Smartphone खरीदने के लिए अपना खून बेचने ब्लड बैंक पहुंची छात्रा, जिंदा मां-बाप को बताया मरा

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 17 साल की लड़की ने स्मार्टफोन खरीदने के लिए अपना खून बेचने की कोशिश की। वह दक्षिण दिनाजपुर जिले में अपने घर से 30 किमी का सफर तय करके बलुरघाट के सरकारी अस्पताल पहुंची, जहां उसने अपना खून बेचने की पेशकश की। पूछताछ पर लड़की ने कई बेतुके कारण बताए, उसने यहां तक कह दिया कि उसके पेरेंट्स की मौत हो गई है। लेकिन ज्यादा सवाल पूछने पर उसने बताया कि उसने 9,000 रुपए का स्मार्टफोन ऑर्डर किया था और उसका भुगतान करने के लिए उसे पैसों की जरूरत थी, इसलिए वह खून बेचने आई थी। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने उसे समझाया कि खून ऐसे नहीं बेचा जा सकता है। लड़की की काउंसलिंग करने के बाद उसे उसके पेरेंट्स के हवाले कर दिया। जैसे ही यह मामला अस्पताल के ब्लड बैंक स्टाफ के सामने आया, तो अस्पताल प्रबंधन ने लड़की को रेस्क्यू करके चाइल्डलाइन इंडिया नाम के NGO को सौंप दिया। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, लड़की डिप्रेशन से जूझ रही है और उसे काउंसलिंग और थेरेपी की जरूरत है।
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आपको बता दे इल्डलाइन NGO ने लड़की के पेरेंट्स को इस बारे में सूचित किया, तो पता चला कि वे सब्जी का ठेला लगाते हैं। लड़की के पास अब तक नॉर्मल फोन था। कुछ दिन पहले वह खराब हो गया, तो उसने अपने एक दोस्त के फोन से 9,000 रुपए का एक स्मार्टफोन ऑर्डर कर दिया। लड़की के पिता ने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि क्या हुआ, लेकिन जब मैं यहां आया तो मुझे पता चला कि मेरी बेटी अपना खून बेचकर मोबाइल खरीदना चाहती है।’
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तो वही बलुरघाट अस्पताल के काउंसलर कनक दास ने बताया कि गुरुवार को एक नाबालिग लड़की अस्पताल आई। पहले उसने कहा कि उसे ब्लड टेस्ट कराना है। जब उससे पूछा गया कि ब्लड टेस्ट क्यों करवाना है तो उसने अजीबोगरीब जवाब दिए। उसने अपनी पढ़ाई का बहाना बनाया, पेरेंट्स के मरने की बात कही, फिर कहा कि पेरेंट्स जिंदा हैं लेकिन उनसे बनती नहीं है। उसकी बातें सुनने के बाद हमने बलुरघाट जिले में चाइल्डलाइन हेल्पलाइन को कॉल किया। संस्था के लोग आकर उसे अपने दफ्तर ले गए। तब भी वह अटपटे कारण बताती रही। आखिर में उसने बताया कि उसने ऑनलाइन फोन बुक किया है और उसके लिए उसे पैसों की जरूरत है। NGO की सदस्य रीता महतो ने बताया, ‘किसी ने जरूर लड़की को बताया होगा कि अगर तुम खून बेचोगी तो फोन खरीद पाओगी। वह डिप्रेशन में भी है। इसलिए हम पहले उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के सामने पेश करेंगे और फिर तय करेंगे कि उसी बेहतरी के लिए उसे कहां भेजा जाना चाहिए।’
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