'सबसे अधिक गुस्सैल' मध्य-पूर्व के ये देश, जानें किनका किनका है नाम

अमेरिकी कंपनी Gallup की हालिया Global Emotions Report में मध्य-पूर्व के देश लेबनान को सबसे अधिक गुस्से वाला देश बताया गया है। वहीं इराक इस रिपोर्ट में चौथे स्थान पर है और जॉर्डन का स्थान छठा है। इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
नई दिल्ली। अरब दुनिया के तीन देशों लेबनान, इराक और जॉर्डन को दुनिया के 'सबसे गुस्से' वाले देशों (World's angriest countries) में जगह दी गई है। अमेरिकी कंपनी Gallup की हालिया Global Emotions Report में लेबनान को सबसे अधिक गुस्से वाले देश का दर्जा दिया गया है। वहीं, मुस्लिम देशों में से इराक इस वार्षिक रिपोर्ट में चौथे स्थान पर है और जॉर्डन का स्थान छठा है।
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पीछे की वजह क्या?
दूसरे देशों की तरह ही ये अरब देश कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन, फूड-चेन सप्लाई पर रोक और यात्रा प्रतिबंधों से उबरने की कोशिश कर ही रहे थे कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने मुद्रास्फीति को और बढ़ा दिया। इससे गरीबों के लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी मुश्किल हो गया। ऊपर से राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार ने इन देशों के साथ-साथ दुनियाभर के लोगों में चिंता, गुस्सा, हिंसा, अशांति आदि को बढ़ावा दिया। गैलप के वोटिंग में पाया गया कि जनता का गुस्सा और बढ़ रहा है। रिपोर्ट पर विशेषज्ञों का कहना है कि इन देशों की सरकारों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
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विश्व भर में बढ़ रही नकारात्मकता
Gallup ने पहली बार 2006 में ये वार्षिक सर्वे शुरू किया था। इस सर्वे में 122 देशों की 15 साल और उससे बड़ी आबादी को शामिल किया जाता है।
Gallup के सर्वे में देखा गया है कि नकारात्मक भावनाएं - तनाव, उदासी, क्रोध, चिंता और दर्द - पिछले साल एक रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। वैश्विक स्तर पर 41 प्रतिशत वयस्कों ने कहा कि उन्होंने पिछले दिनों तनाव का अनुभव किया था। इस सर्वे से ये बात भी सामने आई कि साल 2021 अब तक का सबसे तनावपूर्ण साल रहा है।
मध्य-पूर्व की बात करें तो, पिछले एक दशक में, इन देशों में बड़े पैमाने पर विरोध, तख्तापलट, भ्रष्टाचार, घोटाले, युद्ध और बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है।
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लेबनान क्यों है 'सबसे गुस्से वाला देश'
Gallup Global Emotions Report में लेबनान के 49 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारणों से पिछले दिनों वो अधिक गुस्से में रहे।
2019 के बाद से, लेबनान अपना सबसे खराब वित्तीय संकट का दौर देख रहा है। उसकी मुद्रा में 95 प्रतिशत का अवमूल्यन हुआ है। वहां की अधिकतर आबादी गरीबी रेखा से नीचे आ गई है। लोगों को न तो पर्याप्त बिजली मिल पा रही है और न ही उनके पीने के लिए साफ पानी मिल रहा है।
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वहां का कुलीन वर्ग, जो सत्ता में है, उसकी संपत्ति में लगातार इजाफा हो रहा है और आम लोग गरीब होते जा रहे हैं। लोग इस संस्थागत भ्रष्टाचार से बेहद गुस्से में हैं और उनके इसी गुस्से की वजह है कि लेबनान विश्व का सबसे अधिक गुस्से वाला देश बन गया है।
अगस्त 2020 में राजधानी बेरुत के बंदरगाह पर हुआ भयंकर विस्फोट भी लोगों के गुस्से की एक बड़ी वजह है। बंदरगाह पर असुरक्षित गोदामों में रखे गए 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट की वजह से हुए धमाके ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। इसमें सैकड़ों लोगों का जान गई और हजारों घायल हुए। लोगों ने इस विस्फोट के लिए सरकार और प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार बताया। गरीबी, असुरक्षा आदि कारणों से कई लेबनानी देश भी छोड़ रहे हैं।
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इराक और जॉर्डन की कहानी भी कुछ ऐसी
इराक ने भी पिछले कुछ सालों में राजनीतिक अस्थिरता का दौर देखा। अक्टूबर 2021 में इराक में संसदीय चुनाव हुए थे जिसमें मुक्तदा अस सद्र के गठबंधन को सबसे अधिक सीटें मिली थीं। लेकिन इराक की राजनीतिक पार्टियों के बीच कई महीनों तक सहमति नहीं बन पाई जिससे सरकार का गठन नहीं हो पाया।
इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ा। वहां के 46 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो गुस्से से भरे हैं। इराक सबसे अधिक गुस्से वाले देशों में चौथे स्थान पर है।
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जॉर्डन भी लगातार बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहा है। कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने स्थिति को और विकराल कर दिया है। यहां के 35 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो हालिया स्थिति को लेकर गुस्से का अनुभव करते हैं। जॉर्डन इस लिस्ट में छठे स्थान पर है।
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