मोहन भागवत के सामने संत ने कहा, आजकल शंख से ज्यादा अजान सुनाई देती है, जानिए पूरा मामला...

जब हमने देश घूमकर देखा संत समाज क्या कर रहा है तो हमें पता चला जो काम मिशनरी कर रहे है, संत उनसे अच्छा काम कर रहे हैं। 
मोहन भागवत के सामने संत ने कहा, आजकल शंख से ज्यादा अजान सुनाई देती है, जानिए पूरा मामला...

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित हो रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम की शुरुआत पहली बार राजस्थान के जयपुर शहर से हुई। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने संगम के उद्धाटन पर कहा कि दुनियाभर में मिशनरी समाज के लोग हॉस्पिटल, स्कूल चलने के साथ सेवा का काम कर रहे हैं। जब हमने देश घूमकर देखा संत समाज क्या कर रहा है तो हमें पता चला जो काम मिशनरी कर रहे है, संत उनसे अच्छा काम कर रहे हैं। 

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उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना से ही स्वयंसेवक सेवा कर रहे हैं। सेवा की मानसिकता सब में होती है, बस उसे जगाना पड़ता है। हम प्रयास कर रहे हैं कि सेवा के जरिए आज ही समाज स्वस्थ्य हो जाए। इससे पहले हमें स्वस्थ्य होना पड़ेगा। हमारे समाज में यदि कोई पीछे है तो यह हमारे लिए अच्छी बात नहीं है। सबको समान और अपने जैसा मानकर ही समाज को आगे बढ़ा सकते हैं। कमजोर लोगों को ताकत देनी है। उन्होंने कहा, हमारे समाज में कई ऐसी घूमंतू लोग हैं, जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। वो झुके नहीं, स्वतंत्रता के लिए लड़ते रहे। वे कहीं न कहीं घूमते रहते हैं। उनके पास कोई वोटर आईडी, राशन कार्ड नहीं। विदेशी शासकों ने उन्हें अपराधी घोषित कर दिया। संघ की उन पर नजर पड़ी तो वहां भी सेवा करना शुरू कर दिया। 

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पीरामल ने उद्धाटन सत्र में कहा कि आज का दिन मेरे लिए खास है क्योंकि मैं आप सभी के बीच में हूं। स्वयंसेवकों ने नि स्वार्थ भावना से देश के लिए जीवन दिया है। कोरोना के दौरान आरएसए। कार्यकर्ताओं ने काफी अच्छा काम किया था। पीरामल ने कहा, मैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने गया था। उन्होंने मुझे कहा मेरी उम्र 62 साल है। फिर भी मैं अपने क्षेत्र की सबसे उम्रदराज महिला हूं। क्योंकि आदिवासियों की औसत उम्र आम लोगों से 12 साल कम होती है। यह सुन के मुझे काफी दुख हुआ। उसके बाद पीरामल फाउंडेशन की ओर से देशभर में 100 स्थानों पर आदिवासियों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काम शुरू किया गया है। उन्हें भी आम लोगों की तरह जीवन यापन करने और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके।

बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने भागवत के सामने कहा कि प्राचीन समय में ऐसे घुसपैठिए देश में आए। हमारे देश को बाहरी लोगों ने तोड़ा और जब बाहरी लोगों को हमारे देश के ऋषि मुनियों की त्याग तपस्या ने परास्त किया, तो ऐसा वक्त आया जब देश के कुछ भीतरी लोगों ने ही लोगों को तोड़ने का काम किया। तो समरसता का एक बड़ा आंदोलन शुरू हुआ। यह हमारा दुर्भाग्य रहा कि देश में शंख की आवाज बंद हो गई, घड़ी-घंटाल और नगाड़ों की आवाज बंद हो गई। सुबह से लेकर शाम तक हमें ध्वनि विस्तारक यंत्र से पांच टाइम की नमाज की आवाज सुनाई देने लगी। जो हमारे सभी काम को डिस्टर्ब करने लगी। यह सब क्यों हुआ।  हमारे देश में शंख बजने इसलिए बंद हुआ, क्योंकि हमारे देश में हमारे बीच से ही घुसपैठिए आ गए। उन लोगों ने ऐसा माहौल खड़ा कर दिया, जिसकी वजह से हम लोगों को ही कष्ट होने लगे।

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सेवा संगम से जुड़े कैलाश शर्मा ने बताया कि सेवा भारती ने पिछले साल 25 हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया है। इसके साथ ही दक्षता, स्वास्थ्य, कौशल विकास और महिला सशक्तीकरण जैसे क्षेत्रों में संगठन ने लगातार काम कर रहा है। सेवा भारती द्वारा वंचित, अभावग्रस्त, उपेक्षित और पीड़ित बंधुओं की सेवा करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रोत्साहन और सहयोग करने वाली संस्था है। हमारा लक्ष्य हर व्यक्ति तक रोजगार पहुंचकर उसे आत्मनिर्भर बनाना है। 3 दिन तक चलने वाले सेवा संगम के लिए केशव विद्यापीठ को अलग अलग नगरों का रूप दिया गया है। 

उद्योगपति नरसी कुलरिया ने कार्यक्रम के दौरान स्वागत भाषण दिया। संगम में संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के साथ देशभर के 3 हजार से ज्यादा स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस संगम में बिजनेसमैन अजय पीरामल, सुभाष चंद्रा सहित अलग-अलग कारोबारी समूहों के लोग भी शामिल हुए, साथ ही नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी , सांसद रामचरण बोहरा , सुखबीर सिंह जौनपुरिया, दीया कुमारी, घनश्याम तिवारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, अरुण चतुर्वेदी भी मौजूद रहे।

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