'सस्टेनेबल मैरिज' कार्यशाला: सनातन, स्वच्छ व सस्टेनेबल संस्कृति के क्रांतिवीर बना रहीं है, जनक दीदी: कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर

इंदौर। ग्रामीण भारत में वैकल्पित उर्जा व समाजिक सेवा के लिए आर्डर ऑफ़ ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित, स्वर्गीय जेम्स (जिम्मी) मगिलिगन की पत्नी पद्मश्री जनक पलटा मगिलिगन की शादी की 34 वीं वर्षगांठ पर रविवार को जिम्मी एंड जनक मगिलिगन फाउंडेशन फ़ॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट सनावादिया में आयोजित 'सस्टेनेबल मैरिज' कार्यशाला बहुत दिलचस्पी और उल्लास से सम्पन्न हुई।
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कार्यक्रम की शुरुआत सुनील और रवीना चौहान, जनक दीदी द्वारा बहाई प्रार्थनाओं और संगीत गुरुकुल के संस्थापक विख्यात संगीतकार 'गौतम काले' के भजनों से हुई।
कार्यशाला का संचालन कर रही संगीत गुरुकुल की प्रबंधक अदिति काले ने प्रशिक्षण लेने आए करियर पॉइंट इंदौर, बिचोली मरदाना और सनावादिया के छात्र-छात्राए, शादीशुदा युवा जोड़े, माता-पिता, समाजिक संस्थाए, शिक्षकों का अभिनंदन किया।
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सबसे पहले वरिष्ठ समाजसेवी वीरेंदर गोयल ने सस्टेनेबल मैरिज के विषय की शुरुआत जनक दीदी और उनके पति जिम्मी ने ब्रिटेन छोड़ इंदौर में इनके साथ सस्टेनेबल जीवन बिताया। उन्होंने भारतीय संस्कृति को इस तरह आत्मसात किया कि दोनों जीवन सफ़ल व सार्थक रहा क्योंकि और दोनो संकल्पित थे कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट सस्टेनेबल, जीवन जीने से होगी जिसमें पति-पत्नी दोनों मिलकर सृष्टि का विकास करेंगे और आने वाली पीढ़ी को विरासत में अच्छी दुनिया देंगे।
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शादी में और शादी का कचरा नहीं करने का मतलब प्रकृति के पांचो तत्वों को बिना प्रदूषित किए, सुचारू नियोजन से कम से कम खर्च पर स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त विवाह का अयोजन किया जाए, ताकि पैसों का दुरुपयोग भी न हो और शादी समारोह के बाद होने वाला कचरा भी न हो। इसके साथ शादी की इच्छा रखने वाले युवा-युवतियां शादी करने के बाद रिश्तों की मर्यादा रखते हुए नवविवाहित जोड़े अपने दाम्पत्य जीवन को सफल बना सुखी जीवन जी सकते है। गौतम काले ने भी सभी को प्रकृति और प्रियजनों का सम्मान करने की राय दी। अनुभवी व्यवसायी अविचल कासलीवाल ने कहा सफलता पैसों और शोहरत से नही अच्छे रिश्तों और सम्बन्धो से मिलती है।
जनक पलटा मगिलिगन ने कार्यशाला के मुख्य उदेश्य को परिवार को नैतिक और आध्यात्मिक सिद्धांत की नींव पर बने मानवीय रिश्तों की सबसे प्रथम सामाजिक संस्था "विवाह" बताया, अगर विवाह सस्टेनेबल होगा तो जीवन सस्टेनेबल। इसके दो भाग है विवाह का अयोजन और सम्बन्धो में सफलता। विवाह का अयोजन स्वच्छ व सुंदर किया जाए, जिसका सभी आनंद भी ले सके और बाद में रिश्तेदार व वर-वधु भी खुश रहें उनके परिवारों को भी शादी बोझ न बने।
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अपनी शादी की सफलता का आधार बहाई सिद्धांत बताया पहली बात मानवता एक पक्षी है पुरुष और महिला दोनों बराबर के पंखो के साझे प्रयास से पक्षि उड़ान/विकास सम्भव है। दोनों एकता से रहें, किसी भी कीमत पर एकता का त्याग नहीं किया। जीवन का उद्देश्य ईश्वर के प्रेम के लिए प्राणियों में सद्भावना पैदा करना है। सफ़ल शादी का मुख्य आधार परस्पर विश्वास व पारदर्शिता व स्त्री-पुरुष एक दुसरे के पूरक है। हमारी शादी में दोनों पक्ष बराबर थे उन्होंने मेरे पति ने मेरे साथ रहकर अपने तन, मन और आत्मा से भारत में रहकर सेवा की फिर सेवनिव्रती के बाद गांव में यह घर बनाया लेकिन एक सडक दुर्घटना के कारण 11 साल पहले बिदा हो गए लेकिन मै उस विधवा का जीवन नहीं जी रही हूँ जैसे आम तौर पर अपनी सब इछाये खत्म, अब मै अशुभ नही हूँ, उनकी पत्नी हूँ वोह कभी जुदा नहीं हुए उनके साथ मिलकर सस्टेनेबल लाइफ सीखी, उसे जी रहीं हूँ और गायाधारित जैविक खेती, सूर्य और पवन उर्जा, सोलर कुकिंग, शुद्ध आक्सीजन, जैव्विधता, धरती माता और सभी के साथ सस्टेनेबल जीवन का आनन्द ले रही हूँ, शौपिंग और रहन सहन पर संयम से जीवन भी वेस्टनही, घर में कचरादान नहीं, सभी से प्रेम का सहारा आधार है।
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मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश की कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर का स्वागत फाउंडेशन के ट्रस्टी वीरेंद्र गोयल ने जैविक पौधा, युवा आर्गेनिक फार्मर गौ-सेवक गौतम कासलीवाल ने अपने खेत के ताज़े हरे धनिए के गुच्छ से, गीर गौशाला और कच्ची घाणी के संचालक निककी सुरेखा और गोविन्द ने गाय के घी और शहद भेंट कर किया। इस शुद्धता भरे स्वागत पर संस्कृति, पर्यटन व अध्यात्म मंत्री ने गोविन्द, गौतम और निक्की को भारत माता की संस्कृति और गौसेवा के 'क्रांतिवीर' पुस्तक के साथ 'क्रांतिवीर' कह आशीर्वाद देते हुए कहा आज़ादी से पहले उन क्रांतिवीरो की जरूरत थी, जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिया अपना जीवन न्योछावर कर देश आज़ाद करवाया। अब देश को आप जैसे क्रांतिवीरों की जरूरत है। फिर कहा सनातन, स्वच्छ और सस्टेनेबल संस्कृति के क्रांतिवीर बना रहीं है, हम सब की जनक दीदी। इस के पीछे जीवनभर की सेवा और त्याग है! मुझे याद है ज्यादातर लोग इस जोड़े को इंदौर के बहाई संस्थान में आदिवासी क्षेत्रो की बेटियो के प्रशिक्षण देने के समर्पण को शंका की दृष्टि से देखते थे। मै भी देखने गयी, सारी संस्था देखी, बेटियो से भी पूछताछ कर प्रमाणित हो गया कि यह दोनों सेवा को समर्पित है।
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जैसा जनक दीदी ने पर्यावरण, संस्कृति और बैल बचाने के लिए ग्रामीण इकोटूरिज्म के तहत बैलगाड़ी यात्रा स्टार्ट अप की मांग की है आप स्थानीय स्तर पर तैयार करे, प्रवासी भारतीय सम्मेलन में सरकार शामिल करेगी"। इसके बाद उषा ठाकुर ने जनक दीदी द्वारा अपनी शादी की वर्षगाठ पर गौवंश बढ़ाने के उदेश्य से उनके गीर बछड़े "दर्शन" का उपहार गौतम भेंट कर "बछड़ा उपहार" अभियान शुरू किया। उषा दीदी ने सभी के साथ अग्निहोत्र और मन्त्रोच्चार और प्रार्थना कर मंगल कामनाये दी। जनक दीदी ने सभी को आभार दिया।
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