जनरल जिया का चेला असीम मुनीर पाकिस्‍तानी सैनिकों में 'गुरु' की तरह है, भारत की राह में बिछाएगा कांटे?

 
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Asim Munir Islam In Pakistan Army: पाकिस्‍तानी सेना का नया प्रमुख असीम मुनीर देश के तानाशाह जन‍रल जिया उल हक की तरह ही कट्टरपंथी सोच वाला है। जनरल मुनीर अपने सैनिकों के बीच गुरु की हैसियत रखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुनीर के आने से सेना में कट्टरपंथ बढ़ सकता है और यह भारत के लिए भी ठीक नहीं है।

इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान में लंबे सियासी जंग के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इमरान खान के विरोधी लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर को नया आर्मी चीफ नियुक्‍त किया है। पाकिस्‍तानी तानाशाह जनरल जिया उल हक के कट्टरपंथी 'स्‍कूल' से निकले जनरल मुनीर की छवि भी बहुत कट्टर मानी जाती है। आलम यह है कि कुरान को पूरी तरह से याद करने वाला जनरल मुनीर अपने मातहत पाकिस्‍तानी सैनिकों में 'गुरु' की हैसियत रखता है। जनरल मुनीर अपने उसूलों को लेकर इतना सख्‍त है कि पाकिस्‍तानी नेता भी भय खाते हैं। आईएसआई चीफ रहने के दौरान मुनीर ने एजेंसी के विरोधी हाई कोर्ट के जज को बर्खास्‍त करा दिया था। जनरल मुनीर ने ही आईएसआई चीफ रहने के दौरान भारत के पुलवामा में भीषण हमला कराया था। बालाकोट हमले के दौरान भी जनरल मुनीर आईएसआई का चीफ था। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या भारत और पाकिस्‍तान के संबंध खराब होंगे या अभी निकट भविष्‍य में कोई खतरा नहीं है। आइए समझते हैं...

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विश्‍लेषकों का कहना है कि इस मुल्‍ला जनरल के पाकिस्‍तानी सेना का चीफ बनने से सैनिकों में इस्‍लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल सकता है। अब यह भी खतरा है कि जनरल मुनीर पूरी पाकिस्‍तानी सेना में 'धर्म' की हैस‍ियत न हासिल कर ले। अगर ऐसा होता है तो यह न केवल पाकिस्‍तानी लोकतंत्र के लिए बल्कि भारत के लिए भी बड़ा खतरनाक होगा। आईएसआई चीफ रहने के दौरान जनरल मुनीर से पंगा लेने वाले हाई कोर्ट के जज शौकत अजीज को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था। दरअसल, इस जज ने पूर्व पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अयोग्‍य ठहराने और उन्‍हें जेल में डालने के लिए आईएसआई की आलोचना की थी। इससे भड़के जनरल मुनीर ने जज को ही बर्खास्‍त करवा दिया।

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नवाज शरीफ को पनामा पेपर लीक मामले में जेल भिजवाया
रोचक बात यह है कि जिस जनरल मुनीर को शहबाज शरीफ ने पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख बनाया है, उसी ने आईएसआई चीफ रहने के दौरान उनके भाई नवाज शरीफ को पनामा पेपर लीक मामले में जेल भिजवाया था। उस समय इमरान खान और बाजवा दोनों ही नवाज शरीफ से हिसाब बराबर करना चाहते थे और आईएसआई चीफ ने इसे अंजाम दिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि आईएसआई चीफ रहने के दौरान भले ही जनरल मुनीर ने पुलवामा हमले की साजिश रची हो लेकिन सेना प्रमुख बनने के बाद वह फिलहाल भारत से दुश्‍मनी बढ़ाने की कोशिश नहीं करेंगे। इसकी वजह यह है कि पाकिस्‍तान इन दिनों डिफॉल्‍ट होने की कगार पर है। पाकिस्‍तान में आई विनाशकारी बाढ़ से आधा मुल्‍क बर्बाद हो चुका है। पाकिस्‍तान को दुनियाभर से आर्थिक मदद के लिए झोली फैलानी पड़ रही है।

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पाकिस्‍तान में भारत के राजदूत शरत सभरवाल का मानना है कि फिलहाल कुछ समय के लिए जनरल मुनीर भारत के खिलाफ दुश्‍मनी को नहीं भड़काएंगे। उन्‍होंने कहा कि मुनीर को अभी कई सारी चुनौतियों से जूझना पड़ेगा। न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में शरत सभरवाल ने कहा, 'पाकिस्‍तान इन दिनों गंभीर राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इमरान खान को हटाए जाने के बाद से देश में पाकिस्‍तानी सेना की छवि बहुत खराब हो गई है। पाकिस्‍तानी सेना की मदद से ही इमरान खान को हटाया गया था। पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रांत और आदिवासी इलाके में विद्रोहियों ने पाकिस्‍तानी सेना के नाक में दम कर रखा है। इस इलाके में तहरीक-ए-तालिबानी आतंकी सक्रिय हैं। पाकिस्‍तान के नए सेना प्रमुख को अपनी सेना की बर्बाद हो चुकी छवि को सुधारने की चुनौती होगी।'

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पाकिस्‍तानी सेना 'ट्रेड यूनियन' की तरह से करती है काम
शरत शभरवाल ने कहा कि जनरल भारत के साथ सीजफायर जारी रखने को बढ़ा सकते हैं। भारत और पाकिस्‍तान की सेना के बीच फिर से सीजफायर को फरवरी 2021 में बाजवा ने मंजूरी दी थी। उन्‍होंने कहा कि इमरान खान जनरल मुनीर के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं और दोनों के बीच रिश्‍ते को लेकर हमें अभी इंतजार करना होगा। उन्‍होंने कहा क‍ि मुनीर अभी राजनीतिक मामलों में हस्‍तक्षेप से परहेज कर सकते हैं। मुनीर का अभी सबसे ज्‍यादा फोकस पाकिस्‍तानी सेना की छवि को सुधारना होगा। जनरल मुनीर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह आईएसआई के चीफ के साथ मिल‍िट्री इंटेलिजेंस के भी मुखिया रह चुके हैं। उन्‍होंने कहा कि जनरल बाजवा को सम्‍मानित तरीके से विदाई देना यह बताता है कि पाकिस्‍तानी सेना 'ट्रेड यूनियन' की तरह से काम करती है और एक-दूसरे की रक्षा करती है। इससे पहले पाकिस्‍तानी सेना ने तानाशाह परवेज मुशर्रफ को भी बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। मुशर्रफ को मौत की सजा मिली थी। सूत्रों के मुताबिक बाजवा ने जनरल मुनीर के नाम की सिफारिश नहीं की थी और नवाज शरीफ के इशारे पर उन्‍हें चुना गया है।

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