गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद उल्टी होती है

 
vomiting during pregnancy treatment

गर्भावस्‍था का एक जाना पहचाना लक्षण है उल्‍टी। अमूमन हर महिला को प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में उल्‍टी होती ही है। इस समय उल्‍टी और मतली होने को मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है।

 

नई दिल्ली। गर्भावस्‍था के सबसे सामान्‍य लक्षणों में से एक है उल्‍टी होना। लगभग 70 फीसदी प्रेगनेंट महिलाओं को उल्‍टी और मतली होती ही है। हालांकि, कुछ महिलाओं को पूरे नौ महीने तक यह दिक्‍कत रह सकती है।

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आइए जानते हैं कि गर्भावस्‍था में उल्‍टी कब शुरू होती है और उल्‍टी रोकने के घरेलू उपाय क्‍या हैं?

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क्‍या प्रेगनेंसी में उल्‍टी होना नॉर्मल है
जी हां, गर्भावस्‍था में उल्‍टी होना सामान्‍य बात है। इसे नॉजिया और वॉमिटिंग इन प्रेगनेंसी (एनवीपी) भी कहा जाता है और इसका स्‍पष्‍ट कारण पता नहीं चल पाया है। एक थ्‍योरी के मुताबिक, गर्भावस्‍था के दौरान शरीर में आने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण ऐसा होता है।

दिन या रात में किसी भी समय प्रेगनेंट महिला को एनवीपी की दिक्‍कत हो सकती है। हालांकि, अधिकतर महिलाओं को प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक ही यह दिक्‍कत रहती है लेकिन कुछ मामलों में यह परेशानी तीसरी तिमाही तक भी रह सकती है।

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प्रेगनेंसी में उल्टी कब से शुरू होती है
गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही के चौथे से छठे हफ्ते से ही उल्‍टी की दिक्‍कत होने लगती है। इस समय गर्भाशय में इंप्‍लांटेशन पूरा होता है। शुरुआती तीन महीने खत्‍म होने पर उल्‍टी की शिकायत भी खत्‍म हो सकती है। अगर आपकी यह प्रॉब्‍लम कम होने की बजाय बढ़ गई है तो इसे हाइपरमेसि‍स ग्रेविडेरम कहते हैं। यह एक गंभीर स्थिति है लेकिन अगर किसी प्रेगनेंट महिला काे उल्‍टी का लक्षण नहीं दिख रहा है तो घबराने की कोई बात नहीं है।

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प्रेगनेंसी में उल्‍टी क्‍यों आती है
गर्भावस्‍था के दौरान हार्मोंस में उतार चढ़ाव बहुत आता है और इसी के कारण उल्‍टी हो सकती है। माना जाता है कि प्रेगनेंसी हार्मोन एस्‍ट्रोजन के बढ़ने की वजह से उल्‍टी की दिक्‍कत होती है। वहीं, प्रेगनेंट महिला के अत्‍यधिक स्‍ट्रेस लेने पर भी उल्‍टी ट्रिगर हो सकती है।
गर्भवती महिला का पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से उन्‍हें ज्‍यादा भारी चीजें पचाने में दिक्‍कत होती है। ऐसे में भी उल्‍टी होने की संभावना रहती है।

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प्रेगनेंसी में उल्टी होने पर क्या करें
सुबह नाश्‍ते में टोस्‍ट, अनाज आदि खाएं। वहीं, रात को सोने से पहले चीज या हाई प्रोटीन स्‍नैक खाएं। दिनभर फलों का ताजा रस और पानी पीती रहें। एक ही बार में ज्‍यादा पानी या जूस पीने की गलती न करें।
हर दो से तीन घंटे में थोड़ा-थोड़ा खाना या स्‍नैक्‍स जरूर खाएं। एक बार में ही ज्‍यादा खाने से बचें। तेज खुशबू वाली चीजें खाने से बचें।

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उल्‍टी रोकने के घरेलू उपाय
कुछ घरेलू उपायों की मदद से प्रेगनेंसी में उल्‍टी होने की समस्‍या को कंट्रोल किया जा सकता है।
अदरक की चाय : अदरक की चाय उल्‍टी को रोकने के साथ पाचन में सुधार और एसिडिटी कम करती है। आप अदरक का एक टुकड़ा भी चबा सकती हैं।
संतरा : संतरे में सिट्रिक एसिड होता है जिसे सूंघने पर मतली ठीक होती है। आप संतरे का जूस भी पी सकती हैं या इसे सूंघने से भी आराम मिलता है।
नींबू पानी: नींबू खनिज पदार्थों से युक्‍त होता है और गर्भावस्‍था में होने वाली मतली और उल्‍टी को रोकने का भी गुण रखता है।

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