Parliament Session: प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में अडाणी का नहीं किया जिक्र, राहुल गांधी ने कहा- वे अपने दोस्त को बचा रहे

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दिया। अपने भाषण में उन्होंने राहुल गांधी के अडाणी पर पूछे किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। मोदी की पूरी स्पीच में अडाणी का जिक्र तक नहीं था। हालांकि PM विपक्ष की एकता से लेकर राहुल की भारत जोड़ो यात्रा पर तंज जरूर कसते रहे। मोदी के भाषण के बाद राहुल गांधी ने कहा, PM ने मेरे एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। उनके बयान से समझ आ गया है कि वे अडाणी को बचा रहे हैं। इसके पीछे कई सारे कारण हैं। मैं संतुष्ट नहीं हूं, लेकिन इससे सच्चाई उजागर हो रही है। राहुल ने ट्वीट भी किया, न जांच कराएंगे, न जवाब देंगे, प्रधानमंत्री जी बस अपने मित्र का साथ देंगे। लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भाषण दिया, उन्होंने अडाणी ग्रुप को लेकर कुछ दावे किए थे। इसके बाद अडाणी और प्रधानमंत्री मोदी के रिश्ते को लेकर सात सवाल किए थे।
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मोदी ने कहा, कल कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा इको सिस्टम उछल रहा था। समर्थक खुश होकर कह रहे थे कि ये हुई ना बात। नींद भी अच्छी आई होगी, उठ भी नहीं पाए होंगे। ऐसे लोगों के लिए कहा गया है, ये कह कहकर हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं। राष्ट्रपति के भाषण से कुछ सदस्य कन्नी काट गए। एक बड़े नेता राष्ट्रपति जी का अपमान भी कर चुके हैं। जनजातीय समुदाय के प्रति नफरत भी दिखाई दी है। टीवी पर उनके बयानों से भीतर पड़ा हुआ नफरत का भाव बाहर आ गया। बाद में चिट्ठी लिखकर बचने की कोशिश की गई। कई सदस्यों ने सदन में तर्क और आंकड़े दिए। अपनी रुचि, प्रवृत्ति और प्रकृति के अनुसार बातें रखीं। इससे उनकी क्षमता, योग्यता और समझ का पता लगता है। इससे पता चलता है कि किसका क्या इरादा है, देश भी इसका मूल्यांकन करता है।
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जो अभी अभी जम्मू कश्मीर से घूमकर आए हैं, उन्होंने देखा होगा कि कितने आन बान शान के साथ वहां जा सकते हैं। पिछली शताब्दी में मैं भी जम्मू कश्मीर में यात्रा लेकर गया था और लाल चौक में तिरंगा फहराने का संकल्प लेकर गया था। लाल चौक में तिरंगा फहराकर मैंने कहा था, आमतौर पर 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा लहराता है तो भारत का आयुध और बारूद सलामी देता है। आज जब लाल चौक पर तिरंगा फहराया है, तो दुश्मन देश का बारूद सलामी दे रहा है। समय सिद्ध कर रहा है कि जो यहां (सत्ता में) बैठते थे, वो वहां (विपक्ष में) जाने के बाद भी फेल हो गए। देश पास होता जा रहा है डिस्टिंक्शन पर। समय की मांग है कि आज निराशा में डूबे लोग स्वस्थ मन रखकर आत्म चिंतन करें। तिरंगे से कुछ लोगों को शांति बिगड़ने का खतरा लगता था। वक्त देखिए और वक्त का मजा देखिए, अब वो भी तिरंगा यात्रा में शरीक हो गए। कुछ लोग टीवी में चमकने की कोशिश में लगे थे, उसी समय श्रीनगर में दशकों बाद थिएटर हाउसफुल चल रहे थे। आज हम सैकड़ों की तादाद में जम्मू कश्मीर जा सकते हैं। कई दशकों के बाद पर्यटन के कई रिकॉर्ड टूटे हैं।
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उन्होंने यह भी कहा की, देश में हर स्तर पर, हर क्षेत्र में, हर सोच में आशा ही आशा नजर आ रही है। एक विश्वास से भरा हुआ देश है। सपने और संकल्प वाला देश है, लेकिन यहां कुछ लोग ऐसी निराशा में डूबे हैं। काका हाथरसी ने कहा था, आगा पीछा देखकर क्यों होते गमगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन। बीते वर्षों में हार्वर्ड में स्टडी हुई है। उसका टॉपिक था, द राइज एंड डिक्लाइन ऑफ इंडियाज कांग्रेस पार्टी। मुझे भरोसा है कि भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी पर हार्वर्ड ही नहीं, बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी में अध्ययन होना ही है। इस प्रकार के लोगों के लिए दुष्यंत कुमार ने बढ़िया बात कही है, तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं।
मोदी ने आगे कहा, बहुत सारे विपक्षी मिले सुर मेरा तुम्हारा कर रहे थे। मुझे लगता था कि देश की जनता, देश के चुनाव के नतीजे ऐसे लोगों को जरूर एक मंच पर लाएंगे। वो तो हुआ नहीं, लेकिन इन लोगों को ED का धन्यवाद करना चाहिए। उसके कारण ये एक मंच पर आ गए। UPA के 10 साल में सबसे ज्यादा घोटाले हुए। इनकी निराशा का कारण यही है कि देश का सामर्थ्य खुलकर सामने आ रहा है। 2004 से 2014 तक UPA ने हर मौके को मुसीबत में बदल दिया। जब टेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन का युग बढ़ रहा था, उसी समय ये 2G में फंसे रहे। सिविल न्यूक्लियर डील की चर्चा के दौरान ये कैश फॉर वोट में फंसे रहे।2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स हुए। तब CWG घोटाले में देश दुनिया में बदनाम हो गया। सदी के दूसरे दशक में भारत की चर्चा ब्लैकआउट के लिए हुई, तब कोयला घोटाला चर्चा में आ गया। 2008 के आतंकी हमले को कोई भूल नहीं सकता है। 10 साल तक देश आतंकवाद से जूझता रहा। जब HAL सामर्थ्य का अवसर था, तब सत्ता चलाने वाले लोगों के नाम हेलिकॉप्टर घोटाले में आ गए।
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मोदी ने यह भी कहा, लोकतंत्र में आलोचना का बहुत महत्व है। भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। आलोचना लोकतंत्र की मजबूती के लिए है, लेकिन लोगों ने आलोचना के मौके गंवा दिए। हर जगह आरोप, गालीगलौज। चुनाव हार जाओ तो EVM खराब कहकर चुनाव आयोग को गाली, फैसला पक्ष में नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट को गाली दे दो। अगर भ्रष्टाचार की जांच हो रही है तो जांच एजेंसियों को गाली दो। अगर सेना पराक्रम करे, शौर्य दिखाए और देश का जन-जन भरोसा करे तो सेना को गाली दो, उस पर आरोप लगाओ। कभी आर्थिक प्रगति की खबरें आएं, चर्चा हो, तो RBI को गाली दो। मोदी ने कहा, जो अहंकार में डूबे हैं, ऐसी सोच में जीने वालों को लगता है कि मोदी को गाली देकर ही हमारा रास्ता निकलेगा, कीचड़ उछालकर रास्ता निकलेगा। 22 साल बीत गए और वे गलतफहमी ही पालकर बैठे हैं। मोदी पर भरोसा अखबार की सुर्खियों से नहीं पैदा हुआ है, टीवी पर चमकते चेहरों से नहीं हुआ है। हमने देश के लोगों के लिए, देश के भविष्य के लिए जीवन खपा दिया है। क्या ये झूठे आरोप लगाने वालों पर मुफ्त राशन प्राप्त करने वाले देश के 80 करोड़ भारतवासी कभी भरोसा करेंगे।
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