वो 16 गेंद और फिर यशस्वी भव...मार्वन अटापट्टू से पूछिए टेस्ट क्रिकेट में पहले रन की अहमियत समझना हो तो

Ind vs Wi: टेस्ट क्रिकेट में पहले रन का दबाव हर खिलाड़ी पर होता है। यशस्वी जायसवाल भी इसके दबाव में दिखे। पहली 15 गेंदों पर उनके बल्ले से कोई रन नहीं निकला। इस दौरान वे दो बार आउट होते-होते बचे। 16वीं गेंद पर चौका मारकर खाता खोलने के बाद वे लय में आ गए। फिर तो दिन का खेल खत्म होने से पहले उन्होंने मैदान के चारों ओर शॉट लगाए।
नई दिल्ली। भारत और वेस्ट इंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच। पहले दिन के तीसरे सेशन में ही कैरीबियाई टीम का पुलिंदा बंध गया तो निगाहें भारतीय सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी पर टिक गईं। कप्तान रोहित शर्मा के साथ एक ऐसा बल्लेबाज मैदान पर आ रहा था जो पिछले एक साल से लगातार चर्चा में रहा है। ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब 21 साल का यशस्वी जायसवाल नाम का यह लड़का पानी पूरी बेचकर अपना खर्च जुटाता था। आजाद मैदान पर टेंट में उसकी रातें गुजरती थीं। वक्त ने पलटी मारी और बुधवार को वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने पहले कदम बढ़ा रहा था। धीरे-धीरे चलते हुए वह क्रीज तक पहुंचा। अंपायर से गार्ड लेकर जब उसने पहला स्ट्राइक लिया तो यह तो समझ में आ गया कि इस खिलाड़ी में आत्मविश्वास की कमी नहीं है। लेकिन फिर शुरू हुआ संघर्ष टेस्ट क्रिकेट में पहले रन का। वेस्ट इंडीज के बॉलिंग अटैक में ऐसी धार नहीं थी जो इंडिया अंडर-19 और आईपीएल में अपनी धाक जमा चुके यशस्वी को परेशान कर सके। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में पहले रन का अलग दबाव होता है। यदि इसकी अहमियत समझनी हो तो श्रीलंका के पूर्व ओपनर मार्वन अटापट्टू से पूछिए।
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अटापट्टू ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत भारत के ही खिलाफ नवंबर, 1990 में की थी, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में अपना खाता खोलने के लिए उन्हें करीब दो साल इंतजार करना पड़ा। अपने पहले येस्ट की दोनों पारियों में वे शून्य पर आउट हो गए। फिर उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। दो साल बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू मैदान टीम में उनकी वापसी हुई, लेकिन एक बार फिर पहली पारी में बिना कोई रन बनाए आउट हो गए। दूसरी पारी में उन्होंने पहली गेंद पर खाता खोल लिया, लेकिन दूसरी गेंद पर आउट हो गए। अटापट्टू को एक बार फिर टीम से बाहर कर दिया गया। घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छे प्रदर्शन के बूते डेढ़ साल बाद उनकी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी हुई, लेकिन बदकिस्मती ने साथ नहीं छोड़ा। एक बार फिर टेस्ट मैच की दोनों पारियों में वे शून्य पर आउट हो गए। टेस्ट क्रिकेट की पहली छह में से पांच पारियों में खाता खोल नहीं पाने के बाद उनके अंतरराष्ट्रीय करियर पर ग्रहण लग गया, लेकिन तीन साल बाद उनकी टीम में वापसी हुई। इसके बाद अगले दस साल तक वे टीम का नियमित हिस्सा रहे और श्रीलंका के सबसे सफल टेस्ट बल्लेबाजों में आज उनकी गिनती होती है।
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बहरहाल, चर्चा यशस्वी जायसवाल की। जायसवाल ने पहली छह गेंदों पर रन नहीं बनाए, लेकिन उनके चेहरे पर कोई तनाव नहीं दिखा। पारी की अगली 12 गेंदें रोहित शर्मा ने खेलीं। यशस्वी दूसरे छोर पर इंतजार करते रहे। अब उनके सामने गेंदबाज अल्जारी जोसेफ थे। ओवर की पहली दो गेंदें उनसे दूर थीं। तीसरी गेंद पर पहली बार लगा कि यशस्वी अपने पहले रन के लिए कसमसा रहे हैं। फ्लिक उनका पसंदीदा शॉट है। ओवर की तीसरी गेंद इस शॉट के लिए माकूल डिलीवरी थी, लेकिन हड़बड़ाहट में यशस्वी आउट होते-होते बचे। गेंद तीसरी स्लिप के हाथों से थोड़ी दूर रह गई। अगली गेंद पर दबाव स्पष्ट दिखने लगा। लेग स्टंप के बाहर की गेंदों को वे अक्सर बाउंड्री के बाहर पहुंचाते हैं, लेकिन चौथी गेंद को उन्होंने छोड़ दिया। पांचवीं गेंद शॉर्ट पिच थी और यशस्वी की पहुंच से बाहर थी। इस गेंद पर टीम को बाई के रूप में चार रन मिल गए, लेकिन यशस्वी अब भी अपना खाता खोलने का इंतजार कर रहे थे। छठी गेंद पर भी उन्हें रन नहीं मिला और इंतजार लंबा होता गया।
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अगले ओवर की सभी छह गेंदें रोहित शर्मा ने खेलीं। रोहित अब तक 18 गेंद खेलकर 11 रन बना चुके थे, लेकिन यशस्वी के खाते में अब तक एक भी रन नहीं था। एक बार फिर अल्जारी उनके सामने थे। ओवर की पहली गेंद ऑफ स्टंप के बाहर थी। यशस्वी ने कट लगाने की कोशिश की और आउट होते-होते बचे। दूसरी गेंद एक बार फिर उनके पाले में थी। उन्होंने ड्राइव भी अच्छा लगाया, लेकिन गेंद सीधे मिड ऑफ के हाथों में चली गई। अब तनाव उनके चेहरे पर साफ दिखने लगा था। क्रीज से थोड़ी दूर हटकर उन्होंने खुद को शांत करने की कोशिश की। तीसरी गेंद उन्होंने आसानी से खेली, लेकिन रन नहीं बना पाए। अब तक वे 15 गेंद खेल चुके थे, लेकिन 16वीं गेंद पर उनका इंतजार खत्म हो गया। अल्जारी की शॉर्ट पिच गेंद पर उन्होंने हवा में अपर कट लगाया। शॉट कोई बहुत अच्छा नहीं था, लेकिन फील्डर से दूर था और गेंद बाउंड्री के बाहर चली गई।
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पहले रन का दबाव खत्म होते ही यशस्वी के ऊपर बन रहा दबाव कम हो गया। उन्होंने अगली गेंद पर फिर एक सिंगल लिया। इसके बाद तो वो अपनी लय में आ गए। दिन का खेल खत्म होने तक वे रोहित शर्मा को पीछे छोड़ चुके थे। यशस्वी कितने आत्मविश्वास से खेल रहे थे, इसका अंदाजा इस से लगता है कि पहले दिन जो आखिरी गेंद उन्होंने खेली, उस पर रिवर्स स्वीप लगाकर चौका मारा। अपनी पहली पारी में वे 73 गेंद खेलकर छह चौकों की मदद से अब तक 40 रन बना चुके हैं। जैसा उनका ट्रैक रेकॉर्ड रहा है, उससे पूरी उम्मीद है कि वे दूसरे दिन अपनी पारी को एक बड़े स्कोर तक ले जाएंगे।
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