किसानों का नासिक में प्रदर्शन, भारत का सबसे बड़ी मंडी बंद... क्या टमाटर के बाद अब बढ़ेंगे प्याज के दाम?

केंद्र सरकार के प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के खिलाफ किसानों और व्यापारियों का प्रदर्शन जारी है। इसी प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मंत्री दादा भूसे ने दावा किया कि यदि लोग दो-चार महीने प्याज ना खायें तो कुछ बिगड़ नहीं जाएगा।
नई दिल्ली। प्याज पर निर्यात शुल्क लगाने का भारी विरोध हो रहा है। नाशिक सहित राज्य के अन्य हिस्सों में किसान सड़क पर उतर गए हैं और उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया है। उनका समर्थन विरोधी दलों ने किया है। सोमवार को नाशिक-औरंगाबाद राजमार्ग पर किसानों ने धरना दिया। प्याज से बनी मालाएं पहनीं और केंद्र के फैसले के खिलाफ नारे लगाए। दिवंगत शरद जोशी के शेतकारी संगठन के कार्यकर्ताओं ने भी मनमाड-येवला राजमार्ग पर येवला एपीएमसी के सामने ‘रास्ता-रोको’ प्रदर्शन किया और प्याज पर निर्यात शुल्क लगाने के निर्णय को वापस लेने की मांग की। आधे घंटे के प्रदर्शन के चलते मुख्य सड़क पर गाड़ियों की कतारें लग गईं।
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देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी बंद
प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे पहले से ही प्राकृतिक आपदाओं से परेशान हैं और निर्यात शुल्क लगाने के फैसले से उपज से अच्छी कमाई की उनकी संभावना और कम हो जाएगी। इससे पहले दिन में व्यापारियों ने जिले की सभी कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) में अनिश्चितकाल के लिए प्याज की नीलामी बंद करने का फैसला किया। इसमें लासलगांव मंडी भी शामिल है, जो भारत में सबसे बड़ा प्याज का थोक बाजार है। आगामी त्योहारी मौसम के मद्देनजर प्याज की कीमत में बढ़ोतरी के संकेतों के बीच केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगा दिया था। पहली बार प्याज पर निर्यात शुल्क लगाया गया है।
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जेएनपीटी में फंसे 100 कंटेनर
जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) में प्याज के लगभग 100 कंटेनर फंसे हुए हैं। प्रत्येक कंटेनर में लगभग 30 टन प्याज होता है। कंटेनरों को मलेशिया, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, केन्या, वियतनाम आदि देशों में भेजा जाना था। बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ के अध्यक्ष अजीत शाह के अनुसार, प्याज शनिवार शाम को भेजे जाने वाले थे। औपचारिकताएं पूरी होने तक प्याज पर निर्यात शुल्क का आदेश आ गया था और कंटेनरों को भेजे जाने से रोक दिया गया था। उन्होंने कहा, 'हमने सीमा शुल्क विभाग को पत्र लिखकर उन कंटेनरों पर शुल्क में छूट की मांग की है जो पहले से ही निर्यात किए जाने की प्रक्रिया में थे। निर्यातकों ने विदेशों में पक्षों के साथ पहले ही समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। शाह ने कहा कि नियम के कारण वे अपने आदेशों को पूरा नहीं कर पाएंगे।'
संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देशों के सुपरमार्केट में प्याज का निर्यात करने वाले राजाराम सांगले ने कहा कि उन्होंने दुबई के लिए पांच कंटेनर भेजे थे।
ऑर्डर के कारण मुझे सभी कंटेनरों को वापस बुलाना पड़ा। मुझे दुबई के सुपरमार्केट के लिए अगस्त का ऑर्डर पूरा करना था। मेरे पास अगले महीने के लिए निर्यात ऑर्डर भी हैं। लेकिन मैं प्याज का निर्यात नहीं कर पाऊंगा क्योंकि निर्यात शुल्क के कारण लागत बढ़ जाएगी। अब, कंटेनरों को वापस लाने में मुझे और 3 लाख रुपये प्रत्येक कंटेनर खर्च करने पड़ेंगे।
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1.5 लाख टन से ज्यादा प्याज की नीलामी रुकी
नासिक में 400 से अधिक प्याज व्यापारियों में से अधिकांश, जिनके पास एपीएमसी लाइसेंस है, ने विभिन्न राज्यों के थोक खरीदारों से नए ऑर्डर लेना बंद कर दिया है। नासिक जिले की 15 एपीएमसी मंडियों में से लासलगांव सहित 13 मंडियां सोमवार को बंद रहीं। एपीएमसी में प्याज की नीलामी नहीं होने से 30 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित हुआ। इन 15 एपीएमसी में हर दिन औसतन 1.5 लाख टन से ज्यादा प्याज की नीलामी होती है। व्यापारियों के अनुसार, नासिक से हर दिन लगभग 250-300 कंटेनर, जिनमें से प्रत्येक में 28 टन प्याज होता है, उत्तर भारतीय राज्यों, दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में भेजे जाते हैं। व्यापारियों ने कहा कि उनके पास जो स्टॉक है वह अगले दो-तीन दिनों में खत्म हो जाएगा। व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने दूसरे राज्यों की पार्टियों से नए ऑर्डर लेना बंद कर दिया है, क्योंकि वे एपीएमसी में प्याज की नीलामी फिर से शुरू होने को लेकर अनिश्चित हैं।
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घरेलू सप्लाई बढ़ाने को समय पर उठाया कदम: सरकार
सरकार ने कहा कि प्याज पर 40% एक्सपोर्ट ड्यूटी यानी निर्यात शुल्क लगाने का फैसला घरेलू सप्लाई को बढ़ावा देने और रिटेल कीमतों को कंट्रोल करने के लिए समय पर उठाया गया कदम है। सरकार का यह बयान महाराष्ट्र के नासिक जिले में कई स्थानों पर किसानों की ओर से एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच आया है। व्यापारी भी शुल्क लगाए जाने के विरोध में हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘प्याज पर निर्यात शुल्क लगाना कोई समय से पहले लिया गया फैसला नहीं है। बल्कि घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए यह समय पर किया गया फैसला है।’ सिंह ने कहा कि जब तक स्थिति सुधरती नहीं है तब तक सरकार चुनिंदा राज्यों में थोक और रिटेल दोनों बाजारों में बफर स्टॉक का प्याज जारी कर मामले में हस्तक्षेप करेगी।
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