अमेरिकी ड्रोनों की कीमत अभी तय नहीं हुई है, डील में बाधा डाल सकते हैं दुश्मन; बातचीत को तैयार भारत

 
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भारत ने जनरल एटमिक्स से सशस्त्र एमक्यू-9बी सीगार्जियन ड्रोन खरीदने के अपने इरादे की घोषणा की। यह उन्नत प्रौद्योगिकी भारत की खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं को बढ़ाएगी।

 

नई दिल्ली। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन की उच्च स्तरीय यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने ड्रोन खरीद समझौते को मंजूरी दी थी। अब भारत का कहना है कि वह MQ9B हेल ड्रोन के अधिग्रहण पर अमेरिका के साथ गहन बातचीत करने के लिए तैयार है। भारत विदेशी सैन्य बिक्री प्रक्रिया के माध्यम से ड्रोन खरीद में प्रतिस्पर्धी सौदे की मांग कर रहा है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने गुरुवार को ये जानकारी दी। MQ9B हेल ड्रोन को प्रीडेटर ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है।

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क्यों खास हैं ये ड्रोन
भारत ने जनरल एटमिक्स से सशस्त्र एमक्यू-9बी सीगार्जियन ड्रोन खरीदने के अपने इरादे की घोषणा की। यह उन्नत प्रौद्योगिकी भारत की खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं को बढ़ाएगी। जनरल एटमिक्स का एमक्यू-9 ‘रीपर’ सशस्त्र ड्रोन 500 प्रतिशत अधिक पेलोड ले जा सकता है और पहले के एमक्यू-1 प्रीडेटर की तुलना में इसमें नौ गुना अधिक अश्वशक्ति है।

सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने केवल 31 एमक्यू 9बी हेल ड्रोन हासिल करने की आवश्यकता को स्वीकार किया है और अब तक कोई गंभीर बातचीत शुरू नहीं हुई है। अभी तक ये ड्रोन सिर्फ अमेरिका के पास हैं। चीन इसे हासिल करने की कोशिश कर रहा है लेकिन ऐसा नहीं कर पा रहा है। अगर भारत इन ड्रोन को हासिल कर लेता है तो इससे भारतीय सेना नई क्षमताएं हासिल करेगी। सूत्रों ने कहा कि देश के विरोधी लोग इस ड्रोन खरीद को लेकर चिंतित हैं और अधिग्रहण प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश कर सकते हैं।

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समझौते की शर्तों को अंतिम रूप देना बाकी
प्रक्रिया के अगले चरण में भारत बाइडेन प्रशासन को अनुरोध पत्र भेजेगा और फिर अमेरिकी सरकार इस प्रस्ताव पर मुहर लगाने के बाद स्वीकृति पत्र भेजेगी। यह पत्र अमेरिकी संसद से अप्रूवल के बाद ही अमेरिकी सरकार द्वारा भेजा जाएगा। इसके बाद, कॉन्ट्रैक्ट निगोशिएशन कमेटी (सीएनएस) कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) के पास अप्रूवल के लिए जाने से पहले समझौते की शर्तों को अंतिम रूप देगी। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद ही वास्तविक कीमत और कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का पता चलेगा।

अमेरिकी रक्षा फर्म जनरल एटॉमिक ने भारत को 3.072 अरब डॉलर की कीमत पर 31 एमक्यू9बी ड्रोन की पेशकश की है। हालांकि यह अभी भी बातचीत का विषय है। उनमें से कुछ पहले से तैयार किए गए होंगे और कुछ को भारत में बनाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, तीनों सेनाओं के लिए 31 ड्रोन की आवश्यकता है। यह आवश्यकता भौगोलिक और समुद्री सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत की जरूरतों और आवश्यकताओं के वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित है और खुद इंटीग्रेटेड डिफेंस सर्विसेज ने इसकी रेकमंडेशन दी है। 

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TAPAS ड्रोन पर पहले ही काम कर रहा है DRDO
खरीद प्रक्रिया के हिस्से के रूप में कुछ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (टीओटी) भी शामिल होगा। भारत कम से कम 15-20 प्रतिशत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर विचार कर रहा है। सरकार और बातचीत करेगी ताकि अमेरिका से कुछ और महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी हासिल की जा सके। सूत्रों ने कहा कि अधिग्रहण 'आत्मनिर्भर भारत' के खिलाफ नहीं है क्योंकि रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) MALE श्रेणी में एक TAPAS ड्रोन विकसित कर रहा है। MQ9B एक उच्च ऊंचाई वाला ड्रोन है और लंबे समय तक टिकने वाला है। भारतीय नौसेना पहले से ही ADE और DRDO के साथ TAPAS पर काम कर रही है। सूत्रों ने बताया कि यह समझौता भारत को ड्रोन निर्माण के केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।

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कांग्रेस ने प्रीडेटर ड्रोन सौदे की कीमतों पर सवाल उठाए, मामले में पूरी पारदर्शिता की मांग की
इससे पहले कांग्रेस ने करोड़ों रुपये के भारत-अमेरिका ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता की मांग की और आरोप लगाया कि 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन ऊंची कीमत पर खरीदे जा रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और प्रीडेटर ड्रोन सौदे पर कई संदेह उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार राष्ट्रीय हितों को खतरे में डालने के लिए जानी जाती है और भारत के लोगों ने राफेल सौदे में भी यही देखा है, जहां मोदी सरकार ने 126 के बजाय केवल 36 राफेल जेट खरीदे। हमने यह भी देखा कि कैसे एचएएल को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से वंचित कर दिया गया। हमने यह भी देखा कि रक्षा अधिग्रहण समिति और सशस्त्र बलों की व्यापक आपत्तियों के बावजूद कैसे कई एकतरफा निर्णय लिए गए। राफेल ‘घोटाला’ फ्रांस में अब भी जांच के दायरे में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस प्रीडेटर ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता की मांग करते हैं। भारत को महत्वपूर्ण सवालों के जवाब चाहिए। अन्यथा हम मोदी सरकार में हुए एक और ‘घोटाले’ में फंस जाएंगे।’’

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भारत खारिज कर चुका है दावा
रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका के साथ हुए ड्रोन सौदे में मूल्य घटक के साथ अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर सोशल मीडिया में साझा की जा रही रिपोर्ट को खारिज करते हुए रविवार को कहा था कि भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद के लिए कीमत एवं अन्य शर्तों को अभी तय नहीं किया है। मंत्रालय ने कहा कि वह ड्रोन खरीद लागत की तुलना इसके विनिर्माता जनरल एटॉमिक्स (जीए) द्वारा अन्य देशों को बेची गई कीमत से करेगा और खरीद निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की उच्च स्तरीय यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने ड्रोन खरीद समझौते को मंजूरी दी थी।

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डरा हुआ है चीन, अब दे रहा प्रतिक्रिया
इसके अलावा, चीन ने सोमवार को कहा कि देशों के बीच सहयोग से न तो क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को कमजोर किया जाना चाहिए, और न ही किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाया जाना चाहिए। चीन की यह प्रतिक्रिया भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में हुए विभिन्न रक्षा और वाणिज्यिक समझौतों के परिप्रेक्ष्य में आई है। इन समझौतों में लड़ाकू विमानों के लिए एफ414 जेट इंजनों का संयुक्त उत्पादन एवं सशस्त्र ड्रोन की खरीद शामिल है।

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