Delhi: मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने दिया इस्तीफा, CM केजरीवाल ने किया मंजूर, जानिए पूरा मामला...

सिसोदिया के पास कुल 33 में से 18 विभाग थे। वहीं जैन के पास स्वास्थ्य, उद्योग समेत 7 मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। 
Delhi: मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने दिया इस्तीफा, CM केजरीवाल ने किया मंजूर, जानिए पूरा मामला...

नई दिल्ली। दिल्ली में भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल सरकार के दो मंत्रियों मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दोनों का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है। सिसोदिया को जहां शराब नीति केस में CBI ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था, वहीं सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग केस में पिछले साल 30 मई से तिहाड़ जेल में बंद हैं। 

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सिसोदिया के पास कुल 33 में से 18 विभाग थे। वहीं जैन के पास स्वास्थ्य, उद्योग समेत 7 मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। इन्हें बाद में सिसोदिया को सौंप दिया गया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजे इस्तीफे में मनीष सिसोदिया ने लिखा, शिक्षा मंत्री के तौर पर मिली जिम्मेदारी शायद मेरे पिछले जनमों का कुछ पुण्य रहा होगा, जिनके फलस्वरूप मुझे इस जन्म में मां सरस्वती की सेवा का ऐसा महान अवसर मिला। 

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वहीं, दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के 15 मिनट बाद भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, हमें पता चला है कि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने 9 महीने के बाद जैन का इस्तीफा स्वीकार किया। सिसोदिया 18 विभाग देखते हैं। जब उन पर आरोप लगे तो सफाई देने के बजाय वो इन विभागों पर बैठे रहे।

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आपको बता दे, मनीष सिसोदिया दिल्ली की शराब नीति केस में फिलहाल 4 मार्च तक CBI की रिमांड पर हैं। CBI ने उन्हें 26 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया था। 27 फरवरी को उन्हें CBI की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट ने उन्हें 4 मार्च तक CBI की रिमांड पर भेज दिया था। CBI का आरोप था कि सिसोदिया सवालों का गोलमोल जवाब दे रहे हैं। जिसके बाद 28 फरवरी को सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी और CBI के जांच के तरीके को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर फटकार लगाई और कहा कि आप हाईकोर्ट जाइए, सीधे हमारे यहां आने का क्या मतलब है। हम एक गलत परंपरा को बढ़ावा नहीं दे सकते। 

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