Iran: बेटी से मां को दिलाई फांसी, 13 साल तक खुद को अनाथ मानती रही 19 साल की बेटी, जाने क्या था मामला

नई दिल्ली। ईरान में एक महिला को उसकी ही बेटी ने फांसी दी। यह सजा ईरान के कानून के मुताबिक दी गई। सजा-ए-मौत पाने वाली महिला का नाम मरियम करीमी है। 13 साल पहले मरियम ने पति की हत्या की थी। कत्ल में मरियम के पिता ने भी मदद की थी। उसको भी फांसी पर लटकाने का हुक्म था, लेकिन उसकी पहले ही मौत हो गई।
मां को फांसी देने वाली बेटी को 13 साल तक पता ही नहीं था कि उसके मां-बाप हैं भी या नहीं। वह 6 साल की उम्र से ही दादा-दादी के साथ रहती थी। दादा-दादी ने उसे उसके मां-बाप के बारे में कभी बताया ही नहीं। ईरान में हत्या की सजा बेहद सख्त है। इसके लिए कई तरह के कानून हैं। कई मानवाधिकार संगठन इन पर रोक की मांग कर चुके हैं, लेकिन सरकार इन्हें बदलने तैयार नहीं है।
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दबाव में दी मां को दर्दनाक मौत
‘ईरान वायर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मरियम को बुर्के में फांसी के तख्ते तक लाया गया। गले में फंदा डाला गया। पैर एक कुर्सी पर टिके थे। मरियम की बेटी से कहा गया कि वो कुर्सी को लात मारकर हटा दे, ताकि मां फंदे पर लटक जाए और उसकी मौत हो जाए। बेटी ने जेल और लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के दबाव में आकर वही किया, जो वह आदेश दे रहीं थीं।
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आखिर मामला क्या था
- घटना 2009 की है। शादी के बाद से ही मरियम का पति उस पर जुल्म करता था। मारपीट और भूखा रखना रोज की बात थी। मरियम के पिता इब्राहिम ने दामाद को समझाने की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन वह हैवानियत से बाज नहीं आया। मरियम का पति उसे तलाक देने को भी तैयार नहीं था।
- पानी सिर से ऊपर हो चुका था। मरियम इस जुल्म-ओ-सितम से परेशान हो चुकी थी। उसने पति को मारने का प्लान बनाया और पिता की मदद से इसे अंजाम दिया। उस वक्त मरियम की बेटी महज 6 साल की थी।
- मरियम और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया। शरिया अदालत ने उन्हें सजा-ए-मौत का ऐलान किया। मरियम की 6 साल की बेटी इस दौरान दादी के पास रही। उसे हमेशा यही बताया गया कि उसके माता-पिता मर चुके हैं।
- 22 फरवरी 2021 को मरियम और इब्राहिम को उसे जेल में ट्रांसफर किया गया, जहां उन्हें फांसी दी जानी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, फांसी पर लटकाने में इतना वक्त क्यों लगा? इसकी जानकारी नहीं दी गई।
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ईरान का कानून
- ईरान के इस्लामिक कानून के मुताबिक, सरकार और प्रशासन के बजाए मारे गए शख्स के रिश्तेदारों को यह तय करने का अधिकार है कि कातिल को क्या सजा दी जाए।
- इसमें सबसे बर्बर तरीका है किसास (qisas), इसे आप आंख के बदले आंख या खून का बदला खून भी कह सकते हैं। इसके अलावा अरब मुल्कों की तर्ज पर यहां ‘ब्लड मनी’ का भी कानून है। ब्लड मनी के तहत अगर मारे गए व्यक्ति का परिवार या रिश्तेदार एक तय रकम कातिल से लेकर उसे माफ कर देते हैं।
- एक और अरेंजमेंट फॉरगिवनेस यानी माफी या क्षमा का भी है। इसमें मारे गए व्यक्ति का परिवार दोषी को बिना शर्त माफी देकर उसे रिहा करा सकता है।
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इस मामले में क्या हुआ
- ‘द मिरर’ के मुताबिक, मरियम के मामले में यह साफ नहीं है कि उसकी बेटी को अथॉरिटीज ने क्या बताया और क्या नहीं? यह सवाल इसलिए, क्योंकि बेटी ने मां को माफ करने के बजाए फांसी दे दी। सजा का फैसला करने वाली भी अकेली शख्सियत थी।
- ईरान ह्यूमन राइट्स के डायरेक्टर महमूद आमिरी कहते हैं- ईरान के कानून सिर्फ बर्बरता है। इससे समाज में हिंसा बढ़ रही है। कई मामले ऐसे हैं जिनमें एक ही परिवार में कई कत्ल होते हैं।
- सजा पाने या सजा देने के लिए सरकार और प्रशासन 18 साल की उम्र तक (अगर दोषी या पीड़ित कम उम्र का हो। जैसा मरियम की बेटी के मामले में हुआ) इंतजार करते हैं।
- आमिरी आगे कहते हैं- शर्म की बात ये है कि हमारे मजहबी रहनुमा (धार्मिक नेता) इन हैवानियत वाले कानूनों को सही और पवित्र बताते हैं।
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ये भी जानना अहम
- ब्रिटिश वेबसाइट ‘द सन’ के मुताबिक, मरियम को फांसी 13 मार्च को दी गई थी। दुनिया को मामले की जानकारी अब मिली है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, मरियम की बेटी ने मां को माफी देने से इनकार कर दिया था।
- ‘द सन’ के ही मुताबिक, ईरान में 9 साल या इससे ज्यादा उम्र की लड़कियों और 15 साल या इससे ज्यादा उम्र के किशोरों को किसी अपराध के लिए दोषी करार दिया जा सकता है।
- ईरान इंटरनेशनल टीवी के मुताबिक, 2019 में कुल 225 पुरुषों और महिलाओं को फांसी पर लटकाया गया था। इनमें से 68 तो एक ही जेल में दी गईं।
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