ड्रैगन का खुलने लगा काला चिट्ठा, चीनी पुलिस स्टेशन पर FBI की रेड; अब सच्चाई आएगी सामने!

मैनहट्टन में चीनी पुलिस स्टेशन के बारे में सबसे पहले एनजीओ सेफगार्ड डिफेंडर्स की रिपोर्ट से पता चला था। रिपोर्ट में बताया गया था कि कई देशों में चीन गोपनीय ढंग से 100 से ज्यादा थाने चला रहा है।
वॉशिंगटन। Chinese Police Stations: दुनियाभर के देशों में चीन की चालाकी अब पकड़ी जाने लगी है। कई देशों में चीन पुलिस स्टेशन संचालित करता है, जिनपर अब ऐक्शन लिया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि दुनियाभर में चीन के 100 से ज्यादा पुलिस स्टेशंस हैं। अब अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने मैनहट्टन में चीनी पुलिस स्टेशन पर रेड मारी और डॉक्युमेंट्स सीज कर दिए। माना जा रहा है कि अब सच्चाई सामने आएगी। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, यह छापेमारी पिछले साल हुई थी, जिसकी जानकारी अब रिपोर्ट की गई है। रिपोर्ट में बताया है कि पिछले साल यह रेड चाइनाटाउन में हुई थी। रेड में एफबीआई और ब्रूकलिन का अमेरिकी अटॉर्नी का दफ्तर शामिल था।
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मैनहट्टन में चीनी पुलिस स्टेशन के बारे में सबसे पहले एनजीओ सेफगार्ड डिफेंडर्स की रिपोर्ट के जरिए से पता चला था। रिपोर्ट में बताया गया था कि इसके अलावा भी कई देशों में चीन गोपनीय ढंग से 100 से ज्यादा पुलिस स्टेशनों को संचालित कर रहा था। एक दर्जन से अधिक अन्य सरकारों ने भी अपने देशों में संचालित स्टेशनों की जांच शुरू की है। हालांकि, एफबीआई की कार्रवाई के बारे में जल्द ही रिपोर्ट किया गया है। सेफगार्ड डिफेंडर्स ने कहा कि उन्हें सबूत मिले हैं कि अमेरिका में चार ऐसे पुलिस स्टेशन मौजूद हैं। दो न्यूयॉर्क में, एक लॉस एंजिल्स में और दूसरा एक और जगह पर।
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टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यह रेड तब हुई, जब हाल ही में अधिकारियों ने मैनहट्टन स्टेशन को लेकर चिंता जताई थी। पिछले साल 17 नवंबर को, FBI के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने सीनेट की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन्हें स्टेशनों के अस्तित्व के बारे में पता है, जिसे उन्होंने अपमानजनक बताया था। उधर, इन पुलिस थानों को लेकर चीनी अधिकारियों और सर्विस स्टेशनों से जुड़े लोगों का दावा है कि उनका एकमात्र काम चीनी नागरिकों को प्रशासनिक मुद्दों में सहायता करना है, जैसे कि ड्राइवर के लाइसेंस को रिन्यू करना। ये ऑपरेशन चीन के तथाकथित ऑपरेशन फॉक्स हंट के तहत हुए हैं।
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इन पुलिस थानों का क्या है काम?
पिछले दिनों सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने दुनियाभर में 100 से ज्यादा अपने पुलिस स्टेशन खोल दिए हैं। सीएनएन की रिपोर्ट में चीन द्वारा खोले गए इन पुलिस स्टेशनों के पीछे की वजह के बारे में भी बताया गया था। दावा किया गया है कि इसके जरिए चीन विदेशों में रहने वाले चीनी नागरिकों की निगरानी रखना चाहता है। इसके साथ ही इन पुलिस स्टेशनों का काम वहां रह रहे चीनी नागरिकों को परेशान करना और वापस लाना भी है। "पैट्रोल एंड पर्सुएड" नामक रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक उपस्थिति हासिल करने के लिए कुछ यूरोपीय और अफ्रीकी देशों के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा व्यवस्था की है।
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इटली, क्रोएशिया में भी हैं पुलिस स्टेशंस
समूह की रिपोर्ट बताती है कि चीन और कई यूरोपीय देशों के बीच संयुक्त पुलिस पहल की भूमिका ने चीनी विदेशी स्टेशनों के प्रसार में मदद की है। ये स्टेशन इटली, क्रोएशिया, सर्बिया और रोमानिया में भी हैं। बताया गया था कि इन पुलिस थानों की वजह से ही पेरिस में अंडरकवर काम कर रहे गुर्गों ने एक चीनी नागरिक को घर लौटने के लिए मजबूर किया गया। इससे पहले दो अन्य चीनी निर्वासितों को भी सर्बिया और स्पेन से स्वदेश लौटने के लिए मजबूर किया गया था। हालांकि, बीजिंग ने विदेश में ऐसे पुलिस स्टेशन चलाए जाने की सभी खबरों को खारिज कर दिया। चीन ने इन रिपोर्ट पर कहा था कि हम आशा करते हैं कि संबंधित पक्ष तनाव पैदा करने के लिए इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना बंद करें। चीन को बदनाम करने के बहाने इसका इस्तेमाल करना अस्वीकार्य है।
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