Chhawla Rape Case: छावला रेप केस के फैसले को रिव्यू करेगा सुप्रीम कोर्ट, 3 आरोपी हुए थे बरी

नई दिल्ली। दिल्ली के छावला में 19 साल की लड़की से 2012 में गैंगरेप के बाद हत्या हुई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन आरोपियों को 7 नवंबर 2022 को बरी कर दिया था। दिल्ली सरकार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट अपने उसी फैसले के रिव्यू के लिए तैयार हो गया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे रिव्यू पिटीशन की सुनवाई जस्टिस एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी के साथ मिलकर करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट इस केस की ओपन कोर्ट हियरिंग पर भी विचार करेगा। दिल्ली सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता CJI की बेंच में याचिका लेकर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि आरोपी शातिर अपराधी हैं। जिन तीन आरोपियों रवि, राहुल और विनोद को बरी किया गया था। उनमें से एक आरोपी विनोद ने बरी होने के 79 दिन बाद यानी 26 जनवरी को ऑटो चालक की गला रेतकर हत्या कर दी। उसे 5 फरवरी को गिरफ्तार किया गया।
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SG ने ओपन कोर्ट हियरिंग की मांग करते हुए कहा कि अगर पिछली बार CJI की बेंच ने फैसला दिया था तो इस बार भी CJI को ही सुनवाई करनी चाहिए। दिल्ली सरकार ने 3 महीने पहले ही छावला गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दायर करने का फैसला किया था। रिव्यू पिटीशन दायर करने के लिए LG विनय कुमार सक्सेना ने मंजूरी मिली थी, जिसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामले में सरकार का पक्ष रखने की बात कही थी।
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दरअसल, दिल्ली के छावला इलाके से 9 फरवरी 2012 को उत्तराखंड की 19 साल की लड़की का अपहरण किया गया था। कई दिनों बाद 14 फरवरी को लड़की की बॉडी हरियाणा के रेवाड़ी में एक खेत में मिली थी। बॉडी को जला दिया गया था। नजफगढ़ में केस दर्ज हुआ। शिकायत में पता चला आरोपी लड़की को दिल्ली से बाहर ले गए थे। उसके शरीर को सिगरेट से दागा और चेहरे पर तेजाब डाला। उसके शरीर पर कार में रखे औजारों से हमला किया गया। इसके बाद हत्या कर दी।
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वहीं, निचली अदालत ने 2014 में रवि, राहुल और विनोद को दोषी पाया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई। इसी साल अगस्त में हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा था। अदालत ने दोषियों को सड़कों पर घूमने वाला हिंसक जानवर कहा था। दोषियों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। दिल्ली पुलिस ने सजा कम किए जाने का विरोध किया था। पीड़ित लड़की के पिता ने भी कहा था कि मामले के दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में तीन आरोपियों को 7 नवंबर 2022 को बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि कानून अदालतों को किसी आरोपी को केवल भावनाओं और संदेह के आधार पर सजा देने की अनुमति नहीं देता है।
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