Lucknow : इस बार यूपी का 'लंगड़ा' लगाएगा लंबी छलांग, रंगीली मिर्च की भी भारी मांग

 
langada aam

यहां की रंगीली तीखी मिर्च की भी खूब मांग है। आगरा में हुए दो दिन के अंतराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में ग्रीस व अन्य कई देशों से आए कारोबारियों ने इन उत्पादों में अपनी गहरी रुचि दिखाई है।

 

नई दिल्ली। यूपी का लंगड़ा आम इस बार लंबी छलांग लगाने वाला है। यहां की रंगीली तीखी मिर्च की भी खूब मांग है। आगरा में हुए दो दिन के अंतराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में ग्रीस व अन्य कई देशों से आए कारोबारियों ने इन उत्पादों में अपनी गहरी रुचि दिखाई है। अधिकारियों एवं किसानों का मानना है कि इस सम्मेलन से कई देशों में यूपी के निर्यात की नई संभावनाओं को आकार मिला है। इसके लिए अब पूरी कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

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आगरा में दो व तीन अप्रैल को अंतराष्ट्रीय क्रेता विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में मुख्य फोकस जहां आलू पर था तो वहीं अन्य औद्यानिक उत्पादों के लिए भी मशक्कत की गई थी। सम्मेलन में उप्र के 150 से ज्यादा एफपीओ, कारोबारी, किसान शामिल हुए तो साथ ही विभिन्न देशों के 70 कारोबारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 

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देश विदेश के निवेशक इसमें शामिल हुए। निदेशक उद्यान आरके तोमर के मुताबिक इस सम्मेलन में दुबई, मलेशिया, बहरीन, ग्रीस, बाग्लादेश, नेपाल, भूटान आदि से व्यापारी आए थे। नेपाल के कृषि विभाग की ज्वाइंट सेक्रेटरी भी कार्यक्रम में शामिल हुई थीं। इन कारोबारियों ने कई उत्पादों में अपनी रुचि दिखाई। अहम बात यह रही कि भले ही आम की फसल अभी न आने के कारण सम्मेलन में आम का प्रदर्शन नहीं किया गया, लेकिन कारोबारियों ने आम खरीदने की इच्छा जताई।

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खास मांग उठी
वैसे तो अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, इंग्लैंड, स्वीडन, उजबेकिस्तान, इटली, दक्षिणी कोरिया, नेपाल, दुबई, भूटान, स्विटजरलैंड, फ्रांस आदि देशों में यूपी से आम जाता रहा है पर अब ग्रीस, बहरीन के कारोबारियों ने खास तौर पर लंगड़ा आम मांगा है। दशहरी और चौसा भी इन देशों को भाया है। यूपी में प्रतिवर्ष 35 से 40 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है। साल 2020-21 में 104 टन आम का निर्यात किया गया था। वर्ष 2021-2022 में यह 4122 टन पर पहुंच गया। वर्ष 2022-2023 में अप्रैल से जनवरी माह तक ही 527 मीट्रिक टन का निर्यात हुआ। दरअसल मलिहाबाद के अलावा उन्नाव का हसनगंज, हरदोई का शाहबाद, सहारनपुर का बेहट, बाराबंकी, प्रतापगढ़, बुलंदशहर, बागपत का रटौल, मेरठ का धौलड़ी और अमरोहा समेत विभिन्न 15 ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आम की गुणवत्ता न केवल बेहद अच्छी है बल्कि यहां से दूसरे देशों को निर्यात होता है।

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दुबई शो में भी जाएगा आम
दुबई हर साल मैंगो शो का आयोजन करता है। इस साल 17 मई को यह आयोजन है। यहां दूसरे देशों से भी आम आता है और अपने यहां से भी। इसमें यूपी के आम की खूब धूम रहती है। दुबई के कारोबारियों ने इस शो में यूपी की अधिकतर प्रसिद्ध किस्मों को भेजने का न्यौता दिया। कहा है कि इस शो में यूपी के आम की जबरदस्त उपस्थिति दर्ज होगी तो वहां आम का निर्यात और बढ़ेगा।

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जी-4 मिर्च की मांग
यूपी में गुंटूर प्रजाति की मिर्च काफी प्रसिद्ध है, जिसे जी-4 कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह शुरुआती समय में एकदम हरी होती है। इसके बाद यही पक कर तीखी लाल हो जाती है। कारोबारियों ने इसी किस्म की ज्यादा मांग की है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि जब हरी मिर्च भेजी जाए तो उसका रंग गहरा हरा ही हो। गाजर के सिर का भाग हरा ही हो। बारिश के कारण यह भाग काला पड़ गया है, जिसके लिए कारोबारियों का हाथ खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि इससे यह लगता है कि उत्पाद पुराना हो गया है। उसी की मांग दुबई, बहरीन आदि में सबसे ज्यादा है।

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55 एमएम का आलू चाहिए
कई देशों ने यूपी से आलू का कारोबार करने पर भी सहमति जताई लेकिन कहा है कि आलू अच्छी गुणवत्ता का ही होना चाहिए। यहां अच्छी औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) का मतलब है कि जिसकी मोटाई 45 से 85 एमएम हो। कटा- फटा न हो। ऐसे में नेपाल, बांग्लादेश, बहरीन आदि के कारोबारियों की मांग है कि आलू की मोटाई कम से कम 55 एमएम हो। इस तरह का आलू भेजा जाए। इस साल जब आलू की दुर्गति हुई थी, तो विदेशी व्यापार के जरिए ही स्थिति संभली। प्रदेश में लगभग 242.93 लाख मीट्रिक टन उत्पादन अनुमानित है। कारोबारियों ने लाल आलू में भी रुचि दिखाई है।

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निर्यात में यातायात सुलभ करने का मुद्दा उठा
इस सम्मेलन में निर्यात के लिए यातायात व्यवस्था को और सुलभ करने का मुद्दा उठा। कारोबारी प्रवेश कुमार, नितिन कुमार, रोहित सिंह के अनुसार ने सुविधाजनक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध हो ताकि वहां उत्पाद जाते जाते उत्पाद बासी या खराब न हो जाए। इसके लिए हवाई यातायात की आवश्यकता होती है। हालांकि यहां से निर्यातक को उत्पाद भेजने में ट्रांसपोर्ट पर 25 प्रतिशत की छूट दी जाती है पर यह अधिकतम 10 लाख रुपये है। इसी बाध्यता खत्म हो। जितना भी कारोबार पूरा करे, उस पर पूरे पर ही 25 प्रतिशत छूट दी जानी चाहिए।

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