ईरान में भारत ने बनाया चाबहार बंदरगाह, फायदा उठा रहा चीन, पहली बार पहुंचा सामानों से भरा जहाज, समझें खतरा

 
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China Vs India Iran Chabahar Port: चीन ने भारत को ईरान में बड़ा झटका दिया है। चीन का मालवाहक जहाज पहली बार ईरान के चाबहार बंदरगाह पहुंचा है जहां पर भारत ने अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है। ईरान ने इस बंदरगाह पर अब चीन के जहाजों को भी आने के अनुमति दे दी है।

 

तेहरान। हिंद महासागर में भारत को घेरने में जुटे चीन ने अब ईरान में बड़ी चाल चली है। चीन का मालवाहक जहाज सामान लेकर सीधे ईरान के चाबहार बंदरगाह पहुंचा है। यह वही बंदरगाह है जहां भारत ने अरबों डॉलर का निवेश किया है। यही नहीं भारत की योजना है कि इसी चाबहार बंदरगाह के जरिए ही आने वाले समय में रूस और मध्‍य एशिया के देशों किर्गिस्‍तान, उज्‍बेकिस्‍तान, ताजिकिस्‍तान के साथ व्‍यापारिक रिश्‍ते को मजबूत किया जा सके। भारत ने हाल ही में इस बंदरगाह पर अपनी कई शक्तिशाली क्रेन को भेजा था।

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ईरानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिणी ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह पर पहली बार सीधे तौर पर चीन का मालवाहक जहाज पहुंचा है। चाबहार फ्री जोन के सीईओ अमीर मोकद्दम ने कहा कि शरिवार को इस चीनी जहाज से सामानों का उतारा जाना शुरू हो गया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन सीधे ईरान में भारत के बनाए चाबहार बंदरगाह से जुड़ गया है। इससे पहले तक चीनी जहाज सामान लेकर ईरान के बंदर अब्‍बास पोर्ट तक जाते थे और वहां से सामानों को छोटे-छोटे जहाजों में लादकर चाबहार तक पहुंचाया जाता था।

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चीन चाबहार तक पहुंच गया, भारत को खतरा
मुकद्दम ने कहा कि इस जहाज की क्षमता 6500 कंटेनर की है। उन्‍होंने कहा कि इस जहाज को चाबहार में उतारे जाने से लोडिंग का खर्च कम होकर 400 डॉलर तक पहुंच जाएगा। साथ ही सामान भी उसके मालिक तक 10 दिन पहले पहुंच जाएगा। मुकद्दम ने कहा कि अब व्‍यापारी आगे से कोई भी सामान चीन से सीधे चाबहार बंदरगाह तक आसानी से और कम दाम में मंगा सकते हैं। ईरान और चीन में इस बढ़ते गठजोड़ के बीच विशेषज्ञों ने भारत को चेतावनी दी है।

भारत के पूर्व एम के भंडारकर का मानना है कि चीन अब चाबहार तक पहुंच गया है। भारत की चाबहार पर से पकड़ कमजोर पड़ रही है। इसकी वजह यह है कि ईरान हताशा में अब चीन की शरण में चला गया है और यह निश्चित है कि चीन हमसे आगे चल रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत ने जो वादा ईरान से किया था, उसे पूरा करने में फेल रहा है। वहीं सैन्‍य विश्‍लेषकों का कहना है कि चीन चाबहार को सीपीईसी से जोड़ सकता है। यह वही सीपीईसी है जिसे चीन पाकिस्‍तान में चला रहा है और इसे मात देने के लिए भारत ने चाबहार में अरबों का निवेश किया है।

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रूस से ईरान के रास्‍ते सामान भारत तक पहुंचे रहे
भारत चाबहार के रास्‍ते ही अभी रूस से बड़े पैमाने पर व्‍यापार शुरू करने जा रहा है। पिछले दिनों पहली बार रूस से ईरान के रास्‍ते सामान भारत के मुंबई बंदरगाह पहुंचा था। इस पूरे कॉरिडोर को इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर नाम दिया गया है। इसे साल 2000 में शुरू किया गया था जिसके जरिए बाल्टिक सागर को हिंद महासागर से जोड़ दिया गया है। इससे ईरान और रूस दोनों ही अमेरिकी प्रतिबंधों से बच जा रहे हैं।

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