नीतीश कुमार जीतन राम मांझी को नहीं मनाएंगे! संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद रत्नेश सदा कल मंत्री बन सकते हैं

नीतीश कैबिनेट में बड़ा फेरबदल हो सकता है। सहरसा के सोनबर्षा राज से जदयू विधायक रत्नेश सदा मंत्रिमंडल के नए सदस्य होंगे। संतोष सुमन के इस्तीफे से खाली महकमे को वे संभालेंगे।
पटना। नीतीश कैबिनेट से जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफा देने के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल गया है। मंत्री संतोष सुमन का इस्तीफ़ा मंजूर कर लिया गया है। कैबिनेट विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इस बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि सहरसा के सोनबर्षा राज से जदयू विधायक रत्नेश सदा मंत्रिमंडल के नए सदस्य होंगे। संतोष सुमन के इस्तीफे से खाली महकमे को रत्नेश सदा संभालेंगे। बुधवार को रत्नेश सदा को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। इस बीच मंगलवार की शाम पटना पहुंचते ही रत्नेश सदा सीएम आवास पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। बता दें कि रत्नेश सदा के मुखिया प्रत्याशी बेटे राजीव कुमार की 2021 पंचायत चुनाव में करारी हार हुई थी।
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राजनीतिक जानकार बताते हैं कि मांझी की बगावत और संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद मुसहर जाति के रत्नेश सदा को मंत्री बनाकर नीतीश महादलित वोट बैंक को मैसेज देना चाहते हैं कि उनकी जगह और पूछ सरकार में बनी हुई है। बता दें कि आज महागठबंधन सरकार के घटक दल हम (हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा) ने सरकार से किनारा कर लिया। हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सूबे के एससी-एसटी कल्याण मंत्री संतोष कुमार सुमन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा संसदीय कार्य विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी को सौंप दिया। राज्यपाल के सूबे में मौजूद नहीं होने की वजह से उनसे मिलकर संतोष कुमार सुमन अपना त्याग-पत्र नहीं सौंप पाए।
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सरकार से अपने को दरकिनार करने के बाद संतोष कुमार सुमन ने अपनी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि सत्तारूढ़ दल जदयू की तरफ से उनकी पार्टी हम को मर्ज करने का लगातार दबाव दिया जा रहा था। काफी समय से उनकी पार्टी को जदयू में विलय करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था, लेकिन अब यह असहनीय हो गया था, इसलिए इस्तीफा देकर अलग होना ही विकल्प बचा था। उन्होंने कहा कि आज तक तो किसी तरह से बचते आ रहे थे, परंतु अब लगने लगा कि बच नहीं पाएंगे, तो अलग होना ही एकमात्र रास्ता बचा। हालांकि यह भी कहा कि वे आज भी महागठबंधन में बने रहना चाहते हैं। अब महागठबंधन के दलों को तय करना है कि उन्हें साथ रखना चाहते हैं या नहीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कहा कि वे सरकार को अच्छे से चला रहे हैं। बिहार का भविष्य उनके हाथ में है।
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