BS4 और BS6 में क्या है अंतर, कैसे तय होता है स्टैंडर्ड, जानें पूरी डिटेल

 
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नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में हवा की स्थिति काफी ज्यादा खराब है। बुधवार को दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने अहम घोषणा की। जिसके मुताबिक दिल्ली की सीमा में डीजल से चलने वाले ट्रकों और बीएस4 वाहनों की एंट्री को बंद कर दिया गया है। लेकिन इलेक्ट्रिक, सीएनजी वाहनों को एंट्री दी जाएगी।

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बीएस 4 और बीएस 6 में यह है अंतर

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बीएस6 के मुकाबले बीएस4 इंजन वाले वाहन ज्यादा प्रदूषण करते हैं। बीएस6 के मुकाबले बीएस4 वाहनों से निकलने वाले सल्फर की मात्रा पांच गुना तक ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा बीएस4 वाले वाहनों से ज्यादा प्रदूषण होता है। जिनके कारण आंख में जलन, फेफड़ों में इनफेक्शन, सिर में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं।

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क्या होता है बीएस नॉर्म

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बीएस का मतलब भारत स्टेज है। इसका उपयोग वाहनों में प्रदूषण नापने के लिए किया जाता है। देश में चलने वाले हर वाहन के लिए बीएस मानक जरूरी है। बीएस के साथ जो नंबर होता है, उसके जरिए ये पता लगाया जाता है कि वाहन कितना प्रदूषण करता है।

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ज्यादा नंबर वाला बीएस है बेहतर

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मौजूदा समय में देश में बीएस6 नॉर्म्स लागू हैं। इसे एक अप्रैल 2020 को लागू किया गया था। इससे पहले एक अप्रैल 2017 से बीएस4 नॉर्म्स लागू किए गए थे। जबकि 2010 के बाद के वाहनों को बीएस3 की कैटेगरी में रखा गया था। साल 2000 से 2010 के बीच बीएस2 और 2000 से पहले के वाहनों को बीएस1 कैटेगरी के वाहनों में रखा गया था। इसका सीधा मतलब है कि बीएस के साथ जितने नंबर बढ़ते जाते हैं, उतना ही कम प्रदूषण वाहनों से होता है।

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कौन तय करता है स्टैंडर्ड

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बीएस एमिशन नॉर्म्स को भारत सरकार तय करती है। ये इंटरनल कंबशन इंजन इक्विपमेंट से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तय किए जाते हैं। अलग-अलग समय पर इनमें बदलाव किया जाता है। जो वन, पर्यावरण और जलवायु मंत्रालय के अधीन आते हैं।

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कितनी खराब है हवा

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दिल्ली में में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से 500 के बीच दर्ज किया गया। जबकि यूपी के नोएडा में 350 से 450, गाजियाबाद में 400-450, फरीदाबाद में 300-500, गुरूग्राम में 350-450 के बीच एक्यूआई दर्ज किया गया है। 410 से 500 तक गंभीर, 301 से 400 को बेहद खराब, 201 से 300 को खराब, 101 से 200 को मध्यम, 51 से 100 को संतोषजनक और जीरो से 50 को अच्छा माना जाता है।

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