लद्दाख में चीन के खिलाफ मोदी सरकार की DDLJ नीति, मतलब भी समझाया जयराम रमेश ने

 
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान लद्दाख में चीन से सीमा विवाद पर राहुल गांधी के बयान की खिंचाई की थी। अब जयराम रमेश ने केंद्र पर सच्चाई को स्वीकार नहीं करने का आरोप लगाया।

 

नई दिल्ली। दो दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान लद्दाख में चीन से सीमा विवाद पर राहुल गांधी के बयान की खिंचाई की थी। जयशंकर ने कहा था कि जिन इलाकों पर चीन के कब्जे की बात वो कर रहे हैं वो 1962 की बात है, आज की नहीं। अब जयशंकर के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने केंद्र पर सच्चाई को स्वीकार नहीं करने का आरोप लगाया। कहा कि मई 2020 के बाद से लद्दाख में चीनी घुसपैठ से निपटने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की पसंदीदा रणनीति है- DDLJ।

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जयराम रमेश ने DDLJ की मीनिंग भी बताई। कहा- मोदी सरकार का मंत्र है- डिनाई (इनकार), डिस्ट्रैक्ट (ध्यान भटकाना), लाई(झूठ) और जस्टीफाई (न्यायोचित ठहराना)।

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सोमवार को कांग्रेस ने मोदी सरकार पर नया हमला बोलते हुए बॉलीवुड की पॉपुलर फिल्म डीडीएलजे की नई मीनिंग इजात कर डाली। जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, "विदेश मंत्री एस जयशंकर की कांग्रेस पार्टी पर हमला करने वाली हालिया टिप्पणी मोदी सरकार की विफल चीन नीति से ध्यान हटाने का नवीनतम प्रयास है, सबसे हालिया रहस्योद्घाटन यह है कि मई 2020 के बाद से भारत ने लद्दाख में 65 में से 26 गश्त बिंदुओं तक पहुंच खो दी है।"

रमेश ने कहा कि तथ्य यह है कि 1962 से आज की तुलना ऐसे वक्त में की जा रही है, जब 2020 से भारत अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए चीन के साथ संघर्ष कर रहा है। भारत ने इस पर इनकार के साथ चीनी आक्रामकता को स्वीकार कर लिया है।  

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जयशंकर ने क्या कहा था
रमेश ने यह बात जयशंकर के उस बयान के कुछ दिनों बाद कही है जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ लोग जानबूझकर चीन मुद्दे के बारे में गलत खबरें फैलाते हैं। यह जानते हुए कि यह सच नहीं है, यह सब राजनीति के लिए किया जा रहा है। दरअसल, 1962 में चीन ने कब्जा किया था, जिसे ऐसे बताया जा रहा है मानो आज की बात हो। जयशंकर ने यह टिप्पणी पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान की थी। उन्होंने सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया लेकिन, माना जा रहा है कि राहुल गांधी के हालिया बयान पर जयशंकर कमेंट कर रहे थे।

जयराम रमेश ने पूछा, "2017 में चीनी राजदूत से मिलने के लिए राहुल गांधी पर जयशंकर का यह कहना विडंबना है कि कम से कम किसी ऐसे व्यक्ति से आ रहा है जो ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका में राजदूत के रूप में संभवतः प्रमुख रिपब्लिकन से मिला था। क्या विपक्षी नेता राजनयिकों से मिलने के हकदार नहीं हैं? ऐसे देश जो व्यापार, निवेश और सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं?" 

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कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार को शुरू से ही ईमानदार होना चाहिए था और संसदीय स्थायी समितियों में चीन संकट पर चर्चा करके और संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करके विपक्ष को भरोसे में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा, "कम से कम इसे प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए विस्तृत ब्रीफिंग करनी चाहिए थी।"

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