मोदी सरनेम मानहानि केस : राहुल गांधी को बड़ा झटका, सूरत सेशंस कोर्ट ने बरकरार रखी दो साल की सजा

 
rahul gandhi

Rahul Gandhi appeal against sentence dismissed: मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। सूरत की सेशंस कोर्ट ने राहुल गांधी की अपील पर फैसला सुनाते हुए उनकी दो साल की सजा को बरकरार रखा। अब कांग्रेस नेता को सजा पर रोक के लिए हाईकोर्ट का रुख करना पड़ेगा।

 

अहमदाबाद। मोदी सरनेम मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। सूरत सेशंस कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को बरकरार रखा। ऐसे में अब राहुल गांधी को राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। सूरत सेशंस कोर्ट ने 11 बजे अपील पर अपना फैसला सुनाया। यह फैसला सेशंस कोर्ट में एडीजे रॉबिन पॉल माेगेरा ने सुनाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत की निचली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी अपील में सूरत सेशंस कोर्ट से सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। राहुल गांधी की अपील पर सेशंस कोर्ट में 13 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। इसके बाद एडीजे रॉबिन पॉल मोगेरा ने फैसले को 20 अप्रैल तक सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले सूरत की सीजेएम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता चली गई थी। ऐसे में फिलहाल राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल नहीं होगी।

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हमें उम्मीद थी कि सेशंस कोर्ट से राहत मिलेगी। अपील में तमाम तथ्य रखे गए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। आगे हमारे पास हाईकोर्ट जाने का विकल्प है। हम उसका इस्तेमाल करेंगे। सेशंस कोर्ट के फैसले की सर्टिफाइड कॉपी आने के बाद हाईकोर्ट में अपील की दिशा में काम शुरू किया जाएगा।
 

डॉ. मनीष दोषी, मुख्य प्रवक्ता, गुजरात कांग्रेस

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हाईकोर्ट में करनी होगी अपील
सूरत सेशंस कोर्ट द्वारा राहुल गांधी की सजा पर रोक की अर्जी खारिज किए जाने के बाद उन्हें हाईकोर्ट का रुख करना पड़ेगा। जानकारी के अनुसार राहुल गांधी को अगले 30 दिनों में गुजरात हाईकोर्ट में सेशंस कोर्ट के फैसले को चुनौती देनी होगी। मोदी सरनेम मानहानि केस में दो साल की सजा के बाद राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता जा चुकी है। अगर इस सजा पर रोक नहीं लगी तो वे 2024 में चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।

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दोनों पक्षों ने रखी थी दलीलें
सुनवाई के दौराना राहुल गांधी के वकीलों और इस केस के याचिककर्ता पूर्णेश मोदी के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें रखी थीं। इस दौरान राहुल गांधी की तरफ से निचली कोर्ट द्वारा दी गए फैसले को गलत और विकृत करार दिया था। राहुल गांधी की तरफ से कहा गया था कि वे विपक्ष दल के सांसद हैं। ऐसे में वे हमेशा सरकार की आलोचना सुनहरे शब्दों में नहीं कर सकते हैं। ऐसे में उनके बयान को बड़े परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। तो वहीं पूर्णेश मोदी की वकीलों ने राहुल गांधी को गैर जिम्मेदार बयान देने का व्यक्ति करार दिया था और कहा था कि वे अक्सर मानहानि वाले बयाने देते हैं। मोदी की तरफ से कोर्ट में यह भी कहा गया था कि राहुल गांधी राज्य और केंद्र के पार्टी नेताओं को कोर्ट में लाकर अदालत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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