PM Modi Uttarakhand Visit: मोदी ने किए केदारनाथ और बद्री नाथ के दर्शन, करीब 3400 करोड़ की विकास परियोजनाओं का किया शिलान्यास

मोदी ने भारत-चीन सीमा पर पड़ने वाले आखिरी गांव माणा में अपने सम्बोधन में कहा, अब से हर सीमावर्ती गांव को आखिरी नहीं पहला गांव माना जाएगा।

 
PM Modi Uttarakhand Visit: मोदी ने किए केदारनाथ और बद्री नाथ के दर्शन, करीब 3400 करोड़ की विकास परियोजनाओं का किया शिलान्यास

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ और बद्री नाथ के दर्शन किए। केदारनाथ में वे गर्भगृह में करीब 20 मिनट तक पूजा करते रहे। इसके बाद आदि शंकराचार्य की समाधि के दर्शन करने पहुंचे। विशेष परिधान पहन रखा था, जो उन्हें हिमाचल की महिलाओं ने गिफ्ट किया था। इसे चोला-डोरा कहते हैं। पोशाक पर स्वास्तिक बना था। इसके बाद वे भारत-चीन सीमा पर पड़ने वाले आखिरी गांव माणा का दौरा किया। केदारनाथ दर्शन के बाद मोदी ने 3400 करोड़ से अधिक की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। रोपवे परियोजना का भी शिलान्यास किया। यह रोपवे 9.7 किलोमीटर लंबा होगा, जो गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा। अभी यह दूरी तय करने में करीब छह घंटे का समय लगता है। रोपवे बनने के बाद यह यात्रा 30 मिनट में पूरी हो सकेगी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन सीमा पर पड़ने वाले आखिरी गांव माणा में अपने सम्बोधन में कहा, अब से हर सीमावर्ती गांव को आखिरी नहीं पहला गांव माना जाएगा। माणा से जुड़ी 25 साल पुरानी याद साझा करते हुए कहा, जब यहां मीटिंग रखी तो भाजपा कार्यकर्ता नाराज हो गए कि इतनी दूर कौन जाएगा और कैसे जाएगा। 'मैंने लाल किले से कहा था, गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त हों। इसकी जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि हमारे देश को इस मानसिकता ने ऐसा जकड़ा है कि प्रगति का हर कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है। लंबे समय तक हमारे यहां आस्था घरों के विकास को लेकर नफरत का भाव रहा। विदेशों में ऐसे काम की तारीफ करते नहीं थकते थे। अपनी संस्कृति को लेकर उनमें हीन भावना, आस्था पर अविश्वास और विरासत से विद्वेश वजह थी।'

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आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के निर्माण के वक्त क्या हुआ, सब जानते हैं। राम मंदिर के इतिहास से भी हम परिचित हैं। गुलामी की इस स्थिति ने हमारे आस्था घरों को जर्जर स्थिति में ला दिया था। सब कुछ तबाह करके रख दिया गया था। दशकों तक हमारे आध्यात्मिक केंद्रों की स्थिति ऐसी थी कि वहां की यात्रा सबसे कठिन यात्रा बन जाती थी। जहां जाना जीवन का सपना हो, लेकिन सरकारें ऐसी थीं कि अपने नागरिकों को वहां तक जाने की सुविधा देने की नहीं सोची। ये अन्याय था कि नहीं? आपका हां का जवाब आपका नहीं 130 करोड़ लोगों का है। इसलिए मुझे ईश्वर का काम सौंपा गया है। उन्होंने आगे कहा, बाबा के सान्निध्य में उनके आदेश से उनकी कृपा से पिछली बार जब आया था तो कुछ शब्द निकले थे। वो मेरे नहीं थे। कैसे आए, क्यों आए, किसने दिए पता नहीं। यूं ही मुंह से निकल गया था कि ये दशक उत्तराखंड का दशक होगा। पक्का विश्वास है कि इन शब्दों पर बाबा, बद्री विशाल और मां गंगा के आशीर्वाद की शक्ति बनी रहेगी।

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