बागेश्वर धाम वाले बाबा का विरोध कर रही आरजेडी, लालू यादव खामोश क्यों?

 
Dhirendra Shastri

Dhirendra Shastri: बिहार में बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अभी खबरों की सुर्खियों में हैं। इसलिए नहीं कि वे चमत्कारी पुरुष हैं, बल्कि इसलिए कि उनका आरजेडी पुरजोर विरोध कर रहीा है। बाबा के स्वागत और विरोध की बहस के बीच आश्चर्यजनक पहलू ये है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खामोश हैं। भले ही उनके बेटे तेज प्रताप यादव ने विरोध का बीड़ा उठा लिया है।

 

पटना। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पटना आगमन को लेकर बिहार की सियासत गर्म है। आरजेडी नेता तो हत्थे से उखड़े नजर आते हैं। बीजेपी और उसके सहयोगी-समर्थक दल भी पलटवार कर रहे हैं। आश्चर्य ये है कि पटना में रहते हुए भी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस प्रकरण पर चुप्पी साध ली है। इसके वाजिब कारण हैं। आस्था और अंधविश्वास पर भरोसा रखने वाले आरजेडी सुप्रीमो बोलें तो कैसे बोलें? वो तो खुद भूत-प्रेत, तांत्रिकों और बाबाओं के दरबार में हाजिरी लगाते रहे हैं। मिर्जापुर वाले पगला बाबा के तो वे 'अंधभक्त' ही थे। पूजा-पाठ उनके परिवार में सामान्य बात रही है। लालू के घर की छठ पूजा और होली उत्सव की खबरें सुर्खियां बनती रही हैं। खुद तेज प्रताप भी साधना करते हैं।

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लालू के बेटे तेज प्रताप ने तो विरोधी दस्ता ही बना डाला
लालू परिवार के 'बड़े लाल' तेज प्रताप यादव ने बागेश्वर धाम के बाबा का विरोध करने के लिए बाजाप्ता एक पलटन ही बना ली है। पलटन में शामिल लोगों को साफ निर्देश है कि हिन्दू-मुसलमान जैसे लफड़े की बात अगर बाबा करते हैं तो उनका विरोध किया जाए। उन पर नजर रखने के लिए तेज ने एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल यानी नौबतपुर तक सबको मुस्तैद रहने का फरमान जारी किया है। तेज प्रताप भी पिता की तरह आध्यात्मिक व्यक्ति हैं। वे वृंदावन, मथुरा और बनारस जैसे धार्मिक स्थलों पर अक्सर जाते रहते हैं। कभी कृष्ण का रूप धरे दिखते हैं तो कभी गायों को चारा खिलाते हैं। उनके अंधविश्वास का आलम ये है कि सरकार से मिला बंगला उन्होंने इसलिए खाली कर दिया कि उसमें नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी ने भूत छोड़ दिया था।

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बागेशवर धाम के बाबा पर क्यों नहीं बोल रहे लालू?
दरअसल, लालू यादव बाबाओं और तांत्रिकों पर अधिक भरोसा करते हैं। मिर्जापुर जिले के विंध्याचल में रहने वाले तांत्रिक पगला बाबा के जीवित रहते उनकी शरण में लालू अक्सर जाते रहे। चारा घोटाला में फंसने के बाद भी वे पगला बाबा के आश्रम में गए थे। उसके पहले नवरात्र में दिन भर वे तांत्रिक अनुष्ठान में शामिल रहे। लालू तो ये भी बताते हैं कि पगला बाबा की वजह से उनकी जान बची थी। पगला बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने की बात पर लालू ने बताया था कि पगला बाबा ने ही बचपन में उनकी जान बचाई थी। तब घर वाले और डाक्टरों ने उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। ऐसे महान संत का सान्निध्य कोई कैसे छोड़ सकता है। शायद यही वजह रही हो कि लालू बागेश्वर धाम के चमत्कारी बाबा का विरोध करने से खुद बच रहे हों।

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इंदिरा गांधी भी जा चुकी थीं पगला बाबा के आश्रम में
इमरजेंसी खत्म होने के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी की बुरी तरह पराजय हुई थी। एक बार तो ऐसा लगा था कि कांग्रेस की बुनियाद ही उखड़ गई। तब इंदिरा गांधी भी पगला बाबा के आश्रम गई थीं। बाबा का चमत्कार कहें या जनता के मिजाज में बदलाव, 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी की पार्टी ने कामयाबी हासिल कर ली थी। जिस जनता पार्टी ने कांग्रेस को धूल चटा दी थी, उसका ही सफाया हो गया। बाबा के जीवित रहते देश के बड़े नेता सफलता प्राप्ति के लिए अक्सर विंध्याचल जाते थे। विंध्याचल जाने पर वे पगला बाबा का दर्शन करने से नहीं चूकते थे।

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कौन थे पगला बाबा, जिनके पास सफलता की चाबी थी
विंध्य पर्वत पर पगला बाबा का आश्रम है। तंत्र साधना के साधकों के गुरु थे विभूति नारायण उर्फ पगला बाबा। विंध्याचल धाम का आध्यात्मिक महत्व है। नेता ही नहीं, बल्कि जन सामान्य भी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां मां की आराधना करने आते हैं। कामाख्या की तरह ये क्षेत्र तंत्र विद्या का बड़ा केंद्र माना जाता है। तंत्र साधना के लिए लोग यहां आते रहते हैं।

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तांत्रिक कहने पर लालू ने सफेद कुर्ता पहनना छोड़ दिया
लालू प्रसाद यादव का अंधविश्वास केवल पगला बाबा या भूत-प्रेत को लेकर ही नहीं है। सच तो ये है कि उन्होंने एक तांत्रिक के कहने पर सफेद कुर्ता पहनना ही छोड़ दिया था। बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके और फिलवक्त बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी बताते हैं कि इतना ही नहीं, लालू ने तांत्रिक शंकर चरण त्रिपाठी को पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बना दिया था। उसी तांत्रिक ने विंध्याचल में लालू यादव से तांत्रिक पूजा कराई थी। मोदी तो ये भी कहते हैं कि कुछ साल पहले उन्हें मारने के लिए लालू ने तांत्रिक अनुष्ठान कराया था।

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