RBI की 'छूट' पर टूट पड़े लोग, बैंकों में मच गई 'लूट', 10-10 बार बदलवा रहे एक ग्राहक 2000 के नोट

 
2000 rupess note

Rs 2000 Note Exhange : रिजर्व बैंक ने इस बार बिना किसी सख्त नियम और निगरानी के ही लोगों को 2000 रुपये की नोट बदलने का मौका दिया है। 23 मई से इसकी शुरुआत होने के साथ ही इस नियम के साथ खिलवाड़ करने वाले भी एक्टिव हो गए हैं। जानकारों का कहना है कि इस लचीले रवैये की वजह से अवैध रूप से कमाया धन भी व्हाइट मनी में बदल जाएगा।

 

नई दिल्ली। देश में साल 2016 के बाद एक बार फिर नोटबंदी का ऐलान किया गया है। रिजर्व बैंक ने जबसे मीडिया के सामने आकर यह खुलासा किया है कि 2000 की नोट को चलन से बाहर किया जा रहा है, लोगों में अफरा-तफरी का माहौल हो गया है। हालांकि, इस बार न सिर्फ ग्राहकों को अपना नोट जमा करने के लिए भरपूर समय दिया गया है, बल्कि किसी भी तरह की पाबंदी या शर्त भी नहीं लगाई गई है। आरबीआई की इस छूट का फायदा लोग जमकर उठा रहे हैं।

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दरअसल, रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट को लेकर जारी अपने नोटिफिकेशन में साफ कहा है कि इसके लिए ग्राहकों को न तो कोई आईडी प्रूफ देना होगा, न ही किसी तरह के फॉर्म भरने की जरूरत होगी। हां, बस इतनी सी शर्त जरूर लगा दी है कि एक व्यक्ति एक बार में 10 नोट यानी 20 हजार रुपये तक की रकम ही जमा या बदल सकता है। आरबीआई की इस छूट का लोग गलत तरीके से फायदा भी उठा रहे हैं। आलम यह है कि इस नियम के उल्लंघन को लेकर कोर्ट में एक मुकदमा भी दायर किया गया है।

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दाखिल हो गई PIL
सुप्रीम कोर्ट में साइबर मामलों के विधि विशेषज्ञ और लॉयर विराग गुप्ता का कहना है कि इस बार आरबीआई की ढील का कुछ लोग नाजायज फायदा भी उठा रहे हैं। पैसे जमा करने या बदलने के लिए न तो इस बार कोई रिकॉर्ड बनाया जा रहा है और न ही जमा की जाने वाली रकम को लेकर कोई पूछताछ या तफ्तीश की जा रही। ऐसे में बहुत हद तक संभावना है कि कुछ लोग अपने पैसों को गलत तरीके से भी बैंक खाते में जमा करा रहे हैं या फिर उसके बदले वैध करेंसी ला रहे हैं। विराग गुप्ता का कहना है कि इस बार आरबीआई के इन फैसलों को लेकर एक जनहित याचिका भी कोर्ट में दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि नियमों की ढील का फायदा उठाकर अवैध रूप से कमाई रकम भी बैंक खाते में बिना किसी स्कैनिंग के जमा की जा रही है।

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एक आदमी 10-10 बार जमा कर रहा नोट
साल 2016 में जब नोटबंदी की गई थी तब कई तरह के रेग्युलेशन लगाए गए थे, जिसमें नोट जमा करने या बदलवाने वाले को अपने आईडी प्रूफ के साथ दी गई रकम का स्रोत भी बताना पड़ता था। इस बार ऐसा कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। जाहिर है कि लोग एक दिन में ही 10-10 बैंकों में जाकर 2000 के नोट जमा कर सकते हैं। चूंकि, इन ग्राहकों के रिकॉर्ड रखने को लेकर आरबीआई की ओर से कोई आदेश नहीं है, लिहाजा बैंक भी बिना किसी पूछताछ और जांच के धड़ल्ले से पैसे जमा कर रहे हैं।

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अवैध कमाई खपाने का मौका
बैंकिंग मामलों के जानकार और वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अश्विनी राणा का कहना है क‍ि इस बार आरबीआई की ढिलाई का फायदा उठाकर लोग अवैध रूप से कमाए धन को आसानी से वैध बना रहै हैं। अब जबकि बैंकों में किसी तरह की पहचान या प्रूफ की मांग नहीं की जा रही है तो लोग अवैध रूप से कमाए अपने धन को खाते में जमा कराकर या फिर अन्य करेंसी से बदलवाकर उसे सिस्टम के जरिये व्हाइट मनी बना रहे हैं।

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दूसरों से भी बदलवा सकते हैं नोट
आरबीआई ने इस बार नोट बदलने या जमा करने के लिए कड़े नियम नहीं बनाए हैं तो इसका फायदा उठाकर लोग अपने पैसे दूसरों के जरिये भी जमा करा सकते हैं। जानकारों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति अपने 2000 के नोट किसी अन्य व्यक्ति को देकर बैंक में भेजता है तो भी आसानी से उसे दूसरी नोट मिल जाएगी और इस तरह उसका पैसा व्हाइट मनी में बदल जाएगा। यह गोरखधंधा 23 मई से ही शुरू हो चुका है और दूसरे लोग चंद रुपये की लालच में ऐसे ब्लैक मनी वालों के पैसे ले जाकर बैंक में या तो जमा करा रहे हैं या फिर उसे बदलकर अन्य करेंसी दे देते हैं।

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विराग गुप्ता और अश्विनी राणा दोनों ने ही इस बात पर सहमति जताई कि इस बार पुख्ता नियम न होने और लचीला रवैया अपनाए जाने के कारण 2000 रुपये के रूप में काली कमाई भी सिस्टम में आ रही है। हालांकि, आरबीआई का मकसद फिलहाल इस करेंसी को सिस्टम से बाहर निकालना है। शायद यही कारण है कि उसने ज्यादा सख्त नियम बनाने के बजाय लोगों को आसानी से पैसे जमा कराने की छूट दी है।

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