लाल सागर में फटेगा 47 साल पुराना सुपर टैंकर, UN की चेतावनी, यह एक टाइम बम, जानिए पूरा मामला...

हम नहीं चाहते हैं कि रेड सी भी ब्लैक सी में बदल जाए, लेकिन अब ऐसा ही होगा। 
 
लाल सागर में फटेगा 47 साल पुराना सुपर टैंकर, UN की चेतावनी, यह एक टाइम बम, जानिए पूरा मामला...

नई दिल्ली। यमन ने एक मिलियन बैरल तेल से भरे एक सुपर टैंकर वेसल को 2015 में रेड सी यानी लाल सागर में छोड़ दिया था। अब 8 साल बाद संयुक्त राष्ट्र संघ यानी UN ने कहा है कि ये वेसल किसी भी समय या तो फट जाएगा या डूब जाएगा। इससे यमन समेत 4 देशों को काफी नुकसान होने की आशंका है। यमन में UN के चीफ डेविड ग्रेसली ने कहा, हम नहीं चाहते हैं कि रेड सी भी ब्लैक सी में बदल जाए, लेकिन अब ऐसा ही होगा। साथ ही हॉम अखदार नाम की एक यमन की संस्था ने अक्टूबर 2019 में इस स्टोरेज वेसल को लेकर अपनी रिपोर्ट छापी। 

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इसमें बताया गया कि इस वेसल से तेल लीक हो सकता है जिससे समुद्र में रहने जीवों को खतरा है। इस रिपोर्ट के बाद UN ने दोनों पार्टियों को बातचीत के लिए एक टेबल पर बुलाया। वहीं, बीबीसी ने 2020 में रिपोर्ट किया कि स्टोरेज वेसल के इंजन रूम में समुद्र का पानी जा रहा है। जिससे शिप में धमाका हो सकता है। इसके बाद UN ने भी चेतावनी दी की इसके फटने का खतरा है। तब से इसे लाल सागर का टाइम बम भी कहा जाता है।

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UN ने अब आखिरी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर तुरंत कोई एक्शन नहीं लिया गया तो इससे हुए नुकसान की भरपाई नामुमकिन होगी। तेल लीक होने के बाद 2 हफ्तों में सऊदी, जिबूती और इरिट्रिया तक भी पहुंच जाएगा। समुद्र में फैले तेल की वजह से मछलियों की 1000 दुर्लभ प्रजातियां और 365 तरह के कोरल रीफ खत्म हो जाएंगे। इसे समुद्र मे फैला प्रदूषण 30 साल तक रहेगा। वहीं समुद्र के रास्ते जंग से प्रभावित यमन के इलाकों में UN जो मदद भेज रहा है वो भी रुक जाएगी। जिससे 60 लाख लोगों की जिंदगी पर असर पड़ेगा।

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आपको बता दे, साफेर को 1976 में एक जापानी कंपनी हिटाची जेसोन ने बनाया था। ये वेसल 362 मीटर लंबा है और इसका वजन 4 लाख 6 हजार 640 टन है। साल 1988 में यमन की एक कंपनी ने इसे स्टोरेज शिप वेसल में बदल लिया था और इसमें तेल रखना शुरू कर दिया। साल 2015 में यमन में हूती विद्रोहियों और सऊदी के समर्थन वाली सरकार में गृह युद्ध छिड़ गया। जिसके बाद यमन के समुद्र तट वाला इलाका हूती विद्रोहियों के कब्जे में आ गया। इलाका कब्जे में आते ही विद्रोहियों ने सबसे पहले सारी लोकल और इंटरनेशनल संस्थाओं के इलाके में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी। रख-रखाव के अभाव में खराब हो रहे साफेर को ठीक करने के लिए हूती विद्रोहियों ने UN को भी इजाजत नहीं दी।

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