ज्ञानवापी केस: खुदाई को लेकर मुस्लिम पक्ष ने जताई आशंका, हाईकोर्ट में सुनवाई जारी

 
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ज्ञानवापी परिसर का सोमवार को भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम द्वारा शुरू किया गया सर्वे पूरा होगा या नहीं इस पर फैसला थोड़ी देर में आ जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है।

प्रयागराज। Gyanvapi ASI Survey Case: ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को सुबह 9:32 बजे से सुनवाई चल रही है। भोजनावकाश के पहले बहस के दौरान दोनों पक्षों (हिन्‍दू और मुस्लिम) ने कई दलीलें दीं। अब शाम साढ़े चार बजे एक बार फिर सुनवाई शुरू होगी। सुबह से चल रही सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने आशंका जताई कि सर्वे के दौरान खुदाई की गई तो भवन ध्‍वस्‍त हो जाएगा। जबकि हिन्‍दू पक्ष ने कहा कि मुस्लिम पक्ष एएसआई सर्वे से डर रहा है। कहा गया कि सर्वे के दौरान कुछ भी नहीं हटायेंगे। सिर्फ फोटो ली जाएगी। स्ट्रक्चर की कार्बन डेटिंग जांच की जाएगी। 

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मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को लेकर कोर्ट ने एएसआई अधिकारी को बुलाया। लंच बाद सुनवाई जारी रहेगी। अब सुनवाई साढ़े चार बजे से होगी। मिली जानकारी के अनुसार चीफ जस्टिस ने कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के अधिवक्‍ता से पूछा कि सर्वे से आपको तकलीफ क्‍या है? इस पर मुस्लिम पक्ष के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता ने कहा कि एक अवैधानिक आदेश से अवैधानिक करवाई की जा रही है और उससे भवन को नुकसान होगा। आशंका है कि सर्वे व खुदाई से भवन ध्वस्त हो जायेगा। सुप्रीम कोर्ट में एएसआई की ओर से कहा गया है कि एक हफ्ते बाद खुदाई होगी। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि मंदिर और मस्जिद के लिए स्टेट्यूटरी बॉडी हैं। उनमें कोई विवाद नहीं है। ये थर्ड पर्सन हैं, जिन्होंने वाद दायर किया है। 

हिन्‍दू पक्ष के वकील ने कहा कि डिक्लीरेशन सूट है कि संपत्ति पर स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर नाथ का स्वामित्व हो और पूजा का अधिकार दिया जाए। इस पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्‍ता ने कहा कि कानून प्री-मेच्योर स्टेज पर एएसआई सर्वे की अनुमति नहीं देता। ज्ञानवापी पर एडवोकेट कमिश्नर रिपोर्ट अब भी लंबित है। सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड के वकील पुनीत गुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला है कि साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए आदेश नहीं हो सकता। कोर्ट साक्ष्य बनाने की अनुमति नहीं दे सकती।

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फ़ैसले में कहा है कि साक्ष्य के लिए तकनीकी जांच कर साक्ष्य इकट्ठा करने का आदेश अदालत नहीं दे सकती है। हिन्‍दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि जीपीएस सर्वे और डेटिंग एक्सरसाइज जांच का तरीका है। डेटिंग से स्ट्रक्चर की आयु पता चलेगी। इससे स्‍ट्रक्‍चर को कोई नुकसान नहीं होगा। कोर्ट ने एएसजीआई को बुलाया और पूछा कि धरातल पर क्या करेंगे आप। एएसजीआई ने कहा कि साइंटिफिक जांच होगी। स्ट्रक्चर को नुकसान नहीं होगा। तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस पर चीफ जस्टिस ने क्या ड्रिल नहीं करेंगे आप? क्या करेंगे बताएं? एएसजीआई ने कहा कि जांच कर फोटो लेंगे, संपत्ति को क्षति नहीं होगी।

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कोर्ट ने फिर पूछा कि करेंगे क्या तो एएसजीआई ने कहा कि जांच कैसे होगी, यह तो टीम ही बता सकती है। लेकिन हम यह आश्वस्त करते हैं कि बिना क्षति सर्वे पूरा होगा। जो भी करेंगे आदेश के मुताबिक ही करेंगे। हिन्‍दू पक्ष के वकील ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि सर्वे के आदेश के पूर्व वाद बिंदु तय किया जाना जरूरी है। उन्होंने कुछ विधि व्यवस्थाओं का कंपईलेजेशन पेश किया। कहा कि 1993 तक विवादित ढांचा परिसर में गणेश, हनुमान, श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी। नवंबर 1993 में प्रशासन ने बैरिकेडिंग करके पूजा रोकी दी। वहां व्यास परिवार पूजा करता था। राम जन्मभूमि के विवाद के कारण पूजा रोकी गई। हालांकि अब भी एक दिन पूजा होती है। मस्जिद हमेशा विवादित रही है। औरंगजेब ने मंदिर का हिस्सा तोड़ा, फिर भी पूजा होती रही। ईशान कोण में श्रृंगार गौरी की पूजा होती है। आदि विश्वेश्वर मंदिर है। क्या विपक्षी कह सकते हैं कि औरंगज़ेब ने मंदिर नहीं तोड़ा? कमीशन किसी भी स्टेज पर जारी हो सकता है। सीपीसी के रूल 10 के तहत कमीशन द्वारा इकट्ठा साक्ष्य वाद तय करने के सबूत हो सकते हैं।

पक्षकार सबूत पेश कर सकते हैं और किसी रिपोर्ट पर सवाल भी उठा सकते हैं। सर्वे रिपोर्ट विशेषज्ञ की राय है और इसमें कोई शक नहीं कि स्ट्रक्चर नान इस्लामिक है। हिन्‍दू पक्ष के वकील ने राम मंदिर के फ़ैसले में पैरा 654 से 730.7 के बीच के कई बिंदु अपने तर्क के समर्थन पढ़े। सीएससी कुणाल रवि ने कहा कि रडार सिस्टम और अन्य सिस्टम हैं जिससे जांच हो सकती है। ले आउट तैयार कर जांच होगी। एएसआई विशेषज्ञ संस्था है। हिन्‍दू पक्ष के वकील विष्‍णु जैन ने कोर्ट के पास टैबलेट ले जाकर दिखाया कि एएसआई की जांचें कैसे की जाती हैं। 

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सर्वे होगा या नहीं? शाम तक आ जाएगा फैसला
ज्ञानवापी परिसर का सोमवार को भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम द्वारा शुरू किया गया सर्वे पूरा होगा या नहीं इस पर शाम तक फैसला आ जाएगा। सर्वे के लिए पिछली 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने आज (26 जुलाई) की शाम पांच बजे तक सर्वे पर रोक लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने मसाजिद कमेटी से हाईकोर्ट जाने को कहा था। कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर का एएसआई से सर्वे कराने के वाराणसी जिला जज के आदेश को मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिस पर सुबह से दोपहर तक हाईकोर्ट में बहस चली और शाम चार बजे से फिर सुनवाई शुरू होगी। 

याचिका पर अदालत ने मंगलवार को भी एक घंटे सुनवाई की थी। इसके बाद बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे फिर सुनवाई का वक्‍त मुकर्रर करते हुए कार्यवाही स्‍थगित कर दी थी। बुधवार को सुबह 9:32 बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। मसाजिद कमेटी के अधिवक्‍ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एक अर्जी दाखिल होती है और कोर्ट ने इमिडियेट साइनटिफिक सर्वे का आदेश कर दिया गया। यह गलत है
सीपीसी कहती है कि सर्वे कमीशन भेजा जा सकता है। सरकार को भी इस संदर्भ में निर्देश दिया जा सकता है। कानून कहता है कि साइनटिफिक सर्वे के आदेश के पहले कमीशन भेजने पर वो मौके पर जाकर यह स्पष्ट कर सकता है कि विवादित स्थल पर साइनटिफिक सर्वे आसानी से हो सकता है या नहीं। इसमें क्या दिक्कतें आ सकती हैं। सहूलियत के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

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अधिवक्‍ता ने कहा कि अदालत को वादपत्र के आधार पर आदेश करना चाहिए। भूखंड संख्या 9130 विवादित स्थल है। मौके पर किस ओर क्या है? यह बताने में कमेटी के वकील अटके हिन्‍दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि नवनिर्मित कॉरिडोर और उसके आसपास क्या और कैसे है? इसके बाद मसाजिद कमेटी के अधिवक्‍ता ने बताया कि केस में क्या क्या और कब-कब हुआ। उन्‍होंने सवाल किया कि इस मामले में कोई साक्ष्य है या नहीं? क्‍या साक्ष्य के लिए सर्वे की मांग की गई है। यानि बिना साक्ष्य वाद दायर किया गया है। उन्‍होंने कहा कि अर्जी में विरोधभासी तथ्य दिए हैं। वास्तव में कोई साक्ष्य नहीं है। बिना साक्ष्य वाद दायर किया गया है। 

कोर्ट ने पूछा कि एएसआई को पार्टी क्यों नहीं बनाया तो विष्‍णु जैन ने कहा कि कोई नियम नहीं है। एएसआई को विशेषज्ञ के तौर पर आदेश दिया गया है। जैसे किसी राइटिंग एक्सपर्ट को राइटिंग की जांच के लिए आदेशित किया जाता है, ठीक उसी प्रकार एएसआई को सर्वे के लिए आदेशित किया गया है। इसके लिए पार्टी बनाना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या हाईकोर्ट भी एएसआई के तहत आता है, वहां भी सर्वे कर सकते हैं तो एएसजीआई ने कहा आता है। कोर्ट में हिन्‍दू पक्ष के वकील विष्‍णु जैन ने कहा कि जिला जज के सामने अर्जी में कहा गया है कि गुंबद के नीचे स्ट्रक्चर है। सत्यता का पता करने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए। मंदिर है या नहीं, इसके साक्ष्य सर्वे से ही मिलेंगे।

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मुस्लिम पक्ष के अध‍िवक्‍ता बोले- खुदाई से ध्‍वस्‍त हो जाएगा भवन 
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्‍ता ने कहा कि वाराणसी अदालत में दो अर्जियां दाखिल की गईं। दोनों में विरोधभासी तथ्य हैं। उन्‍होंने अदालत में अर्जी पढ़कर सुनाई। कहा कि अर्जी में कहा गया है कि तीनों गुंबद के नीचे मंदिर का स्ट्रक्चर है। यदि यह डैमेज हुआ तो भवन ध्वस्त हो जायेगा। उन्‍होंने कहा कि एएसआई के पास ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं है कि खुदाई से भवन ध्वस्त होने को रोक सके। 1669 के निर्मित भवन की जैसे ही गहरी खुदाई की गई, भवन को क्षति होने से नहीं रोका नहीं जा सकेगा। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्‍ता ने कहा कि जिला जज के आदेश में न्यायिक विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया। हम यह नहीं कह रहे कोर्ट आदेश नहीं दे सकती। हमें एएसआई पर भी संदेह नहीं है लेकिन खुदाई से भवन को नुकसान होने की संभावना पर विचार नहीं किया गया।

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जिला जज ने एएसआई को दिए थे ये निर्देश
अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने सिविल जज की अदालत में एक वाद दायर किया था। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। महिलाओं की याचिका पर जज ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर पिछले साल सर्वे हुआ था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था। दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है। हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है। यह मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। यहां सुनवाई लम्बित है। 16 मई 2023 को चारों वादी महिलाओं की तरफ से एक अन्य प्रार्थनापत्र दिया गया था, जिसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की एएसआई से जांच कराई जाए।

इसी अर्जी पर कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए एएसआई सर्वे की इजाजत दी थी। 24 अप्रैल को सुबह सर्वे शुरू भी हुआ लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर 26 जुलाई की शाम पांच बजे तक के लिए रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष से हाईकोर्ट जाने को कहा था। मंगलवार को मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में जिला जज के आदेश को चुनौती दी जिस पर अभी सुनवाई चल रही है।

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कोर्ट में दो महीने तक चली सुनवाई प्रक्रिया
-16 मई को वादी -लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की ओर से जिला जज की अदालत में अर्जी
-19 मई की सुनवाई पर शृंगार गौरी प्रकरण की मुख्य वादी राखी सिंह ने सर्वे के समर्थन में आवेदन दिया
-22 मई को प्रतिवादी संख्या चार अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से आपत्ति दाखिल
-07 जुलाई को सक्षम पीठासीन अधिकारी के अवकाश के कारण नहीं हो सकी सुनवाई
-12 जुलाई को हिन्दू पक्ष की ओर से अधिवक्ताओं ने बहस की
-14 जुलाई को हिन्दू पक्ष की बहस का मुस्लिम पक्ष का जवाब दिया। इसके बाद हिन्दू पक्ष ने दोबारा बहस की

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