BBC Documentary: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बैन पर SC में 6 फरवरी को होगी सुनवाई, एडवोकेट एमएल शर्मा ने दर्ज की याचिका

जनता के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए डॉक्यूमेंट्री पर लगी रोक हटा दी जाए।
 
BBC Documentary: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बैन पर SC में 6 फरवरी को होगी सुनवाई, एडवोकेट एमएल शर्मा ने दर्ज की याचिका

नई दिल्ली। PM मोदी पर बनी BBC डॉक्यूमेंट्री इंडिया द मोदी क्वेश्चन पर लगा बैन हटाने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका एडवोकेट एमएल शर्मा ने लगाई है। इसमें कहा गया है कि जनता के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए डॉक्यूमेंट्री पर लगी रोक हटा दी जाए। याचिका CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में तत्काल सुनवाई के लिए रखी गई, हालांकि CJI ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 6 फरवरी का दिन तय किया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैनलों पर डॉक्यूमेंट्री बैन कर दी है, लेकिन इसे देश भर के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में दिखाया गया है। 

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दरअसल, BBC ने 17 जनवरी को गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री द मोदी क्वेश्चन का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया। इसमें 2002 में गुजरात में हुए दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी की भूमिका होने का दावा किया गया था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया। भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगेंडा बताया है। वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम नहीं जानते कि डॉक्‍यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्‍प्रचार है।

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सुप्रीम कोर्ट में BBC की डॉक्यूमेंट्री पर लगे बैन को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्विटर पर लिखा, इस तरह वे सर्वोच्च न्यायालय का कीमती समय बर्बाद करते हैं, जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए तारीखों का इंतजार कर रहे हैं। तो वहीं, जनहित याचिका में दावा किया गया है कि इंडिया द मोदी क्वेश्चन, नामक डॉक्यूमेंट्री में 2002 के गुजरात दंगों और उनमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की गई है। जब दंगे भड़के थे, तब PM मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री थे। याचिका में यह भी कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री में दंगे रोकने में नाकामयाब रहे जिम्मेदारों से जुड़े कई फैक्ट्स हैं। हालांकि, सच्चाई सामने आने के डर से इसे सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 के नियम 16 के तहत बैन किया गया है। रिकॉर्ड किए गए फैक्ट्स भी सबूत हैं और इन्हें पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसे न्याय नहीं मिला है। 

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साथ ही याचिका में गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच की भी मांग की गई है। एमएल शर्मा ने कहा है कि BBC डॉक्यूमेंट्री के दोनों एपिसोड और BBC के रिकॉर्ड किए गए सभी ओरिजनल फैक्ट्स की जांच करें। साथ ही गुजरात दंगों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह से जिम्मेदार या शामिल आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 146, 302, 376, 425 और 120-बी और के तहत उचित कार्रवाई करें। याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा है कि याचिका दायर करने का कारण 21 जनवरी 2023 को सामने आया, जब IT नियम 2021 के नियम 16 को लागू करते हुए जनता को गुजरात दंगों का खुलासा करने वाली BBC डॉक्यूमेंट्री देखने पर रोक लगा दी थी। यह बैन संविधान के आर्टिकल 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन के बराबर है। इस मामले से जुड़ी एक और याचिका एडवोकेट सीयू सिंह ने भी दायर की है, जिसमें सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने बैन लगाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग किया है। डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए छात्रों को यूनिवर्सिटी से निकाला जा रहा है।

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