सचिन पायलट ने 'अनशन' खत्म किया, गहलोत सरकार पर साधा निशाना, प्रियंका गांधी ने किया फोन

Sachin Pilot Dharna: अशोक गहलोत और सचिन पायलट में खींचतान दिसंबर 2018 में सरकार गठन के दौरान मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुई थी। तब पार्टी आलाकमान ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद दिया, जबकि पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया। जुलाई 2020 में पायलट ने कुछ और विधायकों के साथ गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
नई दिल्ली। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा कांग्रेस पार्टी की तरफ से दी गई चेतावनी को दरकिनार करते हुए मंगलवार को जयपुर में पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर शुरू किया गया एक दिवसीय ‘अनशन’ खत्म हो गया। वे मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे जयपुर के शहीद स्मारक पर धरने पर बैठे थे।
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भले ही पायलट ने अपना ‘अनशन’ खत्म कर दिया हो, लेकिन उन्होंने इस बहाने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ फिर मोर्चा खोल दिया है। दिसंबर 2018 में राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से ही इन दोनों नेताओं में खींचतान जारी है। कांग्रेस के सत्ता में आने के समय पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे। इस बीच, खबर है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मामले को संभालने के लिए सचिन पायलट को फोन किया था। फिर भी, उन्होंने अपने ‘अनशन’ का कार्यक्रम स्थगित नहीं किया।
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‘भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी’
अनशन’ खत्म होने के बाद पायलट ने कहा, ‘राजस्थान में जो भ्रष्टाचार हुआ, उसके विरोध में मैंने एक दिन का अनशन रखा था, इस मुद्दे को लंबे समय से उठा रहा था, इसी मुद्दे पर राहुल गांधी ने संसद के अंदर और बाहर अपनी आवाज को रखा, संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग को रखा, वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हम विपक्ष में थे, हमने बहुत सारे घोटाले के मामलों को उजागर किया था, जनता से वादा किया था कि जब सरकार में आएंगे तो जो घोटाले हुए हैं (उनका विवरण मैं दे चुका हूं), सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ, भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी है।’
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‘4 साल का समय बीत गया, कार्रवाई नहीं हुई’
उन्होंने आगे कहा, मैं चाहता था कि इस पर कांग्रेस सरकार में कार्रवाई हो, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई, इसको लेकर 1 साल पहले मैंने लिखित में मुख्यमंत्री को कहा था कि विधानसभा चुनाव में 6-7 महीने रह गये हैं, जनता के बीच जाना है, मैंने कई बार पत्र लिखे, हम सरकार में हैं, 4 साल का समय बीत गया, अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, पिछली सरकार के भ्रष्टाचार मामलों में कार्रवाई हो इसीलिए अनशन रखा है, मुझे उम्मीद है कि कार्रवाई होगी, जहां जहां बीजेपी की सरकार की बात है, वो चाहे कर्नाटक में हैं, जनता हमारी बात पर विश्वास करके उन्हें सत्ता से बाहर कर देगी।’
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‘भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हिमाचल हो या उत्तर प्रदेश… जहां हम गये हैं, बीजेपी के घोटालों को उजागर करने का काम किया है। इसी को राजस्थान में करना चाहते हैं, करप्शन के खिलाफ जो आज अनशन किया है, इससे देश भर में मुहिम को गति मिलेगी, जो लोग यहां आये उनका मैं आभारी हूं। राहुल गांधी और कांग्रेस के साथ ही विपक्षी दलों ने संसद के अंदर व बाहर एकजुटता दिखाई है, हम करप्शन को लेकर गंभीर हैं, उसी करप्शन को लेकर मैंने अपनी बात को रखा, करप्शन के खिलाफ पूरा देश है, हम सब लोग मिलकर इसके खिलाफ लड़ेंगे, करप्शन के खिलाफ हमें बोलना भी चाहिए, करप्शन के खिलाफ ये संघर्ष जारी रहेगा।’
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कांग्रेस ने सचिन पायलट को दी थी चेतावनी
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने पायलट के इस कदम को ‘पार्टी विरोधी’ करार दिया है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का एक बयान सोमवार देर रात जारी किया गया जिसके अनुसार, ‘पायलट का अनशन पार्टी के हितों के खिलाफ है और पार्टी विरोधी गतिविधि है।’ रंधावा ने कहा, ‘अगर अपनी ही पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के साथ उन्हें कोई समस्या है तो मीडिया और जनता के बजाय पार्टी के मंच पर चर्चा की जा सकती है।’ इसके साथ ही रंधावा ने कहा कि पायलट ने कभी उनसे ऐसे मुद्दे पर चर्चा नहीं की।
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दिसंबर 2018 से जारी है गहलोत और पायलट में खींचतान
उल्लेखनीय है कि गहलोत और पायलट में यह खींचतान दिसंबर 2018 में सरकार गठन के दौरान मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुई थी। तब पार्टी आलाकमान ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद दिया, जबकि पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया। जुलाई 2020 में पायलट ने कुछ और विधायकों के साथ गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। इसके बाद राज्य में लगभग एक महीने तक राजनीतिक संकट रहा जो पार्टी आलाकमान की ओर से पायलट द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के आश्वासन के बाद समाप्त हो गया था।
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