कोई तूफान मुंबई से कभी नहीं टकराता, केवल एक बार हुआ ऐसा, क्या है वजह

ये कहा जाता है कि पिछले 140 सालों में मुंबई में कभी कोई तूफान नहीं आया। तीन साल पहले वहां निसर्ग तूफान जरूर टकराया था लेकिन उससे भी ऐसा नुकसान नहीं हुआ था। वो मुंबई में टकराते टकराते कमजोर हो चुका था।
नई दिल्ली। गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक जैसे प्रदेशों के तटीय इलाकों पर तबाही मचाने वाले तूफान आमतौर पर अरब सागर में बनते हैं। वहा से वह भारत के पश्चिमी इलाकों में सक्रिय हो जाते हैं। लेकिन आप हैरान हो सकते हैं कि आमतौर पर चक्रवाती तूफान मुंबई से नहीं टकराते। इस बार बिपरजॉय भी इसके अगल बगल से निकल गया लेकिन मुंबई पर आंच नहीं आई। बस मरीन ड्राइव पर ऊंची ऊंची लहरें जरूर उठती देखी गईं। ये तूफान का ही असर था। केवल एक ही बार मुंबई तो एक चक्रवाती तूफान का सामना करना पड़ा था।
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हाल-फिलहाल के दशकों में जो तूफान मुंबई से टकराया था, वो निसर्ग था। ये वर्ष 2020 में मुंबई के तटीय इलाकों में हलचल पैदा करने वाला था। सवाल उठता है कि सागर तट पर बसे होने के बाद भी मुंबई में चक्रवाती तूफान क्यों नहीं आते हैं।
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साल 1882 में मुंबई में आए तूफान को लेकर है विवाद
मुंबई में अब से पहले 1882 में एक तूफान के तबाही मचाने का जिक्र अकसर होता है। कहा जाता है कि उस तूफान के कारण मुंबई में 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि, इसके टकराने और अफवाह होने को लेकर विवाद है। ये करीब 140 साल पहले की बात है और रिकॉर्ड भी इस बारे में बहुत ज्यादा नहीं बताते।
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, अमूमन अरब सागर (Arabian Sea) में उठने वाले तूफान तटीय इलाकों पर टकराते तो हैं लेकिन उसके बाद आगे बढ़ जाते हैं।
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क्यों होता है मुंबई में ऐसा
जानते हैं कि मुंबई में चक्रवाती तूफान क्यों नहीं आते हैं। भारत में मौसम विभाग (IMD) ने 1891 में तूफानों का आधिकारिक रिकॉर्ड दर्ज करना शुरू किया था। साइक्लोन ई-एटलस रिकॉर्ड के मुताबिक, मुंबई में कभी भी चक्रवाती तूफान नहीं आया है। वहीं, जून में पूरे महाराष्ट्र में कभी तूफान नहीं आया है।
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मुंबई से टकराने से पहले कमजोर जाते हैं सभी तूफान
बताया जाता है कि मुंबई कुछ इस तरह से बसा हुआ (Geography) है कि कभी तूफान नहीं आते हैं। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, अरब सागर में उठने वाले ज्यादा चक्रवाती तूफान की दिशा पश्चिम-उत्तर-पश्चिम होती है। ये तूफान अरब सागर के तटीय इलाकों से मई में टकराते हैं।
इसके बाद जून में उत्तर दिशा में बढ़ते हुए गुजरात के तटीय इलाकों की ओर बढ़ जाते हैं। ये पृथ्वी के घूर्णन (Rotational Character) या साधारण शब्दों में कहें तो धुरी पर घूमने के कारण होता है। इससे चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा के उलटे (Anti-Clockwise) चलते हैं।
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स्टीयरिंग विंड्स तय करती हैं तूफान के बढ़ने की दिशा
अरब सागर में सामान्य तौर पर पूर्वी मध्य या दक्षिण पूर्वी हिस्से में तूफान बनना शुरू (Origin) होते हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि अरब सागर में उठने वाले चक्रवात तूफानों की स्वाभाविक प्रवृत्ति अरब प्रायद्वीप की ओर है। ये तूफान गुजरात (Gujarat) में सौराष्ट्र और कच्छ से टकरा सकते हैं।
ऐसे में कहा जा सकता है कि मुंबई अरब सागर के तूफानों के टकराने की प्राकृतिक जगह नहीं है। इसके अलावा हवाओं की दिशा के कारण भी मुंबई में तूफान नहीं आते हैं। इन्हें स्टीयरिंग विंड्स (Steering Winds) कहा जाता है।
ये हवाएं ही तूफान के बढ़ने की दिशा तय करती हैं। ये हवाएं पृथ्वी की सतह से ऊपर वातावरण की बीच की परत में बहती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये हवाएं तूफान की ऊपरी परत बनाती हैं। उसे अपने बहने की दिशा में मोड़ देती हैं।
साइक्लोन समुद्र तट के नजदीक नहीं बनते हैं। ऐसे में ये हवाएं अरब सागर में बनने वाले तूफानों को भारत के तटीय इलाकों से दूर ले जाती हैं। अरब सागर के ज्यादातर चक्रवाती तूफान उत्तर-पश्चिम में ओमान व यमन या अफ्रीका में सोमालिया की ओर बढ़ जाते हैं।
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सब-ट्रॉपिकल रिज के कारण भी नहीं आते मुंबई में तूफान
मुंबई को चक्रवाती तूफानों से एक और ढाल बचाती है, जिसे मौसम विज्ञानी उपोष्ण कटिबंध (Subtropical Ridge) कहते हैं। ये दक्षिण पश्चिमी मानसून से जुड़ा है। उपोष्ण कटिबंध उच्च दबाव वाली हवा की बड़ी बेल्ट होती है। इनमें धीमी रफ्तार वाली ठंडी हवाएं होती हैं। वहीं, निसर्ग जैसे उष्णकटिबंधीय तूफान ठंडी हवाओं में बहुत कमजोर पड़ जाते हैं।
मुंबई समेत पश्चिमी तटीय इलाकों में प्री-मानसून सीजन में ये उपोष्ण कटिबंध बन जाता है। इससे मुंबई समेत पश्चिम तटीयस इलाकों में चक्रवाती तूफान आने की आशंका खत्म हो जाती है।
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दूसरी ओर तूफान कटिबंध के पीछे-पीछे चलते हैं। ऐसे में ये मुंबई को छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। इसके बाद उत्तर में गुजरात की ओर मुड़ सकते हैं। कुछ ऐसा ही गुजरात में 1998 में आए तूफान और 2019 में वायु के साथ भी हुआ था। इस समय भी अरब सागर में हवा के पैटर्न बदल रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पर्यावरण परिवर्तन के कारण अरब सागर का तापमान बढ़ रहा है। इस वजह से अब अरब सागर में तूफान ज्यादा बन रहे हैं और ज्यादा बनेंगे।
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