अभी 2015 में ही चल रहा है एक देश, दुनिया से चलता है 7 साल से ज्यादा पीछे, क्या है वजह?

इथोपिया की एंबेसी की वेबसाइट के मुताबिक, इस अफ्रीकी देश ने 12 सितंबर 2007 को सहस्राब्दी वर्ष ( Millennium Year) का जश्न मनाया था। इथोपिया का अपना अलग कैलेंडर है। वहीं, पूरी दुनिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक तारीखें मानी जाती हैं। वहीं, अफ्रीकी देशों में ये इकलौता देश है, जो कभी गुलाम नहीं रहा।
नई दिल्ली। Journey to Past: पूरी दुनिया ने 1 जनवरी 2022 को नए साल का जश्न मनाया। भारत ने 26 जनवरी 2022 को अपना 74वां गणतंत्र दिवस सेलिब्रेट किया। वहीं, दुनिया का एक देश ऐसा भी है, जहां अभी नया साल आया ही नहीं है। इस अफ्रीकी देश में सितंबर 2022 में नया साल शुरू होगा। यही नहीं, इस देश में अभी 2022 नहीं, बल्कि 2015 चल रहा है। इस देश में बाकी दुनिया के 11 सितंबर 2023 की आधी रात से नया साल शुरू होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो अमूमन परेशानियों से घिरे रहने के कारण ही नहीं, बल्कि अपने कैलेंडर के कारण भी ये देश बाकी दुनिया से बहुत पीछे चल रहा है।
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इथोपिया के कैलेंडर को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर आप समय में पीछे लौटना चाहते हैं तो इस अफ्रीकी देश चले जाइए। अब ये सवाल उठना लाजिमी है कि ये देश बाकी दुनिया से 7 साल से ज्यादा पीछे क्यों चल रहा है? दरअसल, इथोपिया का कैलेंडर शेष दुनिया से बिलकुल अलग है। इस अफ्रीकी देश में जूलियस सीजर का बनाया जूलियन कैलेंडर चलता है। लिहाजा, इथोपिया में 12 के बजाय 13 महीने का एक साल होता है। वहीं, पूरी दुनिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर तारीख तय की जाती है। इथोपिया पूरी दुनिया में अकेला देश बचा है, जिसने ग्रेगोरियन कैलेंडर को मानने से इनकार कर दिया था।
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ग्रेगोरियन कैलेंडर को नहीं माना
ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत पोप ग्रेगोरी 13वें ने साल 1582 में की थी। उन्होंने जूलियन कैलेंडर में सुधार किया और 1 जनवरी को नया साल शुरू करने की व्यवस्था बनाई। उस समय कई देशों ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाने से इनकार करते हुए पुराने जूलियन कैलेंडर को ही मानने का फैसला किया था। इथोपिया भी उन्हीं में एक देश है। जूलियन कैलेंडर में 13 महीने का साल होता है। वहीं, इसके हर महीने में 30 दिन ही होते हैं। वहीं, 13 महीने को पाग्युमे कहा जाता है। इसमें पांच या छह दिन होते हैं। दरअसल, जूलियन और ग्रेगोरियन कैलेंडर को मानने वालों ने जीसस क्राइस्ट के जन्म के समय को अलग-अलग आंका है। इसीलिए ये अंतर दोनों कैलेंडर में दिखता है।
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कभी गुलाम नहीं रहा इथोपिया
पाग्युमे माह पूरे साल के उन दिनों को ध्यान में रखकर जोड़ा गया था, जो कुछ खास कारणों से वर्ष की गिनती में आते हैं। इथोपिया की एंबेसी की वेबसाइट के मुताबिक, इस अफ्रीकी देश ने 12 सितंबर 2007 को सहस्राब्दी वर्ष ( Millennium Year) का जश्न मनाया था। इथोपिया का अपना अलग कैलेंडर है। हालांकि, एक मामले में इथोपिया अमेरिका से भी आगे है। यहां समय अमेरिका से 7 घंटे आगे चलता है। वहीं, अफ्रीकी देशों में ये इकलौता देश है, जो कभी गुलाम नहीं रहा। हालांकि, ऐसा नहीं है कि इथोपिया पर कभी हमला नहीं हुआ है या उस पर कब्जा नहीं किया गया। कब्जे के बाद भी ये देश गुलाम नहीं बनाया जा सका।
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इटली ने दो बार किया हमला
इटली ने साल 1895 में तब के एबीस्सिनिया और आज के इथोपिया पनर हमला किया, लेकिन मुंह की खानी पड़ी। इसके एक साल बाद इटली ने फिर इथोपिया पर हमला किया। इस हमले में उसने इथोपिया के कुछ तटवर्ती इलाकों पर कब्जा कर लिया। हालांकि, फिर उन्हें अदवा के युद्ध में इथोपिया के हाथों करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। इस बार इथोपिया ने जबरन इटली से एक संधि पर हस्ताक्षर करा लिए। इसमें लिखा गया था कि इटली हमेशा इथोपिया की आजादी का सम्मान करेगा। लेकिन फासीवादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने इस संधि का उल्लंघन किया और पांच साल के लिए इथोपिया पर कब्जा कर लिया। हालांकि, जल्द ही उसे इथोपिया से सबकुछ समेटना पड़ा।
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