यूरोप को तेल देना रूस ने बंद किया, भारत के लिए उठाया ये कदम

रूस अपने आर्कटिक क्षेत्र से निकलने वाले तेल को ज्यादा मात्रा में अब भारत और चीन को बेच रहा है। प्राइस कैप की वजह से रूसी तेल सप्लाई पर यूरोपीय देशों की ओर से प्रतिबंध लगने के बाद भारत और चीन पर ही तेल कंपनियों की नजर है।
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच भारत के साथ रूसी तेल का कारोबार लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इस बीच खबर है कि रूस आर्कटिक क्षेत्र से निकलने वाले कच्चे तेल की सप्लाई को छूट के साथ भारत और चीन को बेच रहा है। पहले यह तेल यूरोप के देशों को बेचा जा रहा था, लेकिन पिछले महीने से यूरोपीय देशों ने तेल खरीदना बंद कर दिया जिसकी वजह से इसकी सप्लाई चेन दूसरे ग्राहकों की ओर मोड़ दी गई।
विज्ञापन: "जयपुर में निवेश का अच्छा मौका" JDA अप्रूव्ड प्लॉट्स, मात्र 4 लाख में वाटिका, टोंक रोड, कॉल 8279269659
दरअसल, दिसंबर में यूरोपियन यूनियन, जी-7 देशों के समूह और ऑस्ट्रेलिया ने रूसी तेल पर प्राइस कैप लगा दिया था। प्राइस कैप लागू करते समय कहा गया था कि अगर रूस इसे नहीं मानेगा तो उस पर कई और प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे। रूस ने प्राइस कैप को मानने से इनकार कर दिया। रूस ने कहा कि जो देश उसके तेल पर प्राइस कैप लगाएंगे, वह उसे तेल बेचना बंद कर देगा। इसके बाद आर्कटिक क्षेत्र से निकलने वाला जो कच्चा तेल यूरोप के देशों में भेजा जाता था, उसे रोक दिया गया। ऐसे में तेल कंपनियां नए खरीदारों की तलाश में जुट गईं।
सिंगापुर बेस्ड एक तेल कारोबारी ने इस बारे में कहा कि, पहले आर्कटिक तेल को यूरोपीय देशों में भेजा जाता था, लेकिन अब उसे कहीं और भेजना होगा।
यह खबर भी पढ़ें: 7 दिनों की विदेश यात्रा में फ्लाइट-होटल पर खर्च सिर्फ 135 रुपये!
मई से बढ़ती जा रही आर्कटिक तेल की सप्लाई
मालूम हो कि भारत को आर्कटिक तेल की सप्लाई मई 2022 से लगातार बढ़ती जा रही है। नवंबर में रिकॉर्ड मात्रा में आर्कटिक तेल भारत को बेचा गया। नवंबर में करीब 66 लाख बैरल तेल रूस ने भारत को निर्यात किया, जबकि दिसंबर में करीब 41 लाख बैरल तेल निर्यात किया गया। इसमें अधिकतर तेल आर्को और आर्को/नोवी पोर्ट का था।
वहीं आधिकारिक सूत्रों की मानें तो पिछले सप्ताह भारत ने आर्कटिक क्षेत्र के ही वरांडे क्रूड का पहला कार्गो रिसीव किया। इसे नवंबर के आखिरी सप्ताह में लोड करके भेजा गया था।
9 लाख बैरल के साथ यह कार्गो यूरोप और फिर स्वेज कैनाल होते हुए 27 दिसंबर को भारत के कोच्चि पोर्ट पर पहुंचा था। यह तेल भारतीय कंपनी भारत पेट्रोलियम को सप्लाई किया गया था।
यह खबर भी पढ़ें: 'दादी के गर्भ से जन्मी पोती' अपने ही बेटे के बच्चे की मां बनी 56 साल की महिला, जानें क्या पूरा मामला
भारतीय रिफाइनरी के एक सूत्र ने बताया कि रूस के पास कई ग्रेड का तेल है, जो भारतीय कंपनियों को ऑफर भी किया जा रहा है। भारतीय रिफाइनरी के सूत्र के अनुसार, मार्स और वेस्ट टेक्सास जैसे अमेरिकी तेल के मुकाबले आर्कटिक क्षेत्र के आर्को और नोवी पोर्ट के तेल में हर बैरल पर 10 डॉलर का ज्यादा मार्जिन है।
भारतीय रिफाइनरी से जुड़े एक अन्य सूत्र ने बताया कि, आर्कटिक क्षेत्र के वरांडे तेल की प्रोसेसिंग भारतीय रिफाइनरियों के लिए आसान है। अब भारत और चीन ही इसका मुख्य घर है।
यह खबर भी पढ़ें: महिला टीचर को छात्रा से हुआ प्यार, जेंडर चेंज करवाकर रचाई शादी
अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर लगाया प्राइस कैप
यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर प्राइस कैप लागू कर दिया गया है। प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल रखा गया है। पश्चिमी देशों ने प्राइस कैप को लेकर चेतावनी भी दी थी कि सभी को इस प्राइस कैप को मानना होगा और इसी आधार पर रूस से तेल खरीदना होगा।
यह खबर भी पढ़ें: 'मेरे बॉयफ्रेंड ने बच्चे को जन्म दिया, उसे नहीं पता था वह प्रेग्नेंट है'
हालांकि, भारत उन देशों में नहीं है जो पश्चिमी देशों के दबाव में आ गए। भारत खुलकर रूस के साथ तेल व्यापार कर रहा है, जो प्राइस कैप लगने से पहले भी जारी था और उसके बाद भी जारी है। दूसरी ओर, रूस ने भी पश्चिम के प्राइस कैप का खुलकर विरोध जताया है और कहा है कि वह किसी भी हाल में इस प्राइस कैप को नहीं मानेगा, जिसे किसी साजिश के तहत पश्चिमी देशों की ओर से थोपा जा रहा है।
Download app : अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप