पूरी दुनिया के सामने शहबाज शरीफ ने खुद करा ली अपनी किरकिरी, हुए शर्मिंदा

विदेशी कर्ज के तले दबा पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बार-बार कर्ज की अगली किस्त जारी करने की गुजारिश कर रहा है। पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने इसे लेकर IMF प्रमुख से फोन पर बात भी की है। अब इस बातचीत को लेकर ही विवाद खड़ा हो गया है क्योंकि शरीफ ने फोन कॉल को लेकर झूठे दावे कर दिए हैं।
नई दिल्ली। पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर है लेकिन अब भी वो अपने बड़बोलेपन और ओछी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। अपनी डूबती नैया बचाने के लिए वो जिस अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का मुंह ताक रहा है, उसी के साथ उसने राजनीति करनी शुरू कर दी है। पाकिस्तानी पीएम ने हाल ही में कहा कि आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने फोन कर उनसे आर्थिक स्थिति पर बात की। लेकिन अब आईएमएफ की तरफ से कहा गया है कि पाकिस्तान का ये दावा झूठा है, बल्कि खुद पीएम शरीफ ने आईएमएफ प्रमुख से फोन पर बातचीत का अनुरोध किया था।
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क्या कहा IMF ने?
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, IMF ने रविवार को कहा कि क्रिस्टलिना जॉर्जीवा और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच कॉल पर बातचीत पीएम के अनुरोध पर हुई। IMF के रेजिडेंट प्रतिनिधि एस्तेर पेरेज ने कहा, 'फोन पर ये बातचीत पाकिस्तान की खराब स्थिति पर होनेवाले जेनेवा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पर चर्चा के लिए हुई। कॉल का अनुरोध पाकिस्तानी पीएम ने किया था।'
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पाकिस्तानी पीएम के दावे गलत साबित हुए
शुक्रवार को हजारा इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी (HAZECO) के उद्घाटन समारोह में पीएम शरीफ ने अपने भाषण के दौरान दावा किया था कि IMF प्रमुख ने उनसे संपर्क किया था। इसके बाद पीएम कार्यालय की तरफ से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 'IMF प्रमुख ने पीएम शहबाज शरीफ को फोन किया था।
पीएम ने शुक्रवार को ये भी दावा किया था कि आईएमएफ का एक प्रतिनिधिमंडल दो से तीन दिनों में पाकिस्तान आ जाएगा, जो पाकिस्तान को आपातकालीन लोन की अगली किस्त जारी करने पर समीक्षा वार्ता करेगा।
उन्होंने कहा, 'मैंने उनसे (IMF प्रमुख से) लंबित 9वीं समीक्षा को पूरा करने के लिए आईएमएफ की एक टीम भेजने के लिए कहा ताकि लोन की अगली किश्त जारी की जा सके। उन्होंने आश्वासन दिया कि टीम अगले दो से तीन दिनों में पाकिस्तान का दौरा करेगी।'
In a phone call with Managing Director of the IMF yesterday, I told her about the government's resolve to complete the terms of IMF's program. I also explained Pakistan's economic difficulties especially after the devastating floods. IMF delegation will come to Pakistan soon.
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) January 7, 2023
IMF के एक प्रवक्ता ने मीडिया को दिए गए एक बयान में पीएम के इस दावे को भी झुठला दिया। प्रवक्ता ने अपने बयान में इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि लोन की किस्त जारी करने के लिए कोई टीम अगले तीन दिनों में 9वीं समीक्षा बैठक के लिए पाकिस्तान आएगी।
प्रवक्ता ने कहा, 'IMF की टीम कुछ मुद्दों और आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए जेनेवा सम्मेलन के मौके पर वित्त मंत्री इशाक डार से मिलने की उम्मीद है।'
उन्होंने आगे कहा, 'पीएम शरीफ और IMF प्रमुख के बीच सकारात्मक बातचीत हुई है। दोनों के बीच पाकिस्तान की खराब स्थिति पर 9 जनवरी, सोमवार को जेनेवा में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के संदर्भ में बात हुई।
उन्होंने कहा कि IMF प्रमुख ने एक बार फिर पाकिस्तान के बाढ़ पीड़ितों के प्रति अपनी सहानुभूति जाहिर की और उनके लिए पाकिस्तान सरकार के प्रयासों की सराहना की।
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डिफॉल्ट का खतरा लेकिन झूठे दावों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बस तीन सप्ताह के आयात के लिए पर्याप्त है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने हाल ही में बताया कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार छह अरब डॉलर से भी कम रह गया है। पाकिस्तान को तीन महीने (जनवरी-मार्च) के भीतर 8।5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात का दो अरब डॉलर शामिल है। बावजूद इसके पाकिस्तान की सरकार झूठे दावे कर IMF के सामने अपनी साख गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
पाकिस्तान के पीएम की तरफ से इस तरह के तथ्यात्मक रूप से गलत बयान देश के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। वैसे भी पाकिस्तान और IMF के बीच अविश्वास का एक लंबा इतिहास रहा है। पाकिस्तान आपातकालीन कर्ज की किस्त जारी करने के लिए IMF से जो वादे करता है, किस्त जारी होने के बाद उन सबको तोड़ देता है। पाकिस्तान की इसी प्रवृति के कारण IMF उस पर भरोसा नहीं कर पा रहा।
पाकिस्तान और IMF के बीच 9वीं समीक्षा वार्ता पिछले साल अक्टूबर से ही लंबित है। वार्ता सफल नहीं होने के कारण IMF ने 1।1 अरब डॉलर की लोन की किश्त रोक दी है। पाकिस्तान IMF की शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहा जिससे वार्ता आगे नहीं बढ़ पा रही है। IMF चाहता है कि पाकिस्तान सरकार अपने खर्च में कटौती करे, आयात पर प्रतिबंध लगाए, अतिरिक्त कर लागू करे और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी करे।
पाकिस्तान चाहता है कि 9वीं समीक्षा वार्ता जल्द से जल्द सफल हो ताकि उसे IMF के कर्ज के साथ-साथ विश्व बैंक और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) भी कर्ज दे सकें।
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मित्र देश भी नहीं कर रहे पाकिस्तान की आर्थिक मदद
आर्थिक बदहाली से परेशान पाकिस्तान की मदद उसके मित्र समझे जाने वाले चीन और सऊदी अरब भी नहीं कर रहे हैं। पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह ने इसके लिए IMF की कठिन शर्तों को जिम्मेदार बताया है।
उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान IMF की शर्तों को पूरा नहीं करता है तो देश की आर्थिक स्थिति गर्त में चली जाएगी और मित्र देश भी मदद नहीं कर पाएंगे। वहीं, अगर पाकिस्तान IMF की कठिन शर्तों को मान लेता है तो मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ेगी और पहले से बढ़ी कीमतें एक ही झटके में और बढ़ जाएंगी।
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