चीन के इशारे पर नेपाल में होगा 'प्रचंड डांस'? कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री से किस तरह के मिल रहे संकेत

 
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नेपाल और चीन के बीच प्रमुख सीमा मार्गों में से एक को 'प्रचंड' की सरकार बनने के तुरंत बाद ही द्विपक्षीय व्यापार के लिए दोबारा खोल दिया गया। इसकी औपचारिक रूप से शुरुआत 1961 में हुई थी।

 

काठमांडू। पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेपाल का नया प्रधानमंत्री बनने के बाद पड़ोसी देशों से उसके रिश्ते को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। प्रचंड को आम तौर पर चीन की ओर झुका हुआ माना जाता है। ऐसे में यह सवाल बेहद अहम हो गया है कि कम्युनिस्ट नेता के प्रधानमंत्री बनने पर भारत से नेपाल के रिश्ते मजबूत होंगे या फिर ड्रैगन खेल कर जाएगा। प्रचंड के पीएम बनते ही चीन ने ऐसे की कई कदम उठाए गए हैं जो यह संकेत करते हैं कि कहीं नेपाली सरकार चीनियों के इशारे पर नाचने न लगे। हालांकि, भारत की ओर से भी नेपाल से रिश्ते को और अधिक मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। नेपाल में भारत की भागीदारी 'वसुधैव कुटुम्बकम' के सिद्धांत और 'पड़ोसी पहले' की नीति पर आधारित है। 

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प्रचंड पहले यह चुके हैं कि नेपाल में बदले हुए परिदृश्य के आधार पर भारत के साथ नई समझ विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा था कि 1950 की मैत्री संधि में संशोधन और कालापानी व सुस्ता सीमा विवादों को हल करने जैसे सभी बकाया मुद्दों के समाधान के बाद यह होगा। भारत और नेपाल के बीच 1950 की शांति और मित्रता संधि दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों का आधार बनाती है। हालांकि, प्रचंड ने हाल के वर्षों में कहा था कि भारत और नेपाल को द्विपक्षीय सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए इतिहास में छूटे कुछ मुद्दों का कूटनीतिक रूप से समाधान किए जाने की जरूरत है। 

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भारत-नेपाल के मजबूत रिश्ते को तोड़ना आसान नहीं 
मालूम हो कि नेपाल 5 भारतीय राज्यों (सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) के साथ 1850 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करता है। किसी बंदरगाह की गैर-मौजूदगी वाला पड़ोसी देश नेपाल माल और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर करता है। नेपाल की समुद्र तक पहुंच भारत के माध्यम से है और यह अपनी जरूरतों की चीजों का एक बड़ा हिस्सा भारत से और इसके माध्यम से आयात करता है। भारत ने नेपाल में अपनी सहायता के जरिए जमीनी स्तर पर बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके तहत बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, जल संसाधन, शिक्षा, ग्रामीण और सामुदायिक विकास के क्षेत्रों में विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया गया है।

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नेपाली दोस्तों के साथ मिलकर करेंगे काम: चीनी राजदूत
चीन के नए राजदूत ने काठमांडू में कहा कि वह नेपाल के साथ मिलकर काम करने को इच्छुक हैं, ताकि दोनों देशों को नए युग के लिए एक साथ लाया जा सके और उनका संयुक्त रूप से विकास हो सके। राजनयिकों में से एक राजदूत चेन सोंग ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी में नया अध्याय लिखने का भी संकल्प लिया। चेन ने कहा, 'मैं हर तबके के नेपाली दोस्तों के साथ मिलकर काम करने को तैयार हूं। चीन-नेपाल रणनीतिक साझेदारी में संयुक्त रूप से नया अध्याय लिखेंगे जिससे विकास और समृद्धि पर आधारित दीर्घकालिक मित्रता बढ़ेगी। चीन राष्ट्रीय सम्प्रभुता व सम्मान की रक्षा करने में हमेशा नेपाल के साथ रहेगा।'

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चीनी सहायता से निर्मित पोखरा हवाई अड्डे का उद्घाटन
प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने पोखरा में चीनी सहायता से निर्मित क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नए साल पर उद्घाटन किया। उन्होंने पोखरा क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (पीआरआईए) के आधिकारिक उद्घाटन के अवसर पर पट्टिका का अनावरण किया। फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद यहां से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने की उम्मीद है। पीआरआईए 'नेपाल-चीन बेल्ट एंड रोड' (बीआरआई) पहल  की प्रमुख परियोजना है, जिसका निर्माण चीनी ऋण सहायता से किया गया था।

चीनी दूतावास प्रभारी वांग शिन ने कहा कि हवाई अड्डे को चीनी मानकों के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है, जो चीनी इंजीनियरिंग की उच्च गुणवत्ता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह हवाई अड्डा नेपाल के राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक है। चीनी दूत ने कहा कि पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को चीन और नेपाल के नेताओं की ओर से अत्यधिक महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि चीनी पर्यटकों के आगमन से नेपाल के पर्यटन क्षेत्र में बहुत योगदान मिलेगा क्योंकि देश ने 'पर्यटन दशक 2023-2033' की शुरुआत की है।

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नेपाल-चीन के बीच प्रमुख व्यापार मार्ग खुला
नेपाल और चीन के बीच प्रमुख सीमा पारगमन मार्गों में से एक को प्रचंड सरकार बनने के तुरंत बाद ही द्विपक्षीय व्यापार के लिए दोबारा खोला गया। केरूंग-रसुवागढ़ी सीमा से व्यापार की आधिकारिक शुरुआत के मौके पर समारोह का आयोजन किया गया था। इसकी औपचारिक रूप से शुरुआत 1961 में हुई थी जो कोविड-19 महामारी के कारण करीब तीन वर्षों तक बंद था। नेपाल में चीनी दूतावास ने अपने बयान में कहा कि चीन पड़ोसी देश नेपाल से कुछ और सामानों के आयात की दिशा में काम कर रहा है। नेपाली सामान से भरे छह मालवाहक ट्रक इस शहर से होकर चीन में प्रवेश किए।

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बता दें कि प्रचंड को 26 दिसंबर को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। उससे पहले वह नेपाली कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठजोड़ से नाटकीय ढंग से बाहर आ गए थे और विपक्षी नेता ओली के साथ हाथ मिला लिया था। प्रचंड को सदन में स्पष्ट बहुमत के लिए 138 मतों की जरूरत है। वह आज यानि 10 जनवरी को सदन में विश्वास हासिल करने का प्रयास करेंगे। उन्हें ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमल) और नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी समेत सात दलों के 169 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।

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