शरद पवार ने शिवसेना विवाद पर कहा - "ऐसा कभी नहीं हुआ कि चुनाव आयोग ने एक पार्टी से पूरा नियंत्रण छीन लिया"

निर्वाचन आयोग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शुक्रवार को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे अविभाजित शिवसेना का ‘तीर-कमान' चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था।
मुंबई। शिवसेना vs शिवसेना जंग पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार की प्रतिक्रिया सामने आई है। पवार ने कहा कि ऐसा पहले कभी देखने में नहीं आया कि चुनाव आयोग ने एक पार्टी से पूरा नियंत्रण छीन लिया। उन्होंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना मानने और 'धनुष और तीर' चुनाव चिन्ह आवंटित करने के चुनाव आयोग के फैसले पर जमकर निशाना साधा। गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शुक्रवार को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित अविभाजित शिवसेना का ‘तीर-कमान' चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था।
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चुनाव आयोग के इस फैसले को चुनौती देते हुए शिवसेना (उद्धव गुट) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी लेकिन SC ने बुधवार को इस मामले में चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आदेश पर रोक नहीं लगा सकते, यह पार्टी के भीतर एक अनुबंधात्मक संबंध है। उद्धव ठाकरे की याचिका पर SC ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। उनसे दो हफ्ते में जवाब मांगा गया है। बैंक खाते और प्रापर्टी टेकओवर करने पर रोक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के आदेश की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार किया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की तीन हफ्ते बाद सुनवाई करेगा।
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आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट ने याचिका पर सवाल उठाया। नीरज किशन कौल ने कहा कि ये मामला हाईकोर्ट जाने का है, ये लोग पहले भी दो बार हाईकोर्ट गए थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के पास शक्ति है लेकिन हाईकोर्ट के पास ही जाना चाहिए। कौल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कार्रवाई करने को हरी झंडी दी थी। चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई थी। दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था, चुनाव आयोग के फैसले का आधार बहुमत है। 38 विधायकों के आधार पर फैसला दिया गया। लेकिन चुनाव आयोग के फैसले का आधार विधायक दल में बहुमत है। ECI ने यह कहकर गलती की कि विभाजन हुआ है। चुनाव आयोग ने उन विधायकों की संख्या पर भरोसा करके गलती की है, जो अयोग्यता के दायरे में हैं। ECI को संविधान पीठ के मामले में SC के फैसले का इंतजार करना चाहिए था। शिंदे खेमे के विधायकों के अयोग्य होने की संभावना है।बाद में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया कि हम आदेश पर रोक नहीं लगा सकते, यह पार्टी के भीतर एक अनुबंधात्मक संबंध है।
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