Sonia Gandhi: सोनिया गांधी ने कहा आने वाले कुछ महीनों में हमारे लोकतंत्र की कड़ी परीक्षा होनी है, जानें और क्या कहा...

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्लियामेंट्री कमेटी की अध्यक्ष सोनिया ने द हिंदू में लिखे आर्टिकल में सरकार पर संसद में विपक्ष की आवाज दबाने, एजेंसियों के दुरुपयोग, मीडिया की आजादी खत्म करने, देश में नफरत और हिंसा का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। सोनिया ने कहा कि BJP और RSS के लोगों ने देश में जिस नफरत और हिंसा को बढ़ावा दिया था, वह अब बढ़ती जा रही है और PM इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने एक बार भी शांति या सौहार्द्र बनाए रखने की बात नहीं कही है या दोषियों पर लगाम कसने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, ऐसे में उन्हें सजा मिलना तो दूर की बात है। धार्मिक त्योहार अब खुशी और उत्सव का पर्व नहीं रह गए हैं, बल्कि दूसरों को डराने और परेशान करने का मौका बनकर रह गए हैं। अब लोगों को उनके धर्म, खानपान, जाति और भाषा के आधार पर अलग थलग किया जाता है।
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सोनिया ने आगे कहा कि, भारत के लोग अब यह जान चुके हैं कि मौजूदा हालात में PM मोदी की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। जब वे विपक्ष के खिलाफ गुस्सा जाहिर नहीं कर रहे होते हैं या आज की परेशानियों के लिए बीते जमाने के नेताओं पर आरोप नहीं लगा रहे होते हैं, तो उनके सभी बयानों से जरूरी मुद्दे या तो गायब होते हैं, या वे बड़ी-बड़ी, लुभावनी बातें करके इन मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। हालांकि उनके एक्शन से साफ पता चलता है कि इस सरकार की असली मंशा क्या है। उन्होंने कहा कि सरकार के सामने मजबूत विपक्ष था, जो अपने सवालों पर टिका हुआ था। इस वजह से नरेंद्र मोदी सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने के लिए ऐसे कदम उठाए, जो पहले कभी नहीं उठाए गए थे। सरकार ने विपक्षी सांसदों की स्पीच हटाई, हमें चर्चा करने से रोका, संसद सदस्यों पर हमला किया और आखिर में बिजली की रफ्तार से एक कांग्रेस सांसद की सदस्यता रद्द कर दी। इस वजह से लोगों के 45 लाख करोड़ रुपए का बजट बिना किसी चर्चा के ही पास हो गया। बल्कि प्रधानमंत्री उस वक्त अपने संसदीय क्षेत्र में प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने में व्यस्त थे, जब लोकसभा में फाइनेंस बिल को जबरदस्ती पारित किया गया था।
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उन्होंने कहा कि देश को चुप करा देने से देश की परेशानियां हल नहीं हो जाएंगी। किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम होने के बाद पीएम बड़े आराम से चुप हो गए हैं, लेकिन बढ़ते खर्च और फसल की घटती कीमत वाली किसानों की समस्या आज भी बनी हुई है। वित्त मंत्री ने अपनी बजट की स्पीच में बेरोजगारी और महंगाई का नाम भी नहीं लिया, जैसे कि ये समस्याएं हैं ही नहीं। उनकी ये चुप्पी उन लोगों के किस काम की है, जो रोजाना दूध, सब्जी, तेल और गैस भी नहीं खरीद पाते हैं। ये चुप्पी उस युवा के किस काम की है जो अब तक की सर्वाधिक बेरोजगारी दर से जूझ रहा है। चीन के साथ बॉर्डर के मसले पर हमने देखा है कि कैसे पीएम मोदी चीनी घुसपैठ को नकारते रहे हैं, सरकार इस मामले में संसद में चर्चा को रोकती आई है और विदेश मंत्री ने हार मान लेने वाला रवैया अपना लिया है।
सोनिया ने यह भी कहा कि पीएम की सभी कोशिशों के बावजूद, भारत के लोग चुप नहीं कराए जा सकते हैं और हम चुप होंगे भी नहीं। आने वाले कुछ महीनों में हमारे लोकतंत्र की कड़ी परीक्षा होनी है। हमारा देश इस वक्त दोराहे पर है। क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार हर शक्ति का गलत इस्तेमाल करने पर आमादा है और बड़े राज्यों में चुनावों को प्रभावित कर रही है। कांग्रेस सीधे लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने की हर कोशिश करेगी, जैसा उसने भारत जोड़ो यात्रा में किया था। हम समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर भारत के संविधान और उसके आदर्शों को बचाएंगे। हमारी लड़ाई लोगों की आवाज की रक्षा करने की है। हम मुख्य विपक्षी पार्टी होने के अपने दायित्व को समझते हैं और समान-विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम करके इस दायित्व को पूरा करने के लिए तैयार हैं।
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सोनिया ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने CBI और ED का जो दुरुपयोग किया है, वह सबको पता है। 95 प्रतिशत से ज्यादा राजनीतिक केस सिर्फ विपक्षी पार्टियों के खिलाफ दाखिल किए गए हैं और और वे लोग जो भाजपा जॉइन कर लेते हैं, उनके खिलाफ केस किसी जादू की तरह गायब हो जाते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का जर्नलिस्ट्स, एक्टिविस्ट्स और थिंक-टैंक्स के खिलाफ किया गया इस्तेमाल चौंकाने वाला है। PM सच्चाई और न्याय की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन PM के चुने गए एक बिजनेसमैन पर जब फ्रॉड का आरोप लगता है तो वो नजरअंदाज कर दिया जाता है। इंटरपोल ने एक भगोड़े मेहुल चौकसी के खिलाफ नोटिस वापस ले लिया और बिलकिस बानो के रेप के दोषियों को रिहा कर दिया गया, जिसके बाद वे भाजपा नेताओं के साथ मंच साझा करते दिखे। न्यायपालिका की विश्वसनीयता को खत्म करने की योजनाबद्ध कोशिशें अब चरम पर पहुंच गई हैं। केंद्रीय कानून मंत्री रिटायर्ड जजों को एंटी नेशनल कहते हैं और धमकी देते हैं कि उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी। यह भाषा जानबूझकर लोगों को गुमराह करने और जजों को डराने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
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