिंग सिखाई जाती है, जो कि प्रैक्टिस में रहती है।
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कौन-कौन सी जगहें हैं ब्लू जोन में?
ग्रीस का इकारिया द्वीप इसमें शामिल है। समंदर से घिरा ये हिस्सा टर्की के पास लगता है। इकारिया को दुनिया में सबसे कम मिडिल-एज मॉर्टेलिटी और सबसे कम डिमेंशिया के लिए जाना जाता है। रिसर्च के मुताबिक यहां मेडिटरेनियन डायट फॉलो की जाती है, जिसमें हरी पत्तियां, ऑलिव शामिल हैं, जबकि बहुत छोटा हिस्सा मांस का होता है।
कोस्टा रिका का निकोया पेनिन्सुला ब्लू जोन्स में आता है। यहां के खाने में बीन्स और मक्का शामिल हैं। यहां के रहनेवाले रोज लगभग 10 किलोमीटर चलते हैं। साथ ही वे आध्यात्मिक ताकत के लिए भी कुछ न कुछ करते हैं, इसे plan de vida कहते हैं यानी आत्मा का मकसद।
ओकिनावा द्वीप भी ब्लू जोन से है। जापान के अंतर्गत आने वाले इस आइलैंड में दुनिया की सबसे ज्यादा उम्र की महिलाएं रहती हैं। आलू, सोया, हल्दी और करेला जैसी चीजें यहां खाने में ज्यादा खाई जाती हैं।
इटली के सार्डिनिया में एक जगह है ओग्लिआस्ट्रा, जहां दुनिया के सबसे ज्यादा उम्र वाले पुरुष मिलेंगे। ये पहाड़ी इलाका है, तो जाहिर है कि लोग खूब मेहनतकश हैं और दिनभर काम करने के बाद हेल्दी खाना और रेड वाइन पीते हैं।
पांचवां ब्लू जोन है कैलीफोर्निया का लोमा लिंडा इलाका। यहां रहने वाली कम्युनिटी प्रोटस्टेंट धार्मिक विचार रखती है। यहां के लोग आम अमेरिकियों से कम से कम 15 साल ज्यादा जीते हैं, जिसकी वजह यहां की डायट है। मोटा अनाज, फल-सब्जियां खाने वाले ये लोग शराब कम ही पीते हैं।
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क्या अमर हुआ जा सकता है
लंबी उम्र जीने के अलावा बहुत समय से हमेशा के लिए जीवित रह पाने पर भी खोजबीन चल रही है। साइंटिस्ट समझने की कोशिश में हैं अगर अमरता जैसा शब्द है, तो वो कहीं से कहीं से तो प्रेरित होगा। तो ऐसी क्या चीज है जो इंसानों को भी अमर कर सके। कोलिएशन ऑफ रेडिकल लाइफ एक्सटेंशन के डायरेक्टर अमेरिकी साइंटिस्ट जेम्स स्ट्रोल इसपर कहते हैं, अगर सही ढंग से रहा जाए तो इंसानी शरीर 125 सालों तक जिंदा रह सकता है, लेकिन अमरता के बारे में फिलहाल खोज ही चल रही है।
बीच में उम्रदराज लोगों में युवा खून डालकर कोशिकाओं में पुरानी ताकत डालने की कोशिश भी कई गई, लेकिन फेडरल ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इस प्रैक्टिस को गलत बताते हुए बंद करवा दिया था।
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टैलोमीटर की लंबाई बनाए रखने पर प्रयोग हो रहा
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिसर्च एंड डेवलपमेंट कंपनी 'केलिको लैब्स' पर गूगल ने भारी पैसे लगाए हैं ताकि डेथ को लंबे समय या हमेशा के लिए टाला जा सके। फिलहाल इसके लिए टैलोमीटर पर फोकस किया जा रहा है। ये DNA का वो स्ट्रक्चर है, जो हर क्रोमोजोम के दोनों सिरों पर होता है। जैसे-जैसे ये कॉपी होता जाता है, नई कोशिकाएं बनती हैं, लेकिन हर नई सेल्स के साथ ही टैलोमीटर की लंबाई भी घटती जाती है। फिर एक समय ऐसा आता है, जब नई कोशिकाएं बननी एकदम कम हो जाती हैं। तब हम बूढ़े हो जाते हैं। अगर किसी तरह से टैलोमीटर की लंबाई को बनाए रखा जा सके तो सेल्स का बनना नहीं रुकेगा और न ही उम्र बढ़ेगी।
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