गया 23वीं पासिंग आउट परेड: 82 जांबाज मिले देश को, सेना में लेफ्टिनेंट बना ट्रक ड्राइवर का बेटा

 
gaya 23rd passing out parade

Passing Out Parade 2023 Gaya: पास आउट हुए बिहार के सुखविंदर सिंह ने बताया कि हम बिहार के कटिहार से जिले से हैं और हमारे परिवार में मैं पहले हूं जो सेना में शामिल हुआ हूं। पिता ने कहा कि सुखविंदर सिंह के सेना में शामिल होने से गांव वाले भी बहुत खुश हैं कि हमारे गांव का एक लड़का सेना में अधिकारी बना है।

 

गया। Gaya 23rd Passing Out Parade: गया के ऑफिसर्स प्रशिक्षण अकादमी (OTA) में आयोजित 23वीं पासिंग आउट परेड में 82 जेंटलमैन कैडेट पास आउट हुए हैं। गया के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में 23वीं पासिंग आउट परेड में 82 सैन्य अधिकारियों ने की शपथ ग्रहण की। एक साल के बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इंजीनियरिंग ट्रेनिंग के लिए देश के विभिन्न सैन्य इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट, मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज  और 3 साल की ट्रेनिंग के बाद कमीशन पाते हैं।

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देश के लिए समर्पित हुए 82 सैन्य अधिकारी
पासिंग आउट परेड व शपथ ग्रहण के साथ ओटीए ने 82 सैन्य अधिकारियों को देश के लिए समर्पित कर दिया। वहीं 82 जेंटलमैन कैडेट, टेक्निकल एंट्री स्कीम क्रमांक- 37 के अंतर्गत देश के विभिन्न सैन्य तकनीकी संस्थानों जैसे- मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज सिकंदाराबाद, मऊ और पुणे इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के लिए रवाना हुए। 

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इन देशों के 11 कैडेट्स भी शामिल
वहीं दूसरी ओर मित्र देशों के 11 कैडेट्स ने भी अपनी देश की सेना में कमीशन प्राप्त किया है, जिसमे भूटान के पांच कैडेट्स, श्रीलंका के तीन कैडेट्स , म्यामार के दो और नेपाल के एक कैडेट्स शामिल हैं। लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षणी कमान के चीफ ने जेंटलमैन कैडेट्स को उनके बेहतरीन ड्रिल प्रदर्शन के लिए बधाई दी।

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ट्रक ड्राइवर हैं पिता, बेटा बना सेना में अफसर
पास आउट हुए बिहार के सुखविंदर सिंह ने बताया कि हम बिहार के कटिहार से जिले से हैं और हमारे परिवार में मैं पहले हूं जो सेना में शामिल हुआ हूं। मेरे पिता ने मुझे सैन्य अधिकारी बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। मेरे पिता ट्रक और बस का ड्राइवर का काम करते थे और उनकी यह कड़ी मेहनत आज सफल हुई है और मैं आज लेफ्टिनेंट बन गया हूं।

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सुखविंदर सिंह के पिता समरेंद्र सिंह ने बताया कि हमने अपने बच्चे को यहां तक पहुचाने के लिए बहुत ही कड़ी मेहनत की है। ड्राइवर का काम किया किया है और उसी कड़ी मेहनत से इसे यहां तक पहुंचाया है। अब जब सुखविंदर सेना में हो गए हैं तो मैंने ड्राइवर का काम करने बंद कर दिया और उन्होंने ही पूरे घर को संभाल लिया है। हम लोग बहुत खुश हैं, गांव वाले भी बहुत खुश हैं कि हमारे गांव का एक लड़का सेना में अधिकारी बना है।

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