फिर मणिपुर में हिंसा भड़की... लगा दोबारा कर्फ्यू, इंटरनेट सर्विस 5 दिन के लिए ठप

मणिपुर के एक बार फिर सुलग उठने के बाद दोबारा कर्फ्यू लगा दिया गया। सोमवार को राज्यभर में सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया। आगजनी की खबरें आने के बाद पांच दिन के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
इम्फाल। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को एक बार फिर से इलाके में तनाव बढ़ गया। राजधानी इम्फाल के न्यू लाम्बुलेन इलाके में भीड़ ने घरों में आग लगा दी। इसके बाद आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों ने मौके पर पहुंचकर हालात को काबू किया।
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एक बार फिर से राज्य में हिंसा भड़कने की वजह से कर्फ्यू लगाया गया है। सोमवार को राज्य में सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया। आगजनी की खबरें आने के बाद पांच दिन के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
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बताया जा रहा है कि सोमवार सुबह इम्फाल के न्यू चेकन बाजार इलाके में हिंसक झड़प हो गई। आगजनी की घटनाएं सामने आने के बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। स्थिति को काबू करने के लिए सेना के जवानों को इलाके में तैनात किया गया है।
मणिपुर के गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, किभी भी तरह के दुष्प्रचार और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए अगले पांच दिनों तक यानी 26 मई तक इंटरनेट सर्विस पर बैन लगाया जा रहा है।
बयान में कहा गया कि ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व नफरत फैलाने और अफवाहों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसका राज्य की कानून एवं व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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सेना ने कहा- फिलहाल स्थिति नियंत्रण में
मणिपुर में दोबारा हिंसा भड़कने पर सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इम्फाल के बाहरी इलाके में झड़प की खबर आने पर सेना और असम राइफल्स की टुकड़ियों को भेजा गया। स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। तीन संदिग्धों को गिरफ्त में ले लिया गया है। उनके पास से दो हथियार बरामद किए गए हैं।
बता दें कि मणिपुर ने इससे पहले तीन मई तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी थी।
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कब से जल रहा है मणिपुर?
- तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला। ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई।
- इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।
- तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया।
- ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी। मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है।
- पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था। इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था। इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है।
- मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए। उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला।
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मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?
- मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है। ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं। वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है।
- राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं। मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है। सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है। पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है।
- मणिपुर में एक कानून है। इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं। लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं।
- पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है।
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