सम्मेद शिखर पर्यटन स्थल नहीं बनेगा, विवाद के बाद केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, कमेटी का भी गठन

हफ्तों से जारी जैन समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। झारखंड में स्थित जैन समाज के पवित्र स्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले पर केंद्र ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इतना ही नहीं केंद्र ने इस मसले पर एक कमेटी बनाने का फैसला भी किया है, जिसमें जैन समाज के 2 और स्थानीय जनजातीय समुदाय का 1 सदस्य शामिल किया जाएगा।
नई दिल्ली। सम्मेद शिखर के मुद्दे पर जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसके साथ ही इस मसले पर एक कमेटी भी बनाई गई है। केंद्र ने झारखंड सरकार से इस मुद्दे पर जरूरी कदम उठाने को भी कहा है। बता दें कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले से जैन समाज काफी नाराज चल रहा था।
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केंद्र ने कमेटी बनाते हुए कहा है कि राज्य सरकार समिति में जैन समुदाय से 2 सदस्यों को शामिल करे। वहीं, एक सदस्य स्थानीय जनजातीय समुदाय से शामिल किया जाए। केंद्र ने राज्य को 2019 की अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगाने के आदेश भी दिए हैं।
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यह फैसला केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात के बाद आया है। केंद्रीय मंत्री ने मीटिंग में जैन समाज के लोगों को भरोसा दिया था कि मोदी सरकार सम्मेद शिखर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
दरअसल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पिछले कई दिनों में पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य में होने वाले पर्यटन के मुद्दे पर जैन समाज के कई संगठनों से आवदेन मिल रहे थे। इन आवेदनों में कहा जा रहा था कि सम्मेद शिखर में पर्यटन गतिविधियों के कारण जैन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
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बता दें कि देश की आबादी में 0।4 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाला जैन समाज झारखंड सरकार के उस फैसले से नाराज था, जिसमें तीर्थस्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने की बात कही गई थी। नाराज जैन समाज के लोग हफ्तों से सड़कों अनशन कर रहे थे।
सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने को लेकर सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि दिल्ली, जयपुर और भोपाल तक प्रदर्शन हो रहा था। इस बीच जयपुर में अनशन पर बैठे जैन संत का निधन भी हो गया था। 72 साल के सुज्ञेयसागर महाराज अनशन पर थे। पुलिस ने बताया कि महाराज ने 25 दिसंबर से कुछ खाया नहीं था, जिसके बाद उनका निधन हो गया।
सीएम सोरेन ने लिखा था पत्र
केंद्रीय वन मंत्री आदरणीय श्री @byadavbjp जी को पत्र लिख जैन अनुयायियों द्वारा प्राप्त आवेदनों के अनुसार पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर की सुचिता बनाये रखने हेतु पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की संबंधित अधिसूचना के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने हेतु आग्रह किया। pic.twitter.com/xQenqjahjn
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) January 5, 2023
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सम्मेद शिखर इतना अहम क्यों?
- जैन धर्म की तीर्थस्थल सम्मेद शिखर झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी का नाम जैनों के 23वें तीर्थांकर पारसनाथ के नाम पर पड़ा है।
- ये झारखंड की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। माना जाता है कि जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थांकरों ने यहीं निर्वाण लिया था। इसलिए ये जैनों के सबसे पवित्र स्थल में से है।
- इस पहाड़ी पर टोक बने हुए हैं, जहां तीर्थांकरों के चरण मौजूद हैं। माना जाता है कि यहां कुछ मंदिर दो हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं।
- जैन धर्म को मानने वाले लोग हर साल सम्मेद शिखर की यात्रा करते हैं। लगभग 27 किलोमीटर लंबी ये यात्रा पैदल ही पूरी करनी होती है। मान्यता है कि जीवन में कम से कम एक बार यहां की यात्रा करनी चाहिए।
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विवाद क्यों?
- अगस्त 2019 में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने सम्मेद शिखर और पारसनाथ पहाड़ी को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया था।
- इसके बाद झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित किया ।गया अब इस तीर्थस्थल को पर्यटन के हिसाब से तब्दील किया जाना था।
- इसी बात पर जैन समाज को आपत्ति थी। उनका कहना था कि ये पवित्र धर्मस्थल है और पर्यटकों के आने से ये पवित्र नहीं रहेगा।
- जैन समाज को डर था कि इसे पर्यटन स्थल बनाने से यहां असामाजिक तत्व भी आएंगे और यहां शराब और मांस का सेवन भी किया जा सकता है।
- जैन समाज की मांग थी कि इस जगह को इको टूरिज्म घोषित नहीं करना चाहिए। बल्कि इसे पवित्र स्थल घोषित किया जाए ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे।
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