तेजस्वी यादव और मुश्किल में, लालू-राबड़ी के बाद सीबीआई करेगी पूछताछ; समन जारी

Land for Job Scam: इसके पहले 4 फरवरी को भी केंद्रीय जांच एजेंसी ने तेजस्वी यादव को समन भेजा था। लेकिन, किसी वजह से सीबीआई के सामने पेश नहीं हुए। इस बीच सीबीआई ने सोमवार को राबड़ी देवी से और मंगलवार को लालू से पूछताछ की
पटना। लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। उनपर सीबीआई का शिकंजा कसता दिख रहा है। लालू यादव और राबड़ी के बाद तेजस्वी यादव से भी इस मामले में सीबीआई पूछताछ करेगी। इसके लिए सीबीआई की ओर से तेजस्वी यादव को समन जारी किया गया है।
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इसके पहले 4 फरवरी को भी केंद्रीय जांच एजेंसी ने तेजस्वी यादव को समन भेजा था। लेकिन, किसी वजह से वह सीबीआई के सामने पेश नहीं हुए। इस बीच सीबीआई ने सोमवार को राबड़ी देवी से पटना में और मंगलवार को मीसा भारती के आवास पर दिल्ली में राजद प्रमुख लालू यादव से पूछताछ की थी।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई को ऐसे सुराग मिले हैं जिन्हें लेकर तेजस्वी यादव से पूछताछ आवश्यक माना जा रहा है। अब तेजस्वी को जांच एजेंसी के समक्ष पेश होकर उसके सवालों का जवाब देना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि अब तेजस्वी यादव इससे ज्यादा जांच एजेंसी को नहीं टाल सकते।
शुक्रवार को ईडी की रेड में तेजस्वी यादव को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ। दिल्ली के फ्रेंड्स कॉलोनी में तेजस्वी यादव जिस घर में रहते हैं, उस पर भी सवाल उठाए गए हैं। ईडी की जांच में पता चला है कि तेजस्वी यादव का वह मकान लैंड और जॉब घोटाला मामले के आरोपी कंपनी का है। उस घर का मालिकाना हक तेजस्वी यादव का नहीं है। लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों की मुश्किलें इस मामले में बढ़ती ही जा रही हैं।
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इस मामले में बीते साल सितंबर महीने में सीबीआई ने जांच शुरू की थी। लैंड फॉर जॉब स्कैम में लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर आरोप है कि लाभुकों से जमीन लेकर रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी उन्हें दिलाई गई। साल 2004 से 2009 के बीच लालू यादव केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। इस दौरान नियम और प्रावधानों को ताक पर रखकर रेलवे में नौकरी बांटी गई। इस मामले में सबसे पहले सेंट्रल रेलवे में 12 लोगों की नियुक्ति को अनियमित पाया गया। इन लोगों की बहाली में भारतीय रेलवे के किसी प्रावधान का पालन नहीं किया गया। यहां तक कि कोई विज्ञापन या पब्लिक नोटिस भी नहीं निकाला गया। लेकिन, पटना के लोगों को सब्सीट्यूट के तौर पर मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर जोनल कार्यालय में बहाल कर दिया गया। बाद में पता चला कि इन लोगों से लालू यादव और उनके संबंधियों के नाम से औने पौने दाम में या उपहार के रूप में जमीन ली गई थी।
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