पाकिस्तान के कराची फूड फेस्टिवल में भारी बवाल, आपस में भिड़ीं लड़कियां, बाल नोचे

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि फेस्टिवल के दौरान जमकर हाथापाई हो रही है। लोगों को बैरिकेड तोड़कर वेन्यू पर घुसते देखा जा सकता है। फेस्टिवल से अराजकता और छेड़छाड़ के मामले भी सामने आए। लड़कियों को आपस में भिड़ते और एक दूसरे से बाल नोचते देखा गया।
नई दिल्ली। पाकिस्तान के कराची में रविवार को ईट फेस्टिवल (Eat Festival) खत्म हुआ। हर साल होने वाला यह फेस्टिवल इस बार खासा चर्चा में रहा क्योंकि इस बार यहां लड़कियों से छेड़छाड़ के मामले सामने आए। साथ में लड़कियों के बीच जमकर हाथापाई हुई और बाल नोचे गए। हजारों की संख्या में लोग बैरिकेडिंग तोड़कर फेस्टिवल में घुस आए और उत्पात मचाया।
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सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि फेस्टिवल के दौरान लोगों में हाथापाई हो रही है। लोगों को बैरिकेड तोड़कर वेन्यू पर घुसते देखा जा सकता है। फेस्टिवल से अराजकता और छेड़छाड़ के मामले भी सामने आए।
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बैरिकेडिंग तोड़ डाले
पाकिस्तान डेली वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल कराची ईट फेस्टिवल में अराजकता और उत्पीड़न के मामले सामने आए। हजारों की संख्या में लोग बैरिकेडिंग तोड़कर फेस्टिवल में घुस आए, जिस वजह से म्यूजिक परफॉर्मेंस और अन्य कार्यक्रमों को रोकना पड़ा।
वहीं, दूसरी तरफ लड़कियों के बीच जमकर हाथापाई हुई। ये लड़कियां एक-दूसरे के बाल खींचती नजर आई। वहीं, साउथ एशिया मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक वीडियो ट्वीट कर बताया कि कराची ईट फेस्टिवल में कुछ महिलाओं के बीच जमकर हाथापाई हुई।
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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बीते कुछ समय से बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। देश में महंगाई ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार बहुत नीचे लुढ़क गया है। पाकिस्तान की मुद्रा का लगातार डिवैल्यूवेशन (अवमूल्यन) हो रहा है। पाकिस्तान का निर्यात भी घट रहा है और ऐसे में देश के पास इतनी पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं है कि वह आयात के लिए भुगतान कर सके। अफगानिस्तान और ईरान से आयात भी कम हुआ है क्योंकि पाकिस्तान के पास इसके लिए भुगतान करने का पैसा नहीं है।
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को इससे पहले भी काफी कर्ज दे चुका है। 2019 में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 6 अरब डॉलर का कर्ज लेने का समझौता किया था। यह राशि पाकिस्तान को तीन सालों में किश्तों में दी जानी थी। हालांकि, इसी दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक निर्णय को आईएमएफ के शर्तों का उल्लंघन करार देते हुए संस्था की ओर से कर्ज जारी रखने पर रोक लगा दी गई थी।
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