Gyanvapi Survey: मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी सर्वे पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC पहुंचा, चीफ जस्टिस ने कहा- जल्द आदेश देंगे

 
gyanvapi

Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार (03 अगस्त) को अपना फैसला सुनाते हुए एएसआई को सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

नई दिल्ली। Gyanvapi Case: ज्ञानवापी सर्वे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति गुरुवार (3 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट पहुंची। वकील निजाम पाशा ने एएसआई के सर्वे को रोकने की मांग चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखी।

विज्ञापन: "जयपुर में JDA अप्रूव्ड प्लॉट्स आगरा रोड, मैन हाईवे पर उपलब्ध, कॉल 9314188188

उन्होंने कहा कि हमने तत्काल विचार के लिए ईमेल भी भेजा है। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस पर विचार करके जल्द आदेश देंगे। वहीं, दूसरी तरफ हिंदू पक्ष की तरफ से याचिकाकर्ता राखी सिंह ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया है।

निचली अदालत की याचिकाकर्ता राखी सिंह ने पक्ष सुने बिना मुस्लिम पक्ष की अपील पर कोई आदेश न देने की मांग की है। गुरुवार को ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे को सही ठहराया।

यह खबर भी पढ़ें: 'दादी के गर्भ से जन्मी पोती' अपने ही बेटे के बच्चे की मां बनी 56 साल की महिला, जानें क्या पूरा मामला

हिंदू श्रद्धालु महिलाओं के मामले में कल सुनवाई
ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर HC के आदेश के मद्देनजर यह जानकारी अहम है कि कल SC में मुस्लिम पक्ष की एक याचिका सुनवाई के लिए लगी है। यह वह याचिका है जिसमें हिंदू श्रद्धालु महिलाओं के आवेदन को सुनवाई योग्य ठहराने का विरोध किया गया है। ऐसे में शुक्रवार (4 अगस्त) को भी हाई कोर्ट के नए आदेश का मसला भी उठ सकता है।

यह खबर भी पढ़ें: महिला टीचर को छात्रा से हुआ प्यार, जेंडर चेंज करवाकर रचाई शादी

HC ने बरकरार रखा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि एएसआई सर्वे से इमारत को कोई नुकसान नहीं होगा। न्याय हित में सर्वे कराया जाना जरूरी है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सर्वे पर लगी रोक हट गई है और अब कभी भी ज्ञानवापी का सर्वे शुरू किया जा सकता है। 

वाराणसी जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने 21 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। निचली अदालत ने सर्वे का आदेश दिया था। इससे अब हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है।

यह खबर भी पढ़ें: 'मेरे बॉयफ्रेंड ने बच्चे को जन्म दिया, उसे नहीं पता था वह प्रेग्नेंट है'

क्या है कैविएट
दरअसल, जब भी किसी को यह डर रहता है कि कोई उसके खिलाफ कोर्ट में मामला दायर करने जा रहा है तो वह पहले ही इसे लेकर कैविएट पिटीशन डाल सकता है। ताकि उसकी बात को भी सुना जाए। ऐसे ही हिंदू पक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट में यह पिटीशन दाखिल की है। 

Download app : अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप

विज्ञापन: "जयपुर में निवेश का अच्छा मौका" JDA अप्रूव्ड प्लॉट्स, मात्र 4 लाख में वाटिका, टोंक रोड, कॉल 8279269659

From around the web