2 लोगों ने पोंजी स्कीम के जरिए ठगे 4700 करोड़ रुपये!

 
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पोंजी स्कीम के जरिए दो लोगों ने करोड़ों रुपये के क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड को अंजाम दिया। इस मामले में यूरोपियन देश एस्टोनिया के रहने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दोनों ही लोगों के अमेरिका में प्रत्यर्पण की तैयारी भी चल रही है। इन दोनों आरोपियों के साथ चार और लोग भी अपराध में शामिल थे।

नई दिल्ली। पोंजी स्कीम के जरिए दो लोगों ने 4700 करोड़ रुपए के क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड को अंजाम दिया। आरोपियों ने क्रिप्टो करेंसी के नाम पर धोखाधड़ी की और फर्जी वर्चुअल बैंक तक बना डाला।

यूरोप के एस्टोनिया के रहने वाले दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस बात की जानकारी दी है। अब अमेरिकी सरकार आरोपियों के प्रत्यर्पण का इंतजार कर रही है ताकि उनके खिलाफ केस चल सके। 

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आरोपी सर्जेई पोटापेंको और इवान तुरोगिन दोनों की उम्र 37 साल है। इन दोनों ने पिरामिड स्कीम (पोंजी स्कीम) के माध्यम से लाखों लोगों को चूना लगाया। दोनों ने फर्जीवाड़ा कर लोगों का पैसा क्रिप्टोकरंसी माइनिंग सर्विस हाशफ्लेर (HashFlare) में लगवाया। पीड़ितों का पैसा Polybius Bank (Virtual currency bank) में भी जमा करवाया, जो असल में बैंक नहीं था। बैंक से मिलने वाला कथित प्रॉफिट भी निवेशकों को नहीं दिया। 

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यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट ने बताया कि दोनों के खिलाफ 18 मामलों में अभियोग पत्र पेश किए गए हैं। डिपार्टमेंट ने बताया कि सर्जेई पोटापेंको और इवान तुरोगिन की कंपनियों और शेल कंपनियों के माध्यम से 4700 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया। लोगों के मिले पैसे को उन्होंने रियल एस्टेट और लग्जरी कार खरीदने में खर्च किया।  

जस्टिस डिपार्टमेंट के क्रिमिनल डिवीजन के असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल केनेथ पोलाइट जूनियर ने कहा कि इस स्कीम का आकार और दायरा आश्चर्यजनक है। अमेरिका और एस्टोनिया की सरकार इस मामले में आरोपियों की संपत्ति और उनसे हुए प्रॉफिट को जब्त करने की कोशिश कर रही है। 

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FBI ने की थी मामले की जांच
जस्टिस डिपार्टमेंट ने बताया मनी लॉन्ड्रिंग साजिश में कथित तौर पर कम से कम 75 रियल एस्टेट प्रॉपर्टी, 6 लग्जरी वाहन, क्रिप्टोकरंसी वॉलेट्स, हजारों क्रिप्टो माइनिंग मशीन शामिल थीं। इस मामले की जांच एफबीआई ने की थी। 

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चार और लोग भी शामिल, 2015 से कर रहे थे ठगी
CBC न्यूज की रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों आरोपी के अलावा इसमें एस्टोनिया, बेलारूस, और स्विटजरलैंड में रहने वाले चार और लोग भी शामिल हैं। प्रासिक्यूटर्स ने बताया कि इन लोगों ने 2015 से 2019 के बीच लाखों लोगों को निशाना बनाया था।

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अटॉर्नी निक ब्राउन ने बताया, दोनों ही पोंजी स्कीम के माध्यम से लोगों को निशाना बनाते थे। फिर दोनों निवेशकों को झांसा देते थे। जिन लोगों ने शुरुआत में निवेश किया होता था, उन लोगों को बाद के निवेशकों का पैसा बतौर 'लाभ' दे दिया जाता था। यह सिलसिला लंबे समय तक जारी रहा। 

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