सैलरी के पैसे नहीं, गैस सिलेंडर 10 हजार में... क्या श्रीलंका बन जाएगा पाकिस्तान?

पाकिस्तान में बिजली खपत कम करके पैसे बचाने की मुहिम तेज हो गई है। विभागों के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं हैं। अप्रैल 2022 में आई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट देखें तो देश की लगभग 34 फीसदी आबादी केवल 3.2 डॉलर यानि 588 पाकिस्तानी रुपये प्रतिदिन की आय पर अपना जीवन जीने को मजबूर है।
नई दिल्ली। हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका (Sri Lanka) की हालत से हर कोई वाकिफ है, कैसे सोने की लंका देखते ही देखते कंगाल हो गई। कुछ ऐसे ही हालात नजर आ रहे हैं दूसरे पड़ोसी पाकिस्तान (Pakistan) में।।।जहां आर्थिक बदहाली (Economic Crisis) का आलम ये है कि बाजार, शादी हॉल जल्द बंद करने की नौबत आ गई। यही नहीं देश में एलपीजी गैस प्लास्टिक (LPG In Plastic Bags) के थैलों में लाई जा रही है। आइए समझते हैं कैसे श्रीलंका की राह पर चल रहा है पाकिस्तान?
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वित्तीय संकट में फंस गया पाकिस्तान
जहां एक ओर श्रीलंका (Sri Lanka) चीन के कर्ज तले दबकर कंगाली की कगार पर पहुंच गया। वहीं पाकिस्तान पर भी कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में कमी आती जा रही है। डॉन के मुताबिक, मार्च 2022 तक पाकिस्तान का कुल कर्ज लगभग 43 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये हो चुका था। इसमें सबसे ज्यादा लेनदारी इमरान खान के कार्यकाल में रही। उन्होंने 3 ही साल में अपनी जनता पर रोज लगभग 1400 करोड़ रुपए का कर्ज डाला। कुल मिलाकर पाकिस्तान की इकोनॉमी अपने सबसे बुरे दौर में है।
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विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
देश का विदेशी मुद्रा भंडार बीते महीने 294 मिलियन डॉलर तक कम होकर 5।8 अरब डॉलर रह गया है। बाहरी कर्ज के भुगतान के चलते ये कमी दर्ज की जा रही है। गौरतलब है कि श्रीलंका में भी लगातार कम होता गया विदेशी मुद्रा भंडार इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का कारण बना है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2022-23 के जुलाई-अक्टूबर तिमाही के दौरान पाकिस्तान का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 1।5 फीसदी रहा। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ख्वाजा ने भी कहा है कि देश 'गंभीर' स्थिति से गुजर रहा है।
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सरकारी खजाने को बचाने की कवायद
पीटीआई के मुताबिक, Pakistan की शहबाज शरीफ सरकार (Shehbaz Sharif Govt) ने पैसे बचाने और देश के सरकारी खजाने पर बढ़ रहे बोझ को कम करने के उपायों के तहत कई त्वरित कदम उठा रहा है। Pak Economy का हाल ऐसा हो चुका है, आम नागरिक को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में भी देश असमर्थ सा नजर आ रहा है। वित्तीय बोझ को कम करने के लिए बिजली बचाने की मुहिम तेज हो गई है। अब 'वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी' लागू करके सरकारी कार्यालयों में बिजली का उपयोग कम हो। जुलाई 2023 तक इलेक्ट्रिक पंखों का उत्पान सस्पेंड रखा जाएगा, जबकि बल्ब का उत्पादन बंद करने का फैसला किया गया है।
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प्लास्टिक बैग्स में LPG
पाक की बदहाल आर्थिक स्थिति (Pakistan Economic Crisis) का संकेत एक और सेक्टर में मिल रहा है। यहां लोगों को प्लास्टिक के गुब्बारों और प्लास्टिक बैग्स में LPG (रसोई गैस) लेने को मजबूर हैं। बीते दिनों सोशल मीडिया इस तरह के कई वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के निवासियों को प्लास्टिक की थैलियों में रसोई गैस भरते और ले जाते दिखाया गया है। इस तरह से लोग रसोई गैस की कमी के चलते इसका भंडारण कर रहे हैं। एलपीजी आपूर्ति में कमी के कारण हंगू जैसे कई शहर के लोग बीते कुछ समय से बिन गैस के जीवन-यापन करने को मजबूर हैं। रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में कमर्शियल गैस सिलेंडर 10,000 पाकिस्तानी रुपये में मिल रहा है।
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बाजार जल्दी बंद, दिन के उजाले में मीटिंग
गंभीर नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने बढ़ते कर्ज को काबू में रखने के लिए मंगलवार को विभिन्न उपायों की घोषणा की। इनमें बाजारों और मैरिज हॉल को जल्दी बंद करना भी शामिल है। कैबिनेट ने ऊर्जा बचाने और आयातित तेल पर निर्भरता कम करने के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण योजना को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री के मुताबिक, बाजार रात 8।30 बजे बंद हो जाएंगे, जबकि मैरिज हॉल 10 बजे बंद होंगे। उन्होंने कहा कि इससे 62 अरब रुपये बच सकेंगे। आसिफ ख्वाजा ने कहा कि पाकिस्तान बिजली की खपत के मौजूदा स्तर को बनाए रखने में सक्षम नहीं है। इसलिए देश भर में सभी सरकारी मीटिंग्स दिन में ही होंगी।
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कर्मचारियों को पड़े वेतन के लाले
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली का एक और बड़ा संकेत ये है कि यहां सरकार के पास कर्मचारियों को सैलरी देने तक के लिए पैसे नहीं है। रेलवे डिपार्टमेंट की हालत सबसे ज्यादा खराब है। सरकार के पास पिछले एक साल में रिटायर हुए अधिकारियों को ग्रेच्युटी देने के लिए पैसे नहीं हैं, जो कि करीब 25 अरब रुपये है। यही नहीं रेलवे अपने एंप्लाई को सैलरी और रिटायर कर्मचारियों को नियमित पेंशन तक नहीं दे पा रही है। इस सेक्टर में कार्यरत कर्मचारियों की तनख्वाह जहां महीने की पहली तारीख को आ जाती थी, वहीं अब ये 20 दिन की देरी से मिल पा रही है।
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