बड़ा फैसलाः जेडीए नागरिकों के खिलाफ कोर्ट जाने से बचेगा, मुद्दे समझौते से हल होंगे

 
jda

जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने बड़ा फैसला किया है। अपने ही नागरिकों के खिलाफ अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचेगा। बहुत जरूरी होने पर ही कोर्ट में मुकदमा लड़ा जाएगा। लेकिन, अगर उस मुकदमे में जेडीए किन्हीं कारणों से हार जाता है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी-कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसके आधार पर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

इस संबंध में निदेशक (विधि) दिनेश गुप्ता की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। यह आदेश जेडीए में कई दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें कहा गया है कि जयपुर विकास प्राधिकरण के हितों की कठोरता से रक्षा करना जरूरी है। इसलिए प्रभारी अधिकारी के स्तर पर ही प्रकरणों की इस दृष्टिकोण से समीक्षा की जानी चाहिए कि क्या आवेदक (प्रार्थी) को कानूनन प्रारंभिक स्तर पर किसी तरह की राहत दी जा सकती है।

अगर संभव हो तो वह अलग से प्रस्ताव बनाकर सक्षम स्तर से मंजूरी लेगा। फिर आपसी समझौते के माध्यम से विवाद को निबटाने का प्रयास किया जाएगा। अगर कोई मामला ऐसा है जो जेडीए के स्तर पर नहीं निबट सकता औऱ कोर्ट कार्यवाही ही जरूरी है तो कोर्ट में कोई भी प्रार्थना-पत्र अथवा जवाब निदेशक (विधि) कार्यालय से परीक्षण कराए बिना पेश नहीं किया जाएगा। कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई से एक दिन पहले संंबंधित प्रभारी अधिकारी संपूर्ण रिकार्ड के साथ लीगल सेल से राय मशविरा करेंगे। अगले दिन उस मुकदमे में क्या कोर्ट कार्यवाही हुई। इसकी जानकारी जेडीए की विधि शाखा को अपडेट करनी होगी।
 

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